ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई

‘मेक ईरान ग्रेट अगेन’ ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ये बयान दिया था। दरअसल अमेरिका ऐसा कह कर ईरान में सत्ता परिवर्तन की संभावना तलाश रहा है।

अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, “सत्ता परिवर्तन शब्द का उपयोग करना राजनीतिक रूप से सही नहीं है, लेकिन अगर वर्तमान शासन ईरान को फिर से महान बनाने में समर्थ नहीं है, तो सत्ता परिवर्तन क्यों नहीं होगा?? MIGA (Make Iran Great Again)!”

अमेरिका ने ईरान में सुप्रीम लीडर खामेनेई को सत्ता से हटाने की कई बार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोशिश की है। लेकिन मुस्लिम शिया धर्म के सुप्रीम लीडर खामेनेई को हटाना संभव नहीं हो सका। इस वक्त भी ईरान में सत्ता परिवर्तन की माँग उठ रही है। खुद खामेनेई के परिवार से इसकी माँग उठने लगी है।

कौन हैं महमूद मोरदखानी

महमूद मोरादखानी ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के भतीजे हैं। वह 1986 में ईरान छोड़कर फ्रांस चले गए थे और निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं। महमूद मोरदखानी ने कहा है कि वह युद्ध के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन ईरानी सरकार का खात्मा ही यहाँ स्थायी शांति के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा, ” जो भी इस शासन को मिटा सके, वह जरूरी है।” उनका मानना है कि कई ईरानी लोग खामेनेई के कमजोर होने से ईरान में खुश हैं।

कौन हैं रजा पहलवी

ईरान के पूर्व शहजादे रजा पहलवी ने भी शासन में बदलाव पर जोर दिया है। उनका कहना है कि तेहरान में सत्ता पतन जरूरी है।

रजा पहलवी ईरान के अंतिम पहलवी शासक मोहम्मद शाह पहलवी के बड़े बेटे हैं। उनका परिवार अमेरिका में निर्वासन की जिंदगी गुजार रहा है। 1979 में देश छोड़कर भागे पूर्व शाह के बेटे रजा पहलवी इस वक्त काफी सक्रिय हैं।

रजा अमेरिका में रहते हैं और खुद को ईरान के शासक के रूप में देखना चाहते हैं। 2016 में पहली बार जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने थे तो शाह ने ईरान में धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाने और लोकतंत्र की बहाली की वकालत की थी।

इसके बाद फिर जब ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बने तो पहलवी ने ईरान में लोकतंत्र की वकालत करते हुए पश्चिमी राष्ट्रों से उसके संबंध सुधारने पर जोर दिया था। अब जब इजरायल ने ईरान पर हमला किया तो वह इजरायल का पक्ष लेते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि ईरान में अभी कई ऐसे लोग हैं जो इजरायल के इस कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं और खामनेई को सत्ताच्युत करना चाहते हैं।

माना जा रहा है कि अब राष्ट्रपति ट्रंप ईरान में सत्ता परिवर्तन में रजा पहलवी को समर्थन दे सकते हैं और ईरान में लोकतंत्र की स्थापना की पहल कर सकते हैं। हालाँकि खामनेई ने अपने विकल्प के तौर पर तीन उत्तराधिकारियों को चुन लिया है। ये तीनों ही मौलवी हैं यानी ईरान को इस्लामिक राष्ट्र बनाए रखने की व्यवस्था खामेनेई ने कर दी है।

खामेनेई के खिलाफ सड़कों पर उतरे कई संगठन

ईरान में अभी कई संगठन एक्टिव हैं जो चाहते हैं कि सत्ता परिवर्तन हो। इनमें पीपुल्स मुजाहिदीन या मोजाहिदीन ए खल्क यानी एमईके, ग्रीन मूवमेंट प्रमुख हैं। एमईके ऐसा संगठन है जिसे गोरिल्ला युद्ध लड़ने में महारत हासिल है। लेकिन अमेरिका इसे नहीं पसंद करता क्योंकि ये संगठन रूस के नजदीक रहा है। अमेरिका विरोध के बावजूद खामेनेई को उखाड़ फेंकने की कोशिश में ये संगठन लगा हुआ है।

दरअसल खामेनेई ने ही इस संगठन को कुचला था। धीरे-धीरे खुद को खड़ा करने के दौरान संगठन अमेरिका के संपर्क में भी आ गया। इस दल के नेता को अल्बानिया में स्थापित करने में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई। हालाँकि आज की तारीख में ये कहना काफी मुश्किल है कि संगठन ईरान की इस्लामिक सत्ता को उखाड़ फेंकने में सक्षम है।

ग्रीन मूवमेंट ईरान में 2009 में सुर्खियों में आया। राष्ट्रपति चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए संगठन ने आंदोलन चलाया। देश में लोकतांत्रिक सुधारों की बात करने वाला ये संगठन खामेनेई को सत्ता से हटाना चाहता है और अक्सर विरोध प्रदर्शन करता रहता है।

इस संगठन ने 2010 में बड़ा आंदोलन खड़ा किया था। इस्लामिक राष्ट्र का विरोध करने के कारण इसके आंदोलन को दबा दिया गया और इसके नेताओं को गिरफ्तार किया गया। आज की परिस्थिति में ये उम्मीद करना मुश्किल है कि ये संगठन ईरान में इस्लामिक सत्ता को हटा सकता है।

खामेनेई के विरोध में महिलाएँ

ईरान में इस्लामिक शासन के दौरान वर्षों से महिलाओं का दमन किया जाता रहा है। हिजाब के खिलाफ महिलाएँ सड़कों पर उतरती रही हैं और सरेआम इसे उतार कर फेंकती रही हैं। विरोध प्रदर्शन में हिजाब जलाना, खामेनेई की तस्वीर जलाकर ‘मुल्ला भाग जाओ’ का नारा बुलंद करना आम रहा है। अब इन महिलाओं को खामेनेई को सत्ता से हटाने का विकल्प सामने दिखने लगा है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस का बयान

इधर अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ईरान में सत्ता परिवर्तन पर बड़ा बयान दिया। उनका कहना है कि वो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना चाहते हैं। वे सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते।

अमेरिका और इजरायल के अलावा भी कई देश हैं जो खामेनेई को सत्ता से बेदखल होते हुए देखना चाहते हैं। इनमें इराक, सऊदी अरब, लेबनान, मिस्र जैसे पड़ोसी इस्लामिक देश भी शामिल हैं। दरअसल इन राष्ट्रों का झगड़ा शिया-सुन्नी को लेकर है। ईरान एकमात्र शिया इस्लामिक देश है, जबकि बाकी देश सुन्नी इस्लामिक राष्ट्र हैं।



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