बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान की बेटी और उभरती हुई अभिनेत्री सुहाना खान हाल ही में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक जमीन की खरीद को लेकर विवादों में आ गई हैं। उन्होंने 30 मई 2023 को अलीबाग के थल गाँव में एक कृषि भूमि (agricultural land) खरीदी, जिसकी कीमत लगभग 12.91 करोड़ थी। यह जमीन मुंबई के खोटे परिवार (कफ परेड निवासी) से खरीदी गई थी और 77.46 लाख की स्टाम्प ड्यूटी भी भरी गई।

मामला इस बात को लेकर उठ रहा है कि क्या जमीन खरीदते समय सभी जरूरी कानूनी अनुमति और दस्तावेज पूरे किए गए थे या नहीं। महाराष्ट्र में कृषि भूमि केवल उन्हीं लोगों को बेची जा सकती है, जो किसान माने जाते हैं। अब अलीबाग के तहसीलदार से इस जमीन की जाँच कर रिपोर्ट माँगी गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नियमों का पालन हुआ या नहीं।

भारत में कृषि भूमि खरीदने के क्या हैं नियम

भारत में कृषि भूमि खरीदने के नियम अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं। कुछ राज्यों में नियम सख्त हैं, जबकि कुछ राज्यों में यह आसान होता है। किसी व्यक्ति के पास पहले से कृषि भूमि होनी चाहिए। इसका रिकॉर्ड 7/12 उतरा (जिसे 7/12 एक्सट्रैक्ट या नकाशा भी कहते हैं) जैसे दस्तावेजों में होना चाहिए।

कुछ राज्यों में आप ‘किसान प्रमाण पत्र’ भी बना सकते हैं। यह प्रमाण पत्र स्थानीय राजस्व विभाग से मिलता है, जिसके लिए पहचान पत्र और जमीन से जुड़े दस्तावेज देने होते हैं। कई बार अगर परिवार में कोई सदस्य किसान है, तो उस आधार पर भी कृषि भूमि खरीदी जा सकती है।

कौन नहीं खरीद सकता?

कई राज्यों में गैर-किसानों को कृषि भूमि खरीदने की अनुमति नहीं होती, जब तक वे किसान का दर्जा साबित न करें। वहीं कुछ राज्यों में यह जरूरी होता है कि खरीदार स्थानीय निवासी हो या राज्य सरकार से विशेष अनुमति ले।

जहाँ एक तरफ तमिलनाडु में केवल वे किसान, जिनके पास वैध कृषि की कमाई का सबूत है, वे ही कृषि भूमि खरीद सकते हैं। गैर-किसानों को इसके लिए विशेष सरकारी मंजूरी की जरूरत होती है। वहीं महाराष्ट्र में इसके लिए सख्त नियम हैं। केवल किसान ही कृषि भूमि खरीद सकते हैं।

जमीन खरीदने के लिए जरूरी दस्तावेजों में टाइटल डीड (Title Deed) होना अति आवश्यक होता है। यह जमीन पर मालिकाना हक साबित करता है। दूसरा जरूरी दस्तावेज सेल एग्रीमेंट (Sale Agreement) है, जो सौदे की शर्तें बताता है। वहीं स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन, सौदे को कानूनी रूप से मान्यता देते हैं।

अहम दस्तावेजों में शामिल टैक्स रसीदें, यह दिखाती हैं कि जमीन पर कोई बकाया नहीं है। एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate) यह प्रमाणित करता है कि जमीन पर कोई कानूनी या वित्तीय झगड़ा नहीं है।

भूमि मापन प्रमाणपत्र (Land Measurement Certificate) जमीन का सही आकार दर्शाता है। वही पॉवर ऑफ अटॉर्नी (अगर लागू हो) तब जरूरी होता है, जब कोई व्यक्ति किसी और की ओर से सौदा कर रहा हो।

बात करें टैक्स की तो कृषि आय भारत में आम तौर पर इनकम टैक्स से मुक्त है। ग्रामीण कृषि भूमि की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता (अगर वह नगरपालिका क्षेत्र से बाहर है)। वहीं शहरी कृषि भूमि पर टैक्स से छूट Section 54B के तहत मिलती है, अगर बिक्री की राशि से दो साल के भीतर फिर से कृषि भूमि खरीदी जाए।

सुहाना खान के मामले में जाँच इस बात की हो रही है कि क्या कृषि भूमि खरीदने के सभी कानूनी नियमों का सही से पालन किया गया था या नहीं। यह मामला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि भारत में कृषि भूमि खरीदने से पहले नियमों को अच्छी तरह से समझना और आवश्यक कानूनी दस्तावेज तैयार करना कितना जरूरी है।

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