आगरा से गायब हुई दो सगी बहनों के बरामदगी से जुड़े मामले की जाँच के दौरान उजागर हुआ ‘धर्मांतरण गैंग’ आज पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस गिरोह के साथ ही चर्चा उत्तर प्रदेश पुलिस के ‘ऑपरेशन अस्मिता’ की भी है, जिसके तहत यूपी पुलिस ने 6 राज्यों में जाकर 9 स्थानों पर एक समय पर छापे मारे और 7 लड़कियों को बचाया।

इस केस और ऑपरेशन से जुड़ी हर जानकारी लेने के लिए हमने पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार से मुलाकात की। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ने पूरे ऑपरेशन अस्मिता और धर्मांतरण गैंग को लेकर ऑपइंडिया के साथ कई चौंकाने वाले खुलासे किए। पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार के मुताबिक आगरा पुलिस को 24 मार्च के दिन सदर थाने से दो सगी बहनों के अचानक गायब होने की लिखित शिकायत मिली थी। पीड़ित पिता की शिकायत पर सदर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई और छानबीन शुरू हुई।

प्रारंभिक जाँच के दौरान पुलिस को गुमशुदगी मामले में कोई सुराग नहीं मिला क्योंकि दोनों बहनों के पास न तो मोबाइल था और न कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस। पुलिस हर प्रयास करने के बावजूद लड़कियों की लोकेशन नहीं ट्रेस कर पा रही थी और केस वहीं का वहीं रुका हुआ था। देखते ही देखते 41 दिन बीत गए और पुलिस खाली हाथ ही रही।

इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर AK-47 देख उड़े पुलिस के होश

एक दिन अचानक पुलिस के सामने पीड़ित पिता ने साइमा नाम की लड़की के नाम पर संदेह जाहिर किया और पुलिस ने गुमशुदगी वाली रिपोर्ट में धाराएँ बढ़ाते हुए जाँच शुरू की। पड़ताल के दौरान छोटी बहन के इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर AK-47 के साथ मिली डीपी ने आगरा पुलिस के होश उड़ा दिए। केस की जाँच अब तेजी से आगे बढ़ने लगी थी।

मामले की गहनता से जाँच कर रही साइबर सेल व सर्विलांस यूनिट को एक बड़ी जानकारी हाथ लगी। वह ये कि अचानक से गायब दोनों बहन एक बड़े धर्मांतरण गिरोह का हिस्सा बन चुकी हैं। इसके बाद मामले की गंभीरता से देखते हुए आगरा पुलिस ने जाँच साइबर क्राइम और एटीएस को सौंप दी। इस बीच, दो ग़ायब बहनों की तीसरी बहन से उस माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के बारे में जानकारी मिली, जिस पर अक्सर वो दोनों बहनें जुड़ा करती थीं।

इस ब्लॉग पर आगरा पुलिस को ‘रिवर्टी’ नाम का एक पेज मिला जिस पेज की लोकेशन, कोलकाता थी। यहीं से आगरा पुलिस को सुराग मिला कि कोलकाता से चार देशों, अमेरिका, कनाडा, दुबई और लंदन, में संवाद हो रहा है और इसी लोकेशन से देश के 15 राज्यों में बैंक द्वारा पैसों का लेनदेन हुआ है। यही तथ्य आगरा पुलिस के लिए संजीवनी साबित हो गया।

जब एक महिला सब इंस्पेक्टर ‘रिवर्टी’ ग्रुप में हुई शामिल

पुलिस के लिए अब बड़ी चुनौती दो बहनों को वापस लाने के साथ ही धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश करने की थी। इसके लिए एक महिला सब इंस्पेक्टर को तैयार किया गया। गायब दो बहनों की तीसरी बहन से एक सोशल मीडिया एकाउंट के बारे में मिली जानकारी के बाद महिला पुलिस अधिकारी गैंग के एक ‘रिवर्टी’ ग्रुप में शामिल हो जाती है और फिर सदस्यों से व्यक्तिगत बातचीत करते हुए कई जानकारी जुटाती है।

कमिश्नर दीपक कुमार ने आईपीएस आदित्य के नेतृत्व में एक टीम बनाई। 100 फीसदी मुस्लिम इलाका होने के चलते एक विशेष टीम को तत्काल कोलकाता भेजा गया। यहाँ टीम ने अपनी पहचान छुपाकर करीब 5 दिन तक इलाके की रेकी की और फिर डीजीपी राजीव कृष्ण और पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने ऑपरेशन अस्मिता को अंजाम देने के लिए 11 टीमों का गठन किया।

ऑपरेशन अस्मिता को रखा गया था गोपनीय

टीम में शामिल करीब 45 पुलिसकर्मियों को विशेष रूप से ट्रेनिंग दी गई। ऑपरेशन को इतना गोपनीय रखा गया था कि एक-आध अधिकारियों के अलावा किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह कितने बड़े धर्मांतरण गिरोह की कमर तोड़ने वाले हैं। यहाँ तक कि किसी भी टीम को यह भी जानकारी नहीं थी कि कौन सी टीम कहाँ जाएगी। बड़ी बात यह कि पूरे ऑपरेशन में सरकारी गाड़ी के बदले किराए की टैक्सी का ही इस्तेमाल किया गया।

कुछ ही देर में ऑपरेशन अस्मिता के तहत दोनों गायब बहनों को मुस्लिम इलाके से बरामद कर लिया गया। हालाँकि इस दौरान आगरा पुलिस को स्थानीय लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। आगरा पुलिस कमिश्नर का तो यहाँ तक दावा है कि यूपी पुलिस ने एक साथ इतने स्थानों पर छापेमारी पहली बार की है।

‘ऑपरेशन अस्मिता’ की सफलता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों में 9 स्थानों पर की गई छापेमारी में 7 बहनों को सही सलामत गैंग के चंगुल से निकाला गया है। साथ ही इस मामले में गैंग से जुड़े 14 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। आरोपितों के पास से ‘इस्लाम और बहुजन समाज’, ‘धर्म परिवर्तन’ और ‘आपकी अमानत आपकी सेवा’ में जैसी पुस्तकें बरामद हुई हैं। साथ ही मोबाइल से हिंदू समाज को तोड़ने वाले तमाम वीडियो भी मिले हैं।



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