भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी CPI(M) पर एक बार फिर धर्म को लेकर दोहरे रवैये का आरोप लगा है। केरल के पूर्व गृहमंत्री कोडियेरी बालाकृष्णन के बेटे और CPI(M) नेता बिनीश कोडियेरी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में टोपी पहने एक मुस्लिम व्यक्ति को पार्टी कार्यालय परिसर के अंदर नमाज़ अदा करते हुए देखा जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक, यह व्यक्ति कोल्लम का एक फेरीवाला है जो चादरें बेचकर जीविका चलाता है। घटना के समय बाहर बारिश हो रही थी, इसलिए उसने स्थानीय CPI(M) कार्यकर्ताओं से नमाज पढ़ने के लिए जगह माँगी।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने तुरंत उसे अंदर आने दिया और कार्यालय में नमाज़ अदा करने की अनुमति दी। एक्स पर आनंद नाम के यूजर ने इस वीडियो को साझा करते हुए दावा किया कि CPI(M) हिंदू और मुस्लिम अनुयायियों के साथ अलग-अलग व्यवहार करती है और धर्म के मुद्दे पर पाखंड दिखा रही है।
CPM Offers Space for Prayers: Viral Video from Kerala
A video of a man offering prayers inside a Communist Party office is now going viral in Kerala’s social media circles.
The Kollam native, who walks around selling bedsheets, had requested space in the party office to offer… pic.twitter.com/Xq6XKICcMM— Anand #IndianfromSouth (@Bharatiyan108) August 15, 2025
सीपीआईएम नेता बिनीश कोडियेरी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, माकपा CPI(M) ने हाल ही में एक मुस्लिम व्यक्ति को अपने पार्टी कार्यालय के अंदर नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी। पार्टी ने इस फैसले को प्रेम और भाईचारे की मिसाल बताया।
पार्टी नेताओं का कहना है कि जब बारिश में भीगता हुआ कोई व्यक्ति अपनी आस्था को निभाने के लिए जगह माँगता है, तो मानवता और सहयोग के नाते उसे जगह दी जानी चाहिए। इसी सोच के तहत उस मुस्लिम व्यक्ति को पार्टी कार्यालय में नमाज अदा करने की अनुमति दी गई।
पार्टी ने इसे लोगों की आस्था और भलाई की रक्षा का कदम बताया और कहा कि यही प्रेम और भाईचारा राज्य की सबसे बड़ी ताकत है। हालाँकि, आलोचकों का कहना है कि हिंदू आस्थाओं और परंपराओं के मामले में CPI(M) अक्सर ऐसा सामंजस्यपूर्ण और उदार रवैया नहीं दिखाती। यही वजह है कि पार्टी पर धर्म को लेकर दोहरे रवैये का आरोप लगाया जा रहा है।
CPIM ने गणपति हवन रोका
फरवरी 2024 में केरल के कोझिकोड जिले के नेदुमन्नूर एलपी स्कूल में आयोजित गणपति हवन पर CPIM ने आपत्ति जताई। जानकारी के अनुसार, CPIM से जुड़े लोगों को जब इस पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने वहाँ पहुँचकर अनुष्ठान रुकवा दिया और आयोजकों के साथ मारपीट भी की। इसके बाद पुलिस ने मामले को अपने हाथ में लिया और आयोजकों को गिरफ्तार कर लिया।

घटना यहीं नहीं रुकी। सीपीआईएम कार्यकर्ताओं ने बाद में स्कूल तक विरोध मार्च भी निकाला। जबकि यह पूजा स्कूल प्रशासन की पूर्व अनुमति से हो रही थी और हर साल महानवमी के अवसर पर परंपरा के तौर पर आयोजित की जाती रही है।
इस बार, जब नियमित कार्यक्रम रद्द हो गया था, तब स्कूल ने गणपति हवन का आयोजन किया। लेकिन इसके बावजूद CPI M ने इस धार्मिक आयोजन को सहन नहीं किया और विरोध जताया।
CPIM ने मंदिर में प्रार्थना करने पर पार्टी नेता को फटकार लगाई
सितंबर 2017 में CPIM ने अपने ही मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन को फटकार लगाई। वे त्रिशूर के प्राचीन श्री गुरुवायुर मंदिर गए थे और वहाँ परिवार के आग्रह पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल हुईं, जिनमें वे पारंपरिक मुंडू और मेलमुंडू पहने हुए दिखे।
