देश के कई राज्य लगातार हो रही बारिश से बाढ़ की चपेट में हैं। एक तरफ जहाँ पहाड़ी इलाकों से भूस्खलन से भारी तबाही की भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं तो वहीं मैदानी इलाकों में फैले बाढ़ के पानी से परेशान लोग अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हैं। वहीं दिल्ली में यमुना का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। इसी के चलते दिल्ली के कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। इस बीच गढ़ी माडू गाँव से दो लोग लापता हैं जिनकी तलाश में NDRF की टीमें जुटीं हैं।

बाढ़ग्रस्त इलाकों से हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। इस बीच ऑपइंडिया की टीम दिल्ली के उस बाढ़ग्रस्त इलाके में पहुँची, जहाँ लोग राहत शिविरों में अपनी रात बिता रहे हैं। हम बृहस्पतिवार सुबह को डीएनडी होते हुए यमुना पुल पहुँचे। यहाँ यमुना का वर्षों बाद विशाल रूप दिखाई दे रहा है।

पुल पर खड़े कुछ लोग इस दृश्य को अपने मोबाइल में कैद कर रहे हैं तो कुछ अपनी आँखों में समेटने की कोशिश कर रहे हैं। इससे आगे मयूर विहार की ओर बढ़ने पर देखा कि एमसीडी के बंद पड़े टोल के दोनों ओर बड़ी संख्या में डूब क्षेत्र से निकाले गए पालतू पशु बंधे हैं।

इससे आगे लाल बत्ती पर जाकर देखा कि चौराहे से लेकर मयूर विहार वन के मेट्रो स्टेशन तक सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में सरकार द्वारा राहत शिविर के तहत टेंट लगाए गए हैं, जिसमें बाढ़ से प्रभावित हजारों लोग अपने दिन-रात काट रहे हैं। राहत शिविर के एक टेंट में रह रहे कासगंज निवासी चरन सिंह बताते हैं कि वह पिछले करीब 18 वर्षों से यहीं खादर के डूबा क्षेत्र में रहते हैं।

यहाँ करीब 4 बीधा खेत में सब्जी उगाते हैं और मेहनत मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। हमारे खेत में भिंडी, तोरई और गोभी की फसल थी, लेकिन बाढ़ ने सारी फसल को बर्बाद कर दिया। अब तो सब्जी की फसल से ज्यादा अपने परिवार की चिंता है। सरकार ने टेंट तो दे दिया है, लेकिन पीने का पानी और खाना पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। 

झुग्गियों में वापस जाने में लगेगा एक माह का समय

7 साल से अपने परिवार के साथ डूब क्षेत्र में रहने वाले बदायूँ निवासी ओमपाल बताते हैं कि मैंने आठ बीघा खेत में सब्जी लगा रखी थी। बाढ़ से सब कुछ बर्बाद हो गया। सरकार ने सुरक्षित रहने और खाने का इंतजाम तो कर दिया है, लेकिन हम कब तक दूसरों के भरोसे रहेंगे। अगर आज भी पानी उतर जाता है को हमें फिर से अपनी झुग्गी जमाने और वापस उसी स्थान पर जाने में एक महीने से अधिक का समय लगेगा।

यहीं रहने वाली बुलंदशहर की लाली नाम की महिला बताती है कि वह करीब 20 वर्षों से डूब क्षेत्र में रहती है पहले खेतों में मजदूरी करती थी लेकिन अब वह अपनी नर्सरी चलाती है लेकिन बाढ़ के पानी से नर्सरी में बड़ा नुकसान हुआ है। पता नहीं कब तक पहले जैसी स्थिति होगी सब कुछ भगवान भरोसे है। उन्होंने सरकार से स्थाई समाधान की माँग की।

इस बीच एक बिस्किट का कार्टून लिए चल रही ऊषा नाम की महिला खुद को एनिमल लवर बताते हुए यहाँ कुत्तों को बिस्किट खिला रही है और बच्चों को पानी से दूर रहने और लोगों से सुरक्षित स्थान पर जाने की अपील कर रही है। वह कहती हैं कि हर एक-दो साल बाद दिल्ली में इस तरह की बाढ़ आती है और अस्थाई समाधान के तौर पर सरकार राहत शिविर लगाती है, लेकिन कभी स्थाई समाधान नहीं निकालती। ये हाल देश की राजधानी दिल्ली का है।

राहत शिविरों में खाना-पानी पहुँचा रही सरकार

दिल्ली में बाढ़ के बीच सरकार द्वारा सैकड़ों राहत शिविर लगाए गए हैं। इसी कड़ी में मयूर विहार पर भी बड़ी संख्या में टेंट लगाकर बाढ़ पीड़ितों को रहने की जगह मुहैया कराई गई है। मौके पर एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम भी तैनात की गई हैं। साथ ही सरकार उनको भोजन, पानी और दवा भी पहुँचा रही है। अस्थाई शौचालय लगाए गए हैं। यहाँ तक कि रात्रि के लिए प्रकाश की भी व्यवस्था की गई है। जगह-जगह पुलिस चौकियाँ बनाई गई हैं।

वर्तमान हालात की बात करें तो दिल्ली के यमुना बाजार, बुराड़ी, एमनेस्टी मार्केट, तिब्बती बाजार आदि इलाकों की सड़कों पर बाढ़ का पानी घूम रहा है। आईटीओ का छठ घाट और बासुदेव घाट पूरी तरह पानी से डूब गए हैं और यमुना खादर, यमुना वाटिका, आसिता जैसे रिवर फ्रंट से जुड़े पार्कों में भी पानी भर गया है। बड़े पैमाने पर झुग्गियाँ खाली करा दी गईं हैं। साथ ही हजारों लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया जा रहा है।

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