भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नाम उभरा है, Zoho कॉर्पोरेशन। इस देसी कंपनी के खिलाफ साजिश रची जा रही है। सोशल मीडिया पर इसे ‘सरकारी एजेंट’ बता कर बहिष्कार की अपील की जा रही है। वही ‘डेटा लीक’ को लेकर शक जताया जा रहा है। यहाँ तक कि इसके ऐप Arattai को भी निशाना बनाया गया है। इसके खिलाफ वामपंथी प्रोपेगेंडा की वजह पीएम मोदी द्वारा इसके इस्तेमाल की अपील भी है।

कंपनी के फाउंडर श्रीधर वेंबू का इंटरव्यू करने वाले पत्रकार अर्नब गोस्वामी को लेकर भी वामपंथी नाराज हैं। वामपंथियों को मिर्ची इसलिए भी लग रही है क्योंकि कई सरकारी और निजी संस्थान zoho को अपना चुके हैं। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने माइक्रोसॉफ्ट और गुगल जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म छोड़कर जोहो को अपनाया। भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता का ये प्रतीक बन गया है।

जोहो प्लेटफॉर्म को लेकर कई तरफ की अफवाहें फैलाई जा रही है। मसलन सरकार इसके माध्यम से लोगों पर नजर रखेगी, डेटा को विदेशी सर्वर में सेव किया जा रहा है, जिससे इसके लीक होने का खतरा है। वामपंथियों ने कंपनी का रिश्ता आरएसएस से भी जोड़ दिया है।

कंपनी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। कंपनी का कहना है कि हर देश का डेटा उसी देश में स्टोर हो रहा है। ये पूरी तरह सुरक्षित और सीक्रेट है।

ऑफिस सॉफ्टवेयर की दुनिया में गुगल और माइक्रोसॉफ्ट का अब तक दबदबा रहा है। भारत के यूजर्स भी इसे ही इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन जोहो ने इस एकाधिकार को चुनौती देते हुए न सिर्फ भारत के बाजार में बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बना ली है। इस देशी सॉफ्टवेयर का जैसे-जैसे विस्तार होगा, भारत मजबूत होगा। इसे अपनाने से विदेशी निर्भरता कम होगी और घरेलू टेक इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगा। कंपनी का टैक्स भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है। इससे उन भारतीय टेक कंपनियों को भी नहीं राह मिलेगी, जो विश्व बाजार में उतरने के लिए तैयार हैं।

गुगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे विदेशी कंपनी पर लगते रहे हैं आरोप

विदेशी टेक कंपनियों पर डेटा प्राइवेसी को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। इनके सर्वर से ‘डेटा लीक’ होने को लेकर खबरें भी आई हैं। इन कंपनियों का डेटा ज्यादातर अमेरिका में सेव होता है। लेकिन जोहा का भारत के लोगों का डेटा देश में ही स्टोर होता है। इससे डेटा सुरक्षित रहने के ज्यादा चांसेज हैं। ये भारत के ‘डेटा संप्रभुता’ के सिद्धांत को भी मजबूत बनाता है।

क्या है Zoho

Zoho कॉरपोरेशन एक भारतीय टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो बिजनेस सॉफ्टवेयर और वेब आधारित टूल्स बनाती है। कंपनी ऑनलाइन ऑफिस सुइट सेवा देने के लिए लोकप्रिय है। 1996 में कंपनी की शुरुआत श्रीधर वेम्बू और टोनी थॉमस ने की थी। कंपनी का मुख्यालय चेन्नई में है। इसका हेडऑफिस अमेरिका के टेक्सास में है। 9 देशों में कंपनी के ऑफिस हैं।

कंपनी में 2023 तक श्रीधर वेम्बू के भाई शेकर वेम्बू 35.2% और बहन राधा वेम्बू के पास 47.8 % शेयर थे। जबकि श्रीधर वेम्बू के पास 5 फीसदी और सह संस्थापक टोनी थॉमस के पास 8 फीसदी हिस्सेदारी थी। फिलहाल कंपनी के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने सीईओ पद से इस्तीफा दिया है। वे मुख्य वैज्ञानिक के तौर पर कंपनी से जुड़ गए हैं, ताकि AI और दूसरे शोध पर ध्यान दिया जा सके।

