कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जिस तरह की योजनाएँ लागू की गई थी, उसी तरह की योजनाएँ लागू कर लोगों को राहत दी जाएगी। इसके अलावा अमेरिका से इतर ग्लोबल बाजार तलाशने और सप्लाई चेन को लेकर रणनीति बनाई जा रही है।
नकदी बाजार में बनाए रखने पर जोर
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया है कि सरकार सबसे पहले नकदी की समस्या का समाधान निकालेगी। माना जा रहा है कि अमेरिकी टैरिफ की वजह से नकदी की दिक्कत, सामान पहुँचने में देरी, ऑर्डर रद्द होना जैसी समस्याएँ आ सकती हैं।
निर्यातकों को जब तक नई ग्लोबल बाजार नहीं मिलती है, तब तक राहत देना जरूरी है। इसके लिए सरकार तुरंत राहत देने के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से योजनाएं लागू करेगी ताकि लंबी अवधि की रणनीति भी तैयार हो सके। नकदी उपलब्ध कराने के अलावा, मौजूदा व्यापार समझौतों को मजबूत करना और नई मार्केट में अवसर तलाशने का काम भी तेजी से किया जाएगा।
राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है सरकार
कोरोना लॉकडाउन के दौरान जिस तरह आम लोगों के साथ-साथ लघु और मध्यम उद्योगों के लिए स्कीम लाए गए थे, उन्हें फिर से दोहराया जा सकता है। सरकार इमरजैंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम यानी ECLGS जैसी योजनाओं को लागू कर सकती है। इसके तहत उद्योगों को बगैर गारंटी के 100 फीसदी लोन उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार का पूरा फोकस लघु और मध्यम उद्योगों पर है। इन्हें बचाने के लिए लॉकडाउन के 68 दिनों में ये स्कीम लागू किए गए थे। हालाँकि वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से इसमें कुछ बदलाव लाए जा सकते हैं। इसके अलावा लंबी अवधि की रणनीति तैयार की जा रही है, ताकि नकदी की उपलब्धता बनी रहे। दूसरे देशों से व्यापार समझौते को मजबूत करने और नए बाजार की तलाश का काम और तेज हो।
प्लान1: ECLGS योजना
सरकार जीएसटी रिफॉर्म कर छोटे और मझोले उद्योगों को कई तरह के राहत देने जा रही है। अधिकारियों ने मुताबिक घरेलू माँग की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था अभी मजबूत है। लेकिन निर्यात में गिरावट का असर पड़ सकता है, क्योंकि आर्थिक विकास में निर्यात अहम भूमिका निभाता है। हालाँकि कुल 4.12 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी में इसका योगदान मात्र 10 फीसदी यानी 438 बिलियन डॉलर ही है। यही वजह है कि जून तिमाही में भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.8% दर्ज की गई।
क्या है ECLGS
इमरजैंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना ( ECLGS)’आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत शुरू की गई भारत सरकार की एक योजना है। इसे मई 2020 में लागू की गई थी। इसका मकसद कोविड काल से प्रभावित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और दूसरे व्यवसायों को राहत देना है। इसके तहत उद्योगों को बगैर गारंटी के 100 फीसदी लोन दिया जाता है, ताकि उद्योगों को चलाने में दिक्कत न आए।
इसके तहत 1.19 करोड़ उद्योगों को ₹3.68 लाख करोड़ लोन दिए गए। जिसका मात्र 6 फीसदी हिस्सा ही एनपीए हुआ यानी ₹22,000 करोड़। सरकार का मानना है कि ये अनुमान से काफी कम था।
एनपीए ऐसी स्थिति होती है, जब ऋणकर्ता अपने लोन के ब्याज या मूलधन के किश्त को 90 दिनों या उससे अधिक दिनों तक नहीं दे पाता है।
प्लान2: डायरेक्ट इनकम सपोर्ट योजना पर विचार
सरकार एमएसएमई में काम कर रहे कर्मचारियों और दूसरे अस्थाई कर्मचारियों की मदद के लिए (Direct Income Support) प्रत्यक्ष आय योजना लागू करने पर विचार कर रही है। इसका मकसद एमएसएमई के क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरी जाने की स्थिति में उन्हें आर्थिक मदद करना है। मनी कंट्रोल के मुताबिक योजना का प्रारूप तैयार कर लिया गया है और इसे जल्द लागू किया जा सकता है।
प्लान3: कोलेट्रल फ्री लोन की सीमा बढ़ सकती है
आरबीआई क्रेडिट गारंटी योजना यानी CGS के तहत एमएसएमई के अंतर्गत आने वाले उद्योगों को बिना गिरवी के ऋण देने की सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ा कर 20 लाख रुपए कर सकती है। CGS को 2010 में शुरू किया गया था। इसका संचालन क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज करता है। ये ट्रस्ट बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ये गारंटी देता है कि अगर एमएसएमई कंपनी लोन नहीं चुका पाती है तो ट्रस्ट बकाया राशि का 75 से 90 फीसदी हिस्सा चुकाएगा।
प्लान4: एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत सस्ता कर्ज देने की योजना
यूनियन बजट 2025-26 के तहत मोदी सरकार ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन की बात कही थी। इसके तहत 25000 करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया गया था। पैकेज के तहत एक्सपोर्टर्स को सस्ता कर्ज और बेहतर मार्केट एक्सेस उपलब्ध कराने की योजना है। इससे ट्रंप के टैरिफ के निगेटिव असर से भी एक्सपोर्ट्स को बचाने में मदद मिलेगी। इस पर तेजी से काम किया जा रहा है।