आईपीएल ट्रॉफी के साथ चिन्नास्वामी स्टेडियम में सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और आरसीबी के खिलाड़ी

बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून 2025 को हुए भयानक हादसे में 11 लोगों की जान चली गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस हादसे के लिए कर्नाटक सरकार ने अपनी रिपोर्ट में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) को जिम्मेदार ठहराया है।

सरकार का कहना है कि आरसीबी ने बिना पुलिस की इजाजत और बिना किसी तैयारी के विजय जुलूस और उत्सव का आयोजन किया, जिसके चलते इतना बड़ा हादसा हुआ। इस मामले में विराट कोहली का एक वीडियो भी चर्चा में है, जिसे आरसीबी ने अपने सोशल मीडिया पर डाला था। आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं।

भगदड़ से पहले और बाद में क्या हुआ

आरसीबी ने 3 जून 2025 को पहली बार आईपीएल का खिताब जीता। इसके जश्न में बेंगलुरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर विजय जुलूस और उत्सव का आयोजन किया गया। लेकिन इस आयोजन के लिए जरूरी इजाजत नहीं ली गई थी। सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, आरसीबी, उनके इवेंट पार्टनर डीएनए नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) ने बिना पुलिस से बात किए और बिना लाइसेंस लिए यह आयोजन कर डाला।

केएससीए के सीईओ शुभेंदु घोष ने 3 जून 2025 को शाम 6:30 बजे कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन को एक पत्र दिया था। पत्र में कहा गया कि अगर आरसीबी फाइनल जीतती है, तो अगले दिन विजय जुलूस निकाला जाएगा। लेकिन पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी, क्योंकि आयोजकों ने न तो भीड़ के आकार की जानकारी दी और न ही कोई तैयारी बताई।

इसके बावजूद 4 जून 2025 को सुबह 7:01 बजे आरसीबी ने अपने सोशल मीडिया पर जुलूस की घोषणा कर दी। सुबह 8:55 बजे एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें विराट कोहली ने लोगों को जश्न में शामिल होने का न्योता दिया। इस पोस्ट को 16 लाख लोग देख चुके थे। दोपहर 3:14 बजे एक और पोस्ट में बताया गया कि जुलूस शाम 5 से 6 बजे तक होगा और स्टेडियम में सीमित मुफ्त पास उपलब्ध हैं।

इन पोस्ट्स की वजह से लाखों लोग स्टेडियम के बाहर जमा हो गए। सरकार का अनुमान है कि करीब 3 से 5 लाख लोग वहां पहुंचे, जबकि स्टेडियम की क्षमता सिर्फ 35,000 है। दोपहर 3:14 बजे अचानक यह घोषणा की गई कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए पास जरूरी है, जिससे भीड़ में भगदड़ मच गई। लोग गेट तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। गेट नंबर 1, 2, 2A, 6, 7, 15, 17, 18 और 21 पर भगदड़ हुई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 50 से ज्यादा घायल हो गए। घायलों को बौरिंग और व्यदेही अस्पताल ले जाया गया।

जिम्मेदारी से साफ-साफ बच के निकली सरकार

कर्नाटक सरकार ने अपनी रिपोर्ट में सारा दोष आरसीबी पर डाला। सरकार का कहना है कि आरसीबी ने पुलिस से कोई इजाजत नहीं ली और सोशल मीडिया पर जुलूस की घोषणा करके लाखों लोगों को बुला लिया। सरकार ने कोहली के वीडियो का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने लोगों को जश्न में शामिल होने के लिए कहा था। सरकार के मुताबिक, आयोजकों ने सिर्फ एक पत्र देकर सूचना दी, लेकिन जरूरी अनुमति के लिए कोई आवेदन नहीं किया, जो कि 2009 के लाइसेंसिंग और कंट्रोलिंग ऑफ असेंबलीज एंड प्रोसेसन्स (बेंगलुरु सिटी) ऑर्डर के तहत जरूरी है।

हालाँकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस हादसे को गंभीरता से लिया और अपने आप इसकी जाँच शुरू की (सुओ मोटो पीआईएल)। कोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट माँगी। सरकार ने पहले इस रिपोर्ट को गोपनीय रखने की माँग की, लेकिन कोर्ट ने इसे सार्वजनिक करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई गोपनीय जानकारी नहीं है और यह सिर्फ तथ्यों का ब्यौरा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को यह रिपोर्ट आरसीबी, केएससीए और डीएनए नेटवर्क्स को देनी होगी।

पुलिस ने भी झटका हाथ

पुलिस का कहना है कि उन्हें आयोजन की पूरी जानकारी नहीं दी गई थी। कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर ने बताया कि 3 जून को केएससीए ने सिर्फ एक पत्र दिया, जिसमें जुलूस की बात थी, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं थी। पुलिस ने समय कम होने की वजह से इजाजत देने से मना कर दिया। इसके बावजूद, आरसीबी ने सोशल मीडिया पर जुलूस का ऐलान कर दिया। पुलिस ने कहा कि इतनी बड़ी भीड़ को संभालना मुश्किल था, क्योंकि रात में भी लोग सड़कों पर जश्न मना रहे थे। फिर भी, पुलिस ने सात घायल जवानों की मदद से स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की।

RCB बोली – अनुमति समेत बाकी जिम्मेदारी DNA, KCCA की

आरसीबी ने कर्नाटक हाई कोर्ट में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (सीएटी) के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसे हादसे का जिम्मेदार ठहराया गया था। आरसीबी का कहना है कि सीएटी ने बिना उनकी बात सुने यह फैसला दिया, जो कि गलत है। आरसीबी ने कहा कि मुख्यमंत्री का पोस्ट ने भीड़ को आकर्षित किया। वे मानते हैं कि सोशल मीडिया प्रमोशन किया, लेकिन पुलिस को सूचना दी थी। आरसीबी ने कहा कि अनुमति लेने और आयोजन की जिम्मेदारी डीएनए और केएससीए की थी। आरसीबी ने यह भी दावा किया कि हादसे के बाद उन्होंने पीड़ित परिवारों को आर्थिक की मदद दी और ‘आरसीबी केयर्स’ फंड बनाया।

बिना जानकारी के ही स्टेडियम में पहुँचे मुख्यमंत्री और डिप्टी मुख्यमंत्री?

हैरानी की बात है कि कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने इस हादसे में अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया। क्या पूरा सरकारी तंत्र इतना लापरवाह था कि बिना पुलिस की जानकारी, बिना किसी ठोस तैयारी और बिना इजाजत के स्टेडियम में उत्सव का आयोजन कर लिया गया? लोग स्टेडियम के बाहर मर रहे थे, घायल हो रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार स्टेडियम में जश्न मना रहे थे।

इतना ही नहीं, हादसे के बाद भी आरसीबी की पूरी टीम को विधानसभा ले जाया गया और वहाँ सम्मानित किया गया, जबकि उसी वक्त 11 परिवार अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा नुकसान झेल रहे थे और दर्जनों लोग अस्पतालों में जिंदगी की जंग लड़ रहे थे।

क्या यह सरकार की संवेदनहीनता नहीं है? एक तरफ लोग अपनी जान गँवा रहे थे, दूसरी तरफ सरकार और उसके नेता फोटो खिंचवाने और वाहवाही लूटने में व्यस्त थे। सरकार ने पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया, लेकिन क्या यह सिर्फ अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश नहीं थी? अगर पुलिस को पहले से जानकारी नहीं थी, तो फिर मुख्यमंत्री और उनके साथी स्टेडियम और विधानसभा में क्या कर रहे थे?

यह सवाल उठता है कि क्या सरकार ने सिर्फ अपनी छवि चमकाने के लिए इस आयोजन को बढ़ावा दिया, बिना यह सोचे कि इसका नतीजा क्या हो सकता है? यह हादसा सिर्फ आरसीबी की लापरवाही का नहीं, बल्कि कॉन्ग्रेस सरकार की गैर-जिम्मेदारी का भी नतीजा है। जनता के सामने अब यह सवाल है कि आखिर जिम्मेदार कौन है – क्या सिर्फ आरसीबी, या फिर वह सरकार जो अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए दूसरों पर ठीकरा फोड़ रही है?



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