Zoho क्या-क्या दे रही है सुविधाएँ

कंपनी की स्थापना 1996 में अमेरिका के न्यूजर्सी में हुई। कंपनी ने छोटे बिजनेस पर फोकस किया और जापान में 2001 में ऑफिस खोला। 2005 में जोहो सीआरएम और जोहो राइटर लॉन्च किया। 2006 में जोहो प्रोजेक्ट, क्रिएटर, शीट और शो आए। 2007 में कंपनी ने सहयोगी टूल्स लॉन्च किए। इनमें जोहो Docs और जोहो Meeting शामिल हैं। 2008 तक कंपनी ने इनवॉइसिंग और मेल एप्लीकेशन लॉन्च किए। 2009 में कंपनी का नाम Zoho Corporation हो गया।

2017 में Zoho One लॉन्च किया गया। ये 40 से अधिक इंटीग्रेटेड एप्लीकेशंस का सुइट था। 2022 तक कंपनी 160 से ज्यादा देशों में 50,000 से अधिक व्यवसायिक संस्थानों के साथ काम कर रही थी। जनवरी 2020 तक Zoho के पास 5 करोड़ यूजर्स थे, जो जुलाई 2022 में बढ़कर 8 करोड़ हो गया।

Zoho का Arattai ऐप दे रहा WhatsApp को टक्कर

Zoho कॉर्पोरेशन का Arattai ऐप धूम मचा रहा है। इसने WhatsApp को भी पीछे कर दिया है। 2021 में ऐप के लॉन्च होते ही 3 दिनों में ही 100 गुणा ज्यादा साइन अप हो चुके थे। यहाँ तक प्ले स्टोर पर डाउनलोड्स 10 लाख पार कर गए थे। सरकार स्वदेशी को बढ़ावा दे रही है। केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने Arattai मैसेजिंग ऐप को लेकर एक्स पर पोस्ट किया। बज क्रिएट होते ही इससे जुड़ने वालों की संख्या काफी बढ़ गई।

डेटा को लेकर कंपनी ने पूरी जानकारी दी। कंपनी के फाउंडर श्रीधर वेंबू ने खुद बताया है कि डेटा कहाँ होस्ट होता है, कौन होस्ट करता है। कहाँ बनते हैं कंपनी के प्रोडक्ट्स आदि। इसके बावजूद Arattai को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

पूरी तरह देशी जोहो कंपनी का मुख्यालय चेन्नई में है और ये ग्लोबल इनकम का भारत में टैक्स चुकाते हैं। दुनिया के 80 देशों में कंपनी के कर्मचारी हैं और अमेरिका जैसे देशों में इसकी अच्छी मौजूदगी है।

कौन करता है डेटा सेव

भारतीय कस्टमर का डेटा भारत में ही होस्ट किया जाता है। इसमें दिल्ली, मुंबई और चेन्नई अहम हैं। कंपनी किसी भी देश के लोगों का डेटा किसी दूसरे देश में होस्ट नहीं करती है। दुनियाभर में कंपनी के 18 डेटा सेंटर्स हैं , जहाँ इसे होस्ट किया जाता है। कंपनी की सभी सेवाएँ उनकी अपनी हार्डवेयर पर चलती हैं। सभी सेवाएँ उनकी अपनी सॉफ्टवेयर फ्रेमवर्क पर हैं, जो कंपनी ने विकसित किए हैं।

अमेरिका में कंपनी का क्यों है पता

कंपनी के जोहो डेवलपर अकाउंट में ऐप स्टोर और प्ले स्टोर पर अमेरिका के ऑफिस का पता है। इसकी वजह कंपनी ने ये बताया है कि ये अकाउंट उन स्टोर्स के शुरुआती दिनों की है। इसे अमेरिकी कर्मचारी ने टेस्टिंग के लिए रजिस्टर कराया था। कंपनी ने अब तक इसे नहीं बदला है।



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