राहुल गाँधी के बाद अब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया। अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गलत तरीके से हटा दिए गए हैं। इसके अलावा अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग को सबूत देने का भी दावा किया।
लेकिन चुनाव आयोग ने इन सभी आरोपों की जाँच में पाया कि ये शिकायतें झूठी है। जिलों के डीएम ने खुद X पर पोस्ट कर जानकारी दी कि जिन लोगों के नाम हटाने की बात कही गई थी, उनके मामले अलग-अलग थे। इनमें कुछ मृतक पाए गए और कुछ लोगों के नाम दो बार शामिल थे।
अखिलेश यादव के आरोप
अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट कर बताया कि यूपी के कई विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटा दिए गए हैं, जो वोट चोरी का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने इस संबंध में चुनाव आयोग को कई सबूत दिए हैं, लेकिन आयोग इन्हें नजरअंदाज कर रहा है।
जो चुनाव आयोग ये कह रहा है कि हमें यूपी में समाजवादी पार्टी द्वारा दिये गये ऐफ़िडेविट नहीं मिले हैं, वो हमारे शपथपत्रों की प्राप्ति के प्रमाण स्वरूप दी गयी अपने कार्यालय की पावती को देख ले। इस बार हम मांग करते हैं कि चुनाव आयोग शपथपत्र दे कि ये जो डिजिटल रसीद हमको भेजी गयी है वो… pic.twitter.com/9A4njvF9Tw
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 17, 2025
अखिलेश यादव ने खास तौर पर इन 4 जिलों का नाम लेकर आरोप लगाया। लखनऊ के बक्शी का तालाब में 13 मतदाताओं के नाम हटाए गए। कासगंज के अमांपुर में 8 मतदाताओं के नाम हटाए गए। बाराबंकी के कुर्सी में 2 मतदाताओं के नाम हटाए गए। जौनपुर में 5 मतदाताओं के नाम हटाए गए। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग द्वारा दी गई डिजिटल रसीद पर अगर गलत साबित होती है तो ‘डिजिटल इंडिया’ की विश्वसनीयता भी खतरे में है।
एक-एक DM ने बताई सच्चाई
अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर जो सवाल उठाए थे उसकी गहराई से जाँच की गई और पाया कि हर शिकायत झूठी थी। सभी जिलों के DM ने खुद X पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी।
लखनऊ – बक्शी का तालाब (13 मतदाता): शिकायत में कहा गया था कि 13 मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए। जाँच में पता चला कि सिर्फ एक मतदाता का नाम 2012 में इसलिए हटाया गया था क्योंकि वह उस क्षेत्र में नहीं रहता था। बाकी सभी 12 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं।
लखनऊ जिले के विधान सभा क्षेत्र 169-बक्शी का तालाब के 13 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से गलत ढंग से काट दिये जाने के संबंध में शिकायत प्राप्त हुयी थी। जांच में पाया गया कि एक मतदाता का नाम अपने क्षेत्र में निवासरत न रहने के कारण वर्ष 2012 में नियमानुसार विलोपित किया गया था। (1/2) https://t.co/14Y4E6S22r
— DEO Lucknow (@LucknowDEO) August 19, 2025
कासगंज – अमांपुर (8 मतदाता): शिकायत के अनुसार, 8 मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए थे। जाँच में पाया गया कि 7 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दो बार दर्ज थे, इसलिए नियमानुसार एक नाम को विलोपित (हटा दिया गया) किया गया। एक मतदाता का नाम अभी भी मतदाता सूची में है।
ईमेल के माध्यम से जनपद कासगंज की विधान सभा 101 अमांपुर के अंतर्गत 8 मतदाताओं के नाम गलत ढंग से काटने की शिकायत प्राप्त हुयी थी।जांच में पाया गया कि 7 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दो बार होने के कारण नियमानुसार एक नाम को विलोपित किया गया था। (1/2) https://t.co/icgH4iyy00
— DM Kasganj (@DmKasganj) August 19, 2025
बाराबंकी- 266 कुर्सी (2 मतदाता): यहाँ दो मतदाताओं ने शपथ पत्र दिया था कि उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। जाँच में पता चला कि दोनों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं।
बाराबंकी जिले के विधान सभा क्षेत्र 266-कुर्सी के 2 मतदाताओं के शपथ पत्र उनके नाम मतदाता सूची से गलत ढंग से काट दिये जाने के संबंध में प्राप्त हुए। जांच में पाया गया कि उपर्युक्त दोनों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं। https://t.co/Qk2axJ5UEe
— DM Barabanki (@BarabankiD) August 19, 2025
जौनपुर (5 मतदाता): इस शिकायत में दावा किया गया था कि पाँच मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं। आयोग की जाँच से यह खुलासा हुआ कि ये सभी पाँचों मतदाता 2022 से पहले ही मर चुके थे। इसकी पुष्टि उनके परिवार के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने भी की थी। इसलिए, इनके नाम नियमानुसार हटाए गए थे।
ईमेल के माध्यम से जनपद जौनपुर की विधान सभा 366 जौनपुर के अंतर्गत पांच मतदाताओं के नाम गलत ढंग से काटने की शिकायत प्राप्त हुयी थी। वर्णित सभी पांचों मतदाता वर्ष 2022 के पूर्व ही मृतक हो चुके थे। इसकी पुष्टि सम्बंधित मृतक मतदाता के परिवार के सदस्यों, स्थानीय लोगों सहित स्थानीय… https://t.co/waiNov1BJ9
— DM JAUNPUR (@DMjaunpur) August 19, 2025
चुनाव आयोग की इस विस्तृत जाँच से यह साबित होता है कि अखिलेश यादव के ‘वोट चोरी’ के सभी आरोप निराधार हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से नियमानुसार और पारदर्शी है।
जिन मामलों में नाम हटाए गए, वे या तो दोहरे नामांकन के कारण थे या फिर मतदाता की मृत्यु हो गई थी। इस तरह के झूठे आरोप लगाकर अखिलेश यादव न केवल एक संवैधानिक संस्था पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि जनता को भी गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।