कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी

बिहार चुनाव के लिए मतदान खत्म हो गया है और दो दिन बाद यानी 14 नवंबर 2025 को नतीजे भी आ जाएँगे। नतीजे से पहले मंगलवार (11 नवंबर 2025) को आए एग्जिट पोल और जमीनी स्थिति को देखकर यही लग रहा है कि एक बार फिर NDA बिहार में सरकार बनाने जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर NDA के दलों के तमाम बड़े नेताओं के धुँधार प्रचार और महिलाओं से लेकर अलग-अलग वर्गों के लिए दी गई योजनाओं के कॉकटेल ने NDA के लिए जमीन तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा एक और फैक्टर जिसके इस चुनाव में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद की वो हैं कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी, सुनने में बेशक यह अटपटा लगे लेकिन हकीकत यही दिख रही है।

इस चुनाव में बीजेपी के लिए एक ‘स्टार प्रचारक’ राहुल गाँधी भी साबित हुए हैं। इसके पीछे कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं वो सारे तथ्य हैं जिन्हें कोई भी विश्लेषक झुठला नहीं सकता है। इसके साथ ही, दबे स्वर में और पर्दे के पीछे ही सही लेकिन उनके सहयोगी दल भी इन बातों को मान रहे हैं।

राहुल गाँधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने बिगाड़ा महागठबंधन का मोमेंटम

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले EC ने मतदाता सूची सही करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चलाया। इसमें कई लाख ऐसे वोट काटे गए जो मृत, डबल या कहीं और जा चुके थे। पहले से ही देश भर में कथित ‘वोट चोरी’ का डंका पीट रहे राहुल गाँधी को यह बात अपने पक्ष की लगी और उन्होंने बीते 17 अगस्त से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत कर दी।

इस यात्रा में उनका मानना था कि आम लोग सड़कों पर उतर आएँगे और नीतीश कुमार के खिलाफ माहौल बनाने में मदद मिलेगी लेकिन वैसा हुआ नहीं। वो लगातार मंचों से लोगों में आक्रोश होने का दावा करते रहे लेकिन वो आक्रोश कहीं नजर नहीं आया। उल्टा जिन असल मुद्दों को लेकर वो राज्य की सरकार को घेर सकते थे, वो इस यात्रा के चलते पीछे छूट गए।

इस यात्रा में एक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माँ की गाली दी गई, जिससे माहौल और महागठबंधन के खिलाफ हो गया। यह यात्रा खत्म होते-होते RJD-कॉन्ग्रेस में दरार साफ दिखने लगी। दावा किया जाने लगा कि RJD नेता तेजस्वी यादव इस यात्रा से खुश नहीं है और उनका व उनके दल का मानना था कि इस यात्रा का जमीन पर कोई फायदा नहीं दिख रहा है।

पटना में इस यात्रा के समापन के दौरान पहले एक बड़ी रैली की जानी थी लेकिन माना गया कि लालू यादव समझ गए थे कि दरअसल इस यात्रा से सिर्फ राहुल गाँधी अपने लिए फेम जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, बिहार चुनाव में इसका कोई असर पड़ने वाला है। इसके कारण वो रैली भी रद्द कर दी गई और पदयात्रा के साथ ही यह यात्रा समाप्त हो गई जिसका जमीन पर असर नहीं दिखाई पड़ा।

यात्रा खत्म होते तक RJD-कॉन्ग्रेस के बीच मतभेद की खबरें खूब सामने आईं। तेजस्वी यादव ने अपनी अलग यात्रा निकाली जिसके केंद्र में वोट चोरी का मुद्दा नहीं था। उन्होंने कोशिश की कि नीतीश कुमार की सरकार को बिहार से जुड़े मुद्दों पर घेरा जाए जो राहुल गाँधी का यात्रा से गायब थे।

यात्रा के तुरंत बाद मलेशिया घूमने पहुँचे राहुल गाँधी

जब राहुल गाँधी की वोटर अधिकार यात्रा खत्म हुई तो वो छुट्टियाँ मनाने मलेशिया निकल गए। इससे राहुल गाँधी पर जो ‘पार्ट टाइम राजनेता’ होने के आरोप लगते रहे थे वो फिर एक बार सामने