सड़कों पर युवा, संसद या राष्ट्रपति भवन में घुसने की कोशिश… इंटरनेट पर सरकार के भ्रष्टाचार के आरोप और फिर इंटरनेशनल मीडिया में खूब सारे आर्टिकल!! क्या नेपाल में बांग्लादेश और श्रीलंका वाली प्लेबुक अपनाई जा रही है?
नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत तमाम शहरों में 8 सितंबर, 2025 को प्रदर्शनकारियों का हुजूम उमड़ पड़ा। मीडिया में चला कि ये लोग सोशल मीडिया पर बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन करने आए हैं। इस प्रदर्शन में लगभग 20+ लोग मारे भी गए।
लेकिन जैसे ही थोड़ा सा इस प्रदर्शन को हमनें खुरचा तो पता चला कि कहानी यहाँ उतनी सीधी नहीं है जितनी दिखाई पड़ती है। दरअसल, इस पूरे प्रदर्शन को ऑर्गनाइज करवाने वाले ग्रुप का नाम है हामी नेपाल।
इस हामी नेपाल का मुखिया एक युवक है, जिसका नाम है सूदन गुरुंग। हामी नेपाल ने ही इस प्रोटेस्ट के बैनर पोस्टर बनवाए हैं, लोगों को इकट्ठा किया है। सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक मोबीलाइजेशन भी इसी ग्रुप का है।
हामी नेपाल ने भीड़ इकट्ठा करने के लिए डिस्कोर्ड एप का इस्तेमाल किया जहाँ ग्रुप चैट में प्रदर्शन के इंस्ट्रक्शंस दिए जा रहे थे। हमने इन ग्रुप्स में छानबीन की तो यहाँ कोई बांग्लादेश जैसे सत्ता उखाड़ फेंकने की बात कर रहा है तो कोई कह रहा है कि हिंसा की ज्यादा से ज्यादा तस्वीरें इंटरनेशनल मीडिया को भेजो। ग्रुप में पेट्रोल बम बनाने के तरीके भी बताये जा रहे हैं। लोगों से अनुरोध किया जा रहा है कि वो हत्यारा सरकार लिखा हुआ डीपी लगाए। नेपाल पुलिस और सैन्य बल की तस्वीरों को शार्प शूटर बतलाते शेयर किया जा रहा है।
इस ग्रुप चैट में लगातार हिंसा और नरसंहार तक की बातें हुईं। कुछ कुछ वैसी ही जैसा बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के समय देखा गया था। लेकिन इतना बड़ा प्रोटेस्ट कोई लड़कों का ग्रुप आयोजित करवा ले ये संभव नहीं है।
Gen-Z protets in #Nepal has same structure and modus operandi as #Bangladesh protests last year. Foreign funding involved. pic.twitter.com/XCWjXrm2qh
— Nepal Correspondence (@NepCorres) September 8, 2025
हामी नेपाल के बारे में थोड़ी छानबीन की तो पता चला कि इसे 2015 में बनाया गया था। ये नेपाल में समाजसेवा करने का दावा करता है। इसका असल मुखिया संदर्क रूइट नाम का एक आँख का सर्जन है। उसे हामी नेपाल ने अपना मेंटर बताया है। उसे रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड भी मिल चुका है।
यह शख्स बारबरा फाउंडेशन नाम से NGO चलाता है। ये NGO एक अमेरिकी महिला का स्थापित किया हुआ है, वो काठमांडू में रहा करती थी। ये NGO नेपाल में जातिवाद जैसे कई मुद्दों पर काम करता है।
इतना ही नहीं बल्कि ये NGO पत्रकारों को अवॉर्ड भी देता है। नेपाल में हिंसक प्रदर्शन करवाने वाले हामी नेपाल को ऑफिस स्पेस भी इसी बारबरा फाउंडेशन ने दिया हुआ है।
हामी नेपाल का लिंक अल जजीरा के साथ ही कुछ ऐसे एनजीओ से भी है, जिनके तार ब्रिटेन की सरकार से जुड़ते हैं। नेपाल की इन घटनाओं पर रिपोर्ट करने में सबसे आगे अल जजीरा ही रहा है।
साथ ही साथ जैसे बांग्लादेश में हिंसा के बाद अमेरिकी और पश्चिमी देशों के दूतावास दंगाइयों के साथ खड़े हो गए थे, यहाँ भी कुछ वैसा ही हुआ है। अमेरिकी एंबेसी ने बाकी दूतावासों के साथ वही भाषा लिखी है, जो वह बांग्लादेश में तख्तापलट के समय लिखा करता था।
इसके साथ ही हिंसा के बाद UNHCR, UN, एमनेस्टी इंटरनेशनल दुनिया भर के रिजीम चेंज स्पेशलिस्ट NGO भी एक्टिव हो चुके हैं। सभी हिंसा की बात को दोहरा रहे हैं।
नेपाल में Gen Z Protest वाले Regime Change के पीछे NGO?
प्रदर्शन ऑर्गनाइज करने वाले 'Hami Nepal' और 'Sudan Gurung' के पीछे विदेशी हाथ… रेमन मैग्सेसे विनर Sanduk Ruit के साथ भी ताल्लुक? @journoharshv बता रहे नेपाल में सत्ता परिवर्तन के पीछे की पूरी Exclusive कहानी pic.twitter.com/3MqmP65FLb— OpIndia.tv (@OpIndia_tv) September 9, 2025
इन सब सूचनाओं के आधार पर अब तक आपने कुछ ना कुछ समानताएँ तो निकाल ही ली होंगी।
एक NGO, एक ऐसा चेहरा जिसका समाजसेवा में नाम हो, जिसके नाम पर नोबल या मैग्सेसे जैसा अवॉर्ड हो। उसके बाद भ्रष्टाचार का मुद्दा और आवारा युवाओं की भीड़?
दरअसल, ऐसे रेजीम चेंज ऑपरेशन्स में हिंसा को एंप्लीफाई करके दिखाना, चुनाव प्रक्रिया को गड़बड़ बताना, करप्शन जैसे मुद्दों को लीड बनाना और युवाओं को ढाल की तरह पेश करना, मोडस ऑपरेंडी होती ही है।
अब आने वाले कुछ दिन नेपाल की व्यवस्था के सबसे कठिन टेस्ट होने वाले हैं। जो नेपाल और दिशा तय करेंगी।
सवाल वही है, क्या भारतीय उपमहाद्वीप में एक और बांग्लादेश तैयार हो रहा है?













