जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से यह बता रहे थे कि कभी 125 जिलों में फैला नक्सलवाद अब केवल 20 जिलों तक सिमट गया है। उसी समय वामपंथी आतंकियों का गढ़ रहे बस्तर के सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिले के 29 गाँवों में एक नया अध्याय लिखा जा रहा था।
इन 29 गाँवों में देश की आजादी के बाद पहली बार स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया गया है। बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के लाल बाग मैदान में केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू और दंतेवाड़ा में BJP प्रदेश अध्यक्ष व जगदलपुर के विधायक किरण सिंहदेव ने तिरंगा फहराया है।
नक्सलवाद पर क्या बोले पीएम मोदी?
पीएम मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन के दौरान नक्सलवाद की समस्या को लेकर विस्तार से बात की है। पीएम मोदी ने कहा, “भारत के नक्शे में जिन क्षेत्रों को लहूलुहान कर लाल रंग से रंग दिया गया था, हमने वहां संविधान, कानून और विकास का तिरंगा फहरा दिया है।”
उन्होंने कहा, “देश का बहुत बड़ा जनजातीय क्षेत्र नक्सलवाद की चपेट में पिछले कई दशकों से लहूलुहान हो चुका था। सबसे ज्यादा नुकसान जनजातीय परिवारों को हुआ।” पीएम मोदी ने कहा कि जनजातीय माताओं-बहनों ने अपने सपने के होनहार बच्चों को खो दिया।
बस्तर को लेकर पीएम मोदी ने कहा, “एक जमाना था जब बस्तर को याद करते ही नक्सलवाद बम-बंदूक की आवाज सुनाई देती थी। उसी बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त होने के बाद जब बस्तर के नौजवान ओलंपिक करते हैं, हजारों नौजवान भारत माता के जय बोलकर के खेल के मैदान में उतरते हैं, पूरा वातावरण उत्साह से भर जाता है। जो क्षेत्र कभी रेड कॉरिडोर के रूप में जाने जाते थे, वह आज विकास के ग्रीन कॉरिडोर बन रहे हैं।”
पीएम ने कहा, “कभी 125 से अधिक जिलों में नक्सलवाद अपनी जड़े जमा चुका था, आज कम करते-करते हम इसे 20 पर ले आए हैं। जनजातीय क्षेत्रों को नक्सल से मुक्त कर, जनजातीय परिवार के नौजवानों की जिंदगी बचा कर, हमने भगवान बिरसा मुंडा को एक सच्ची श्रद्धांजलि दी है।”
नक्सलवाद के खात्मे के लिए शाह की मार्च 2026 की डेडलाइन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए 31 मार्च 2026 की डेडलाइन तय की है। इसका असर भी जमीन पर साफ नजर आने लगा है। दूरदराज के इलाकों और जनजातीय गाँवों के विकास की इस बाधा को हटाने के लिए लगातार नक्सलियों को मुख्य धारा में लौटने के लिए कहा जा रहा है और एनकाउंटर में ढेर किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों को मुक्त करने और लाल आतंक को खत्म करने के उद्देश्य से ऑपरेशन कगार (ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट) शुरू किया है। इसके चलते जिन इलाकों में अब तक नक्सलियों का नियंत्रण था, वो अब मुक्त हो रहे हैं और विकास के बाद बाकी हिस्सों के साथ मिलकर देश की भागीदारी में हिस्सा बन रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार (15 अगस्त) को बताया है कि पिछले 20 महीनों में सुरक्षाबलों ने 450 नक्सलियों को ढेर कर दिया है और 1,578 को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान 1,589 नक्सलियों ने पुलिस या सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण किया है।
नक्सलवादी हिंसा की घटनाओं में भी बीते वर्षों में भारी कमी आई है। 2010 में नक्सली हिंसा की 1,936 घटनाएँ हुई थीं। 2024 में यह संख्या 81% की कमी के साथ 374 रह गई है। इसके अलावा इस दौरान कुल मौतों (नागरिक + सुरक्षा बल) की संख्या में भी 85% की कमी हुई है। यह संख्या 2010 में 1,005 से घटकर 2024 में 150 रह गई है।
2004 से 2014 के बीच नक्सली हिंसा की कुल 16,463 घटनाएँ हुईं जबकि 2014 से 2024 के दौरान हिंसक घटनाओं की संख्या में 53% की कमी आई है और यह संख्या घटकर 7,744 रह गई है।
विकास की राह पर नक्सल प्रभावित रहे क्षेत्र
नक्सलवाद से प्रभावित रहे क्षेत्र अब विकास के रास्ते पर बढ़ रहे हैं और मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। सरकार ने नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों के विस्तार के लिए सड़क आवश्यकता योजना (RRP) और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (RCPLWEA) जैसी योजनाएँ शुरू की गई हैं।
नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से 2014-15 से 8,640 मोबाइल टावर स्थापित किए गए हैं। साथ ही, कौशल विकास के लिए 46 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) और 49 कौशल विकास केंद्र (SDC) खोले गए हैं। इसके अलावा, जनजातीय क्षेत्रों में बहेतर शिक्षा के उद्देश्य से 179 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (EMRS) बनाए गए हैं।
डाक विभाग ने नक्सलवाद से प्रभावित जिलों में बैंकिंग सेवाओं के साथ 5,899 डाकघर खोले हैं। नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में 1,007 बैंक शाखाएँ और 937 एटीएम खोले गए हैं। 2017 के बाद से नक्सलवाद प्रभावित जिलों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना के तहत 3,769.44 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।