राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 05 जुलाई 2025 को स्थापना दिवस मनाया। बिहार की राजधानी पटना स्थित बापू सभागार में भव्य समारोह आयोजित किया गया। समारोह में पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ उनके बेटे तेजस्वी यादव भी सम्मिलित हुए।
आरजेडी के स्थापना दिवस समारोह में तेजस्वी यादव ने ‘शहाबुद्दीन जी अमर रहे’ के नारे लगाए। उनका साथ देते हुए पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं ने तेजस्वी यादव की लय में जोश से नारे को दोहराया।
इसका वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो को इस्लामी कट्टरपंथी खूब पसंद कर रहे हैं। वहीं, कुछ समर्थक यूँ हैरान है कि आखिर तेजस्वी यादव इससे क्या हासिल करना चाहते हैं। उनके समर्थकों का जानना भी जरूरी है, क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।
तेजस्वी यादव पहले मोहम्मद शहाबुद्दीन के लिए दयाभाव दिखा चुके हैं। कुछ दिनों पहले तेजस्वी यादव मोहम्मद शहाबुद्दीन के घर पहुँच गए। यहाँ उसकी बेगम हीना शहाब और बेटे ओसामा शहाब से मुलाकात की। उनके साथ डिनर का आनंद लिया।
इससे तीन साल पहले साल 2021 में तेजस्वी यादव शहाबुद्दीन के बेटी हेरा शहाब के निकाह में शिरकत करने पहुँचे थे। अब्बू के इंतकाल के कुछ समय बाद ही बेटी हेरा शहाब ने निकाह किया था। बताया गया कि शाही अंदाज में निकाह समारोह आयोजित किया गया था।
कौन है शहाबुद्दीन ?
मोहम्मद सैयद शहाबुद्दीन सीवान शहर से पूर्व सांसद था। 90 के दशक में और 21वीं सदी की शुरुआत में उसने शहर में गुंडाराज चलाया। विभिन्न ठेकों का टेंडर हो या फिर मुखिया से लेकर जिला परिषद तक के चुनाव, हर जगह उसकी ही पसंद चलती थी। उसने 1996, 98, 99 और 2004 में यहाँ से सांसद बन कर जीत का चौका लगाया।
मोहम्मद शहाबुद्दीन पर सीधे राजद सुप्रीमो और 15 साल तक बिहार में सत्ता के सर्वेसर्वा रहे लालू प्रसाद यादव का हाथ था। वो राजद की नेशनल एग्जीक्यूटिव कमिटी का हिस्सा था। उसके समर्थक उसे ‘साहेब’ कहकर बुलाते थे। गैंगस्टर शहाबुद्दीन पर अपहरण, हत्या और लूटे के कई मामलों में जेल जा चुका था।
चंदा बाबू के 2 बेटों की तेजाब से नहला कर की हत्या
शहाबुद्दीन ने रंगदारी नहीं देने और उनकी जमीन शहाबुद्दीन के हवाले न करने के कारण चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों गिरीश और सतीश का अपहरण कर लिया था। इसके बाद उन्हें शहाबुद्दीन के गाँव प्रतापपुर स्थित उसकी कोठी पर ले जाया गया।
फिर अगस्त 16, 2004 को वहाँ जो हैवानियत का नंगा नाच हुआ, उसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। वहाँ दोनों भाइयों को तेज़ाब से नहलाया गया और तब तक ऐसा किया गया, जब तक उनकी तड़प-तड़प कर मौत न हो गई।
इस मामले में गवाह थे चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव रौशन, लेकिन कोर्ट जाते समय उनकी भी हत्या कर दी गई। तीनों बेटों की माँ कलावती की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
लेकिन, इस मामले में शहाबुद्दीन को अभियुक्त बनने में 5 वर्ष लग गए। 2009 में सीवान के तत्कालीन एसपी अमित कुमार जैन के निर्देश पर केस के आइओ ने शहाबुद्दीन, असलम, आरिफ व राज कुमार साह को प्राथमिक अभियुक्त बनाया गया और सभी को उम्रकैद की सजा हुई।
ये मामला स्थानीय कोर्ट और हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, जहाँ कुछ ही मिनटों में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने शहाबुद्दीन की याचिका खारिज कर दी और फैसला बरकरार रखा।
इस मामले में गवाह थे चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव रौशन, लेकिन कोर्ट जाते समय उनकी भी हत्या कर दी गई। तीनों बेटों की माँ कलावती की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
चंदा बाबू कई सालों तक भय में जीते रहे। उनको डर लगा रहता था कि शहाबुद्दीन उन्हें मरवा देगा। ऐसे में इतने बड़े अपराधी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाना उनके हार न मानने वाले जज्बे की ओर इशारा करता है। वहीं, शहाबुद्दीन की बीवी हीना शहाब ने इस मामले में केंद्र सरकार को दोषी माना।
मई 2021 में शहाबुद्दीन की कोविड से मौत
शहाबुद्दीन कई मामलों में तिहाड़ जेल में सजा काट रहा था। इसी दौरान कोरोनाकाल का वक्त आया। तिहाड़ जेल में बंद मोहम्मद शहाबुद्दीन कोरोना पॉजिटिव निकला। उसे दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। हाँ अपराधी और हत्यारे शहाबुद्दीन की 01 मई, 2021 को मौत हो गई।
साल 2021 में मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद राजद के तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन से दूरी बनाई। तब शहाबुद्दीन की बीवी हीना शहाब ने लोकसभा चुनाव 2024 निर्दलीय लड़ने का फैसला लिया था।
बाद में तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने शहाबुद्दीन की बीवी हीना शहाब और बेटे ओसामा शहाब को राजद पार्टी में शामिल कर लिया था। बीवी हीना शहाब ने अपने पति शहाबुद्दीन की जगह सीवान सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उसकी हार के बाद राजद को ये सीट गवानी पड़ी।
अब दोबारा से खबरें सामने आ रही हैं कि शहाबुद्दीन का बेटा ओसामा शहाब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दावेदार के तौर पर खड़ा हो रहा है। तेजस्वी यादव का शहाबुद्दीन के घर पहुँचना भी इसका संकेत देता है।