अमेरिका के भारत पर लगाए गए दोगुने टैरिफ को लेकर अब चीन खुलकर भारत के पक्ष में खड़ा हो गया है। चीन ने भारत के समर्थन में एक सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है।
चीन के भारत में राजदूत शू फेइहोंग ने कहा, “अमेरिका लंबे समय से मुक्त व्यापार से लाभ उठाता रहा है, लेकिन अब वह टैरिफ को सौदेबाजी के हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में चुप्पी केवल धमकाने वाले को और हिम्मत देती है। चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।”
नई दिल्ली के थिंक टैंक चिंतन रिसर्च फाउंडेशन और सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम में चीनी राजदूत फेईहोंग ने कहा कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार हैं। दोनों देशों को आपस में रणनीतिक विश्वास और सहयोग को बढ़ाना चाहिए।
गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर के आयात पर 50% तक का शुल्क लगाने की घोषणा की है। पहले भारत पर 25% टैरिफ लगाया था, जो 7 अगस्त से लागू हो गया। बाद में घोषणा की 25% अतिरिक्त टैक्स लगेगा जिसके बाद ये कुल 50% हो गया। साथ ही ट्रंप ने चीन पर भी 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है।
असल में ये घोषणा भारत के रूस के साथ संबंधों और रूसी तेल को खरीदने के विरोध में लगाया गया है। अमेरिका का आरोप है कि भारत सस्ते रूसी तेल को खरीदकर मुनाफा कमा रहा है। इस पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे ‘आर्थिक धमकी’ की नीति कहा है।
चीन ने अमेरिका के टैरिफ नीति को की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह इस प्रकार के टैरिफ का पूरी तरह से विरोध करता है। चीन का कहना है कि यह अमेरिका की एकतरफा और अनुचित व्यापार नीति है, जो वैश्विक व्यापार की व्यवस्था को नुकसान पहुँचा सकती है।
चीन के भारत में राजदूत शू फेइहोंग ने इस मुद्दे पर आगे कहा कि अमेरिका विभिन्न देशों से अत्यधिक कीमतें वसूलने के लिए दबाव बना रहा है और भारत पर लगाए गए टैरिफ इसी नीति का हिस्सा हैं।
राजदूत फेइहोंग ने यह भी कहा कि वह विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय व्यापार ढाँचे की रक्षा के लिए भारत का समर्थन करेगा। यह बयान भारत और चीन के बीच बढ़ते सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को भी दर्शाता है।
आलोचक बन गए प्रशंसक
ग्लोबल टाइम्स, चीनी सरकार का वो अखबार जो भारत के खिलाफ नैरेटिव फैलाने के लिए कुख्यात था, वो अब भारत के साथ दोस्ती और विकास की बातें करने लगा है। ट्रंप के टैरिफ के बीच चीन अब भारत के साथ अपनी दोस्ती पक्की करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है।
6 अगस्त 2025 को ग्लोबल टाइम्स ने एक ओपिनियन (विचार) प्रकाशित किया था। इसकी हेडलाइन थी “भारत ‘विदेशी निवेश का कब्रिस्तान’ के लेबल को क्यों नहीं हटा पा रहा?” इस लेख में तर्क दिया गया कि पश्चिमी मीडिया द्वारा फैलाया गया चीन और भारत के बीच ‘कौन किसकी जगह लेगा’ का नैरेटिव असल में बेबुनियाद है।
इसके अलावा भारत स्थित चीन के दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने भी X पर यह लेख शेयर किया है। उन्होंने हाथी और ड्रेगन की दोस्ती दिखाने वाली तस्वीर शेयर कर लिखा, “आज के समय में दोनों देशों के लिए सहयोग और सहमति को बढ़ाना और एशिया व विश्व स्तर पर शांति को बढ़ावा देना समझदारी की बात होगी।”
भारत-चीन साझेदारी पर जोर
चीन ने भारत के साथ हाल ही में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए WMCC कार्य समूह बनाने, सीमा बाजारों को फिर से खोलने और रिवर डेटा साझा करने जैसे कदम उठाए हैं। चीनी राजदूत ने भारत और चीन को एशिया की ‘डबल इंजन शक्ति’ बताया और कहा कि दोनों देशों को मिलकर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए।
फेइहोंग ने बताया, “भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए चीन की ओर से कैलाश पर्वत और झील की यात्रा फिर से शुरू की है। भारत ने भी चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा फिर से शुरू कर दिया है।” इसके जरिए दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और रणनीतिक सहय़ोग को बढ़ाने की और काम किया जा रहा है।
इसके साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह बीजिंग की यात्रा पर जाने वाले हैं। 2018 के बाद ये उनकी पहली चीन यात्रा होगी। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है।












