राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी वर्ष व्याख्यान शृंखला के तहत दिल्ली के विज्ञान भवन में तीन दिवसीय कार्यक्रम का गुरुवार (28 अगस्त 2025) को समापन हुआ। समापन सत्र में सरसंघचालक मोहन भागवत ने लोगों के संघ और उसकी कार्यशैली से जुड़े सवालों के जवाब दिए हैं। इस कार्यक्रम में 50 से अधिक देशों के राजदूतों, उद्योगपतियों, न्यायाधीशों, राजनीतिक नेताओं और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियों सहित लगभग 2,000 लोगों को आमंत्रित किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पूछे गए कुछ सवाल और उनके जवाब –
प्रश्न: देश में जनसांख्यिकीय असंतुलन की वजह क्या है?
मोहन भागवत: धर्मांतरण और अवैध प्रवास इसके बड़े कारण हैं। धर्म व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद होनी चाहिए, उसमें किसी तरह का दबाव या प्रलोभन नहीं होना चाहिए।
प्रश्न: अवैध प्रवास पर सरकार की कोशिशों को आप कैसे देखते हैं?
भागवत: सरकार रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। हमें अवैध प्रवासियों को नौकरी नहीं देनी चाहिए। पहले अपने लोगों को, चाहे वे मुसलमान ही क्यों न हों, रोजगार देना चाहिए।
प्रश्न: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर आपका क्या विचार है?
भागवत: यह सही दिशा में कदम है। हमारी शिक्षा व्यवस्था विदेशी आक्रांताओं के समय नष्ट हो चुकी थी। वे देश पर शासन करना चाहते थे, विकास नहीं। अब जब हम स्वतंत्र हैं तो हमें जनता को आगे बढ़ाना है।
प्रश्न: आरएसएस और भाजपा के रिश्तों को लेकर हमेशा सवाल उठते हैं। क्या भाजपा अध्यक्ष चुनने में संघ का हाथ होता है?
भागवत: यह पूरी तरह गलत धारणा है। अगर हम तय करते तो इतना समय क्यों लगता? सुझाव दिए जा सकते हैं लेकिन फैसला उनका ही होता है।
प्रश्न: प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को हटाने वाले हालिया विधेयकों पर आपकी राय?
भागवत: नेतृत्व पारदर्शी और बेदाग होना चाहिए, यही मूल आधार है। संसद सर्वोच्च संस्था है, वही जो भी निर्णय लेगी, लागू होगा। अभी चर्चा चल रही है, देखते हैं आगे क्या होता है।
प्रश्न: भाजपा अध्यक्ष के नाम को लेकर चर्चा है, क्या संघ इसमें कोई भूमिका निभा रहा है?
भागवत: हमने कभी ऐसा फैसला नहीं किया और न करना चाहते हैं। यह पार्टी का अधिकार है। हम सिर्फ वैचारिक मार्गदर्शन देते हैं।
"..मैंने ये नहीं कहा कि मैं 75 वर्ष की आयु में रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को रिटायर हो जाना चाहिए"
◆ '75 साल के बाद क्या राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए' सवाल के जवाब में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा#MohanBhagwat | RSS | #AskToRSS |मोहन भागवत pic.twitter.com/5RolN0CsGr— News24 (@news24tvchannel) August 28, 2025
प्रश्न: क्या 75 साल की उम्र होते ही नेताओं को पद छोड़ देना चाहिए?
मोहन भागवत: मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे पद छोड़ना चाहिए या किसी और को पद छोड़ देना चाहिए। जिस दिन मुझसे कहा जाएगा, “जाओ, शाखा चलाओ,” मैं चला जाऊँगा।
उन्होंने आगे कहा, “संघ में हमें काम दिया जाता है, चाहे हम चाहें या न चाहें। अगर मैं 80 साल का भी हो जाऊँ और मुझे शाखा संचालित करने के लिए कहा जाए, तो मुझे जाना ही पड़ेगा। हम वही करते हैं जो संघ कहता है। मैं सरसंघचालक हूँ लेकिन क्या आपको लगता है कि सिर्फ मैं ही सरसंघचालक हो सकता हूँ? यह किसी के लिए रिटायरमेंट का मामला नहीं है।”
वहीं, मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कहा, “भारत की जनसंख्या नीति 2.1 बच्चों की है। एक परिवार में तीन बच्चे हों, हर नागरिक को यह देखना चाहिए कि उसके परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए।” उन्होंने कहा, “जनसंख्या बोझ भी हो सकती है। इसलिए जनसंख्या नीति भी है। जनसंख्या नियंत्रित रहे इसलिए तीन से बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ना चाहिए। जन्मदर कम होने की अगर बात है तो वह सबका कम हो रहा है।”
कार्यक्रम के अंतिम दिन मोहन भागवत ने इस मंच से साफ किया कि संघ की विचारधारा भारत की परंपराओं से जुड़ी है और विकास की राह पर सभी को साथ लेकर चलने का लक्ष्य है। तीन दिन चली इस व्याख्यान शृंखला में दुनिया भर से आए मेहमानों और देश के अलग-अलग तबकों की मौजूदगी ने इसे खास बना दिया। 100 वर्ष पूरे होने पर संघ कई विशेष कार्यक्रम चला रहा है जिसमें यह व्याख्यान शृंखला भी शामिल है।