नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले की जाँच में नए सुराग मिले हैं। इस हमले की जिम्मेदारी शुरू में द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है, लेकिन बाद में इसने दावा वापस ले लिया।

जाँच के दौरान NIA को श्रीनगर के यासिर हयात नाम के एक व्यक्ति का मोबाइल मिला, जिसमें 450 से ज्यादा कॉन्टैक्ट्स थे। इसी मोबाइल की मदद से TRF को फंडिंग देने वालों की पहचान में मदद मिली। इन संपर्कों में कुछ लोग पहले से ही अन्य आतंकी मामलों में जाँच के घेरे में हैं।

NIA को संदेह है कि TRF को फंडिंग के लिए मलेशिया के रास्ते हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया। जाँच में सजाद अहमद मीर नामक एक व्यक्ति का नाम सामने आया है, जो मलेशिया में रहता है। यासिर हयात की कॉल डिटेल्स से पता चला कि वह सजाद मीर से लगातार संपर्क में था और पैसे की व्यवस्था कर रहा था।

रिपोर्ट के अनुसार, हयात कई बार मलेशिया गया और मीर की मदद से करीब 9 लाख रुपए इकट्ठे किए, जो बाद में शफात वानी नामक TRF ऑपरेटिव को दिए गए। शफात वानी TRF का एक अहम सदस्य है और उसने भी मलेशिया की यात्रा की थी, लेकिन यह यात्रा ‘यूनिवर्सिटी कॉन्फ्रेंस’ के बहाने की गई थी, जबकि यूनिवर्सिटी ने ऐसी किसी स्पॉन्सरशिप की पुष्टि नहीं की।

NIA को यह भी पता चला कि हयात सिर्फ मीर से ही नहीं, बल्कि दो पाकिस्तानी नागरिकों से भी संपर्क में था। उसका मुख्य काम विदेशों से पैसे जुटाना और TRF के लिए फंडिंग की व्यवस्था करना था। NIA ने 13 अगस्त 2025 को बताया था कि उसे TRF की फंडिंग में विदेशी लिंक मिले हैं, जिसकी गहन जाँच की जा रही है।

TRF की स्थापना 2019 में हुई थी। पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा ने हिजबुल मुजाहिदीन की जगह एक नया ‘स्थानीय’ चेहरा देने के लिए इसे खड़ा किया था। इसका मकसद था कि कश्मीर में आतंक को स्थानीय आंदोलन की तरह पेश किया जाए और पाकिस्तान Financial Action Task Force (FATF) की निगरानी से बच सके।

भारत पहले ही TRF को आतंकी संगठन घोषित कर चुका है और पाकिस्तान पर इसे समर्थन देने का आरोप लगाता है। अब पहलगाम हमले के बाद अमेरिका ने भी TRF को ‘विदेशी आतंकी संगठन’ और ‘स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट’ घोषित कर दिया, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका था। इससे पाकिस्तान की आतंक से जुड़े दोहरे रवैये का पर्दाफाश हुआ।

गौरतलब है कि भारत का भगोड़ा इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक भी मलेशिया में ही है। जुलाई 2016 में बांग्लादेश के ढाका में बम धमाके के बाद जाकिर नाइक भारत से भाग गया था। इस धमाके में 29 लोगों की मौत हुई थी। हमले में शामिल आतंकियों ने कहा था कि वो नाइक के भाषणों से प्रभावित थे।

भारत में भगोड़ा घोषित होने के बाद से उसने मलेशिया में शरण ली हुई है। भारत सरकार मलेशिया की सरकार से उसके प्रत्यर्पण के लिए लगातार बातचीत कर रही है, लेकिन अभी तक उसका कोई परिणाम नहीं आया है।

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