उनके माथे पर चंदनकुरी भी थी और उनके बच्चे भगवान कृष्ण की वेशभूषा में नजर आए। उस समय सुरेंद्रन केरल के देवस्वओम मंत्री के पद पर कार्यरत थे। इस घटना के बाद CPIM की आंतरिक समिति ने कहा कि उनका आचरण पार्टी के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।
मामले पर एक जाँच रिपोर्ट भी तैयार की गई। पार्टी ने साफ किया कि श्री गुरुवायुर मंदिर में पूजा-अर्चना करना माकपा के सिद्धांतों के खिलाफ है और सुरेंद्रन को पार्टी नेताओं की परंपरा का पालन करने की हिदायत दी गई।
ज्योतिषी से मुलाकात के लिए CPIM नेता जाँच के घेरे में
अगस्त 2024 में CPIM के राज्य सचिव एम वी गोविंदन विवाद में आ गए। उन पर आरोप लगा कि वे महावा पोडुवल नामक एक हिंदू ज्योतिषी से ज्योतिष पर चर्चा करने गए थे। इस वजह से उन्हें पार्टी की नाराज़गी झेलनी पड़ी।
बाद में ज्योतिषी महावा पोडुवल ने सफाई दी कि गोविंदन सिर्फ उनके परिवार से मिलने और चाय पीने आए थे। उन्होंने कहा कि मुलाकात के दौरान ज्योतिष पर कोई चर्चा नहीं हुई। पोडुवल ने स्पष्ट किया, “व्यक्तिगत संबंधों को ज्योतिष से जोड़ना गलत है।
अगर कोई कहे कि गोविंदन गुरु ने ज्योतिष जाँच करवाई, तो यह असहनीय है।” उन्होंने यह भी बताया कि CPIM नेता एम वी गोविंदन और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन दोनों से उनके व्यक्तिगत रिश्ते हैं।
हर ‘हिंदू’ चीज पर आपत्ति
जुलाई 2022 में CPIM ने राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण कार्यक्रम के दौरान किए गए पूजन-विधि पर आपत्ति जताई थी। पार्टी का मानना था कि ऐसे सरकारी कार्यक्रम धर्मनिरपेक्ष होने चाहिए।
इसके अलावा, CPIM नेपाल की राजनीति में भी सक्रिय रही है और उसने वहाँ की दुनिया की एकमात्र हिंदू राजशाही को खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
CPIM का हिंदू विरोधी प्रचार
फरवरी 2025 में ऑपइंडिया ने खुलासा किया कि CPIM ने अपने 64 पन्नों के राजनीतिक मसौदे में हिंदू-विरोधी एजेंडा साफ तौर पर सामने रखा। मसौदे में नेपाल के हिंदू राष्ट्र और वहाँ की राजशाही समर्थक ताकतों के खिलाफ बयानबाजी की गई और दावा किया गया कि हिंदुत्व समर्थक और आरएसएस इन ताकतों का समर्थन कर रहे हैं।
पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को हिंदुत्व अभियान की निरंतरता बताया और काशी-मथुरा विवादों पर भी आपत्ति जताई। उसने धार्मिक जुलूसों को अल्पसंख्यक इलाकों में हिंसा फैलाने का साधन करार दिया और हिंदू समुदाय को दोषी ठहराने की कोशिश की।
पार्टी ने ग्रूमिंग जिहाद विरोधी कानूनों और आदिवासियों के धर्मांतरण पर लगाम लगाने की कोशिशों का भी विरोध किया। नए संसद भवन के उद्घाटन को हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ने पर भी पार्टी ने आपत्ति जताई और सेंगोल रखने का मजाक उड़ाया।
CPIM ने हिंदू इतिहास को पौराणिक कथा कहकर खारिज करने की कोशिश की और मीडिया, फिल्म और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर हिंदुओं की सकारात्मक छवि दिखाए जाने को भी नकारात्मक बताया। मसौदे में RSS पर इतिहास को सांप्रदायिक नजरिए से फिर से लिखने का आरोप लगाया गया।
इसके अलावा, सीपीआई (एम) ने सनातन धर्म को मनुवाद से जोड़कर पेश किया और हिंदुत्व का मुकाबला करने के लिए ताकत जुटाने की बात कही। वहीं, जमात-ए-इस्लामी और एसडीपीआई जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों की केवल सांकेतिक निंदा (मसौदा प्रस्ताव का पृष्ठ 54) की गई और संकेत दिया गया कि उनका कट्टरपंथ भी हिंदुत्व के उदय की प्रतिक्रिया है। इस पूरे मसौदे में पार्टी का हिंदू विरोधी रुख साफ झलकता है।