अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर जारी विवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अहम टिप्पणियाँ की हैं। जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी ‘रेड लाइन’ से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे बात किसानों के हितों की हो या रणनीतिक स्वायत्तता की। अमेरिका द्वारा लगाए टैरिफ पर जयशंकर ने कहा, “इसे तेल का मुद्दा बताया जाता है लेकिन चीन पर कोई टैरिफ नहीं लगाया गया।”
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका के साथ ट्रेड को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “बातचीत अभी भी चल रही हैं लेकिन हमारी कुछ रेड लाइन्स हैं। सबसे अहम है किसानों और छोटे उत्पादकों के हित, यह ऐसा मुद्दा है जिस पर समझौता संभव नहीं है।”
जयशंकर ने अमेरिका पर सवाल उठाते हुए कहा, “इसे तेल का मुद्दा बताया जाता है लेकिन चीन, जो रूस से सबसे बड़ा आयातक है, उस पर कोई टैरिफ नहीं लगाया गया। भारत को निशाना बनाने वाली दलीलें चीन पर क्यों लागू नहीं होतीं?”
इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोप और अमेरिका को लेकर कहा, “अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में समस्या है, तो इसे न खरीदें, लेकिन यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है। अगर पसंद नहीं तो हमसे मत खरीदिए।”
#WATCH | Delhi: At The Economic Times World Leaders Forum 2025, EAM Dr S Jaishankar says, "It's funny to have people who work for a pro-business American administration accusing other people of doing business. If you have a problem buying oil or refined products from India, don't… pic.twitter.com/rXW9kCcVuv
— ANI (@ANI) August 23, 2025
उन्होंने आगे कहा, “यह हास्यास्पद है कि एक व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करने वाले लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं।” अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “उनका एक-दूसरे के साथ इतिहास रहा है और अपने इतिहास को नजरअंदाज करने का भी उनका इतिहास रहा है।”
ट्रंप जैसा राष्ट्रपति नहीं देखा: जयशंकर
जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में कहा, “अब तक हमने ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं देखा है, जिसने विदेश नीति को वर्तमान राष्ट्रपति की तरह सार्वजनिक रूप से संचालित किया हो। यह अपने आप में एक बदलाव है, जो केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ व्यवहार करने का तरीका, यहाँ तक कि अपने देश के साथ व्यवहार करने का तरीका पारंपरिक रूढ़िवादी तरीके से बहुत बड़ा बदलाव है।”