कर्नाटक SIT की जाँच में अबतक कोई सबूत नहीं मिले

कर्नाटक के धर्मस्थल में सामूहिक दफन का मामला अब कमजोर पड़ता दिख रहा है। SIT की खुदाई में अब तक कोई बड़ा सबूत नहीं मिला है। एक सफाईकर्मी ने आरोप लगाया था कि धर्मस्थल में महिलाओं और बच्चियों के शवों को दफनाया गया और उनके शरीर पर यौन उत्पीड़न के निशान भी थे। उसने 15 जगहों का भी जिक्र किया था। SIT ने 17 जगहों की छानबीन कर खुदाई की, लेकिन अभी तक कुछ हाथ नहीं लगा है।

इस मामले में राजनीति गरमा गई है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मंदिर को बदनाम किया जा रहा है और साजिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं, कॉन्ग्रेस ने बीजेपी पर आरोप मढ़ते हुए इसे राजनीति का नाम दिया है और कहा कि अगर आरोप झूठे साबित हुए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कैसे शुरू हुआ मामला

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब धर्मस्थल मंदिर के एक पूर्व सफाईकर्मी ने आरोप लगाया था कि उसे 1995 से 2014 के बीच महिलाओं और लड़कियों के शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था।

सफाईकर्मी ने 3 जून को अपनी शिकायत के साथ कुछ ‘सबूत’ भी दिखाए थे। एक हफ्ते बाद, वह अपनी पहचान छिपाकर और नाकाब के साथ चेहरा ढके कोर्ट में पेश हुआ था। उसने कुछ हड्डियाँ भी दिखाईं और कहा कि ये कब्र से निकाली गई हैं। मामले में एक महिला ने भी शिकायत दर्ज कर बताया था कि उसकी बेटी धर्मस्थल यात्रा के दौरान लापता हो गई थी।

SIT की जाँच

यह पूरा मामला बहुत गंभीर था। इसलिए, कर्नाटक सरकार ने इसकी जाँच के लिए 19 जुलाई 2025 को एक SIT गठित की। शिकायत करने वाले ‘सफाईकर्मी’ ने टीम को 15 जगहों के बारे में बताया, जहाँ शव दफनाने का आरोप था। SIT ने 17 जगहों की खुदाई शुरू कर दी।

खोदे गए 17 स्थानों में से कुछ भी नहीं मिला। यहाँ तक कि उस व्यक्ति ने कोर्ट में जो खोपड़ी दी थी, वह भी एक आदमी की निकली। जाँच से पता चला कि वह खोपड़ी करीब 30 साल पहले मरे हुए एक शख्स की थी। खुदाई के समय एक जगह पर कुछ पहचान पत्र भी मिले, जो एक ऐसे व्यक्ति के थे जिसकी बीमारी से मौत हो चुकी थी।

सफाईकर्मी ने दावा किया था कि एक जगह पर 16 फीट की गहराई में 60 से 100 शवों को दफन किया गया था। SIT ने रडार से वहाँ की भी जाँच की, लेकिन कुछ नहीं मिला। जाँच के दौरान सफाईकर्मी का बर्ताव भी थोड़ा अजीब था।

एक जगह की खुदाई करते समय, उसे अचानक याद आया कि असली जगह तो वहाँ से 150 मीटर दूर है। जब टीम वहाँ गई तो उन्हें जमीन पर 81 हड्डियाँ मिलीं, जो दफन नहीं थीं।

जो हड्डियाँ मिली थीं, उन्हें डॉक्टरों ने देखा। पहली नजर में ये हड्डियाँ किसी आदमी की लग रही थीं। वहाँ एक पेड़ से लटकी हुई लाल साड़ी भी मिली। पास में मर्दों के कपड़े भी पड़े थे। डॉक्टरों का कहना है कि यह आत्महत्या का मामला लग रहा है। जब उस जगह की खुदाई की गई तो वहाँ और कुछ नहीं मिला।

SIT अब एक और जगह की जाँच करेगी। यह वह जगह है जहाँ एक दूसरे गवाह ने कहा था कि उसने एक 13 साल की बच्ची को दफनाते देखा था।

SIT ने पहले ही दो जगहों से मिले कंकालों के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। वे इसकी जाँच कर रहे हैं। साथ ही, वे लापता हुई अनन्या भट्ट के मामले की भी जाँच कर रहे हैं। अनन्या की माँ ने उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी।

राजनीति और परिणाम

धर्मस्थल में जो कुछ हो रहा था, उसे लेकर वहाँ के पुजारी और भक्तों ने ‘सफाईकर्मी’ और उसका समर्थन करने वालों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। ये लोग धर्मस्थल पुजारियों पर झूठे आरोप लगा रहे थे।

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शुक्रवार (15 अगस्त 2025) को कहा कि धर्मस्थल की छवि खराब करने की जो कोशिश की जा रही है, उसकी जाँच से सच्चाई सामने आ जाएगी। डीके शिवकुमार ने यह भी चेतावनी दी कि अगर धर्मस्थल में ‘सामूहिक दफन’ की बात झूठी निकली तो सख्त कदम उठाए जाएँगे।

वहीं, बीजेपी ने शनिवार (16 अगस्त 2025) को धर्मस्थल मंदिर तक एक बड़ी रैली निकाली। इस रैली में उन्होंने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की, जो मंदिर की छवि को बदनाम करने की साजिश रच रहे।

बीजेपी नेता एसआर विश्वनाथ ने बताया कि पार्टी पहले चुप थी क्योंकि उन्हें लगा था कि आरोपों में कुछ सच्चाई हो सकती है। लेकिन, अब जब खुदाई में कोई शव नहीं मिल पाया है तो पार्टी ने मंदिर के पक्ष में खड़े होने का फैसला किया है। वे इस झूठे प्रचार के खिलाफ हैं। फिल्हाल सफाईकर्मी राज्य सरकार की सुरक्षा में है।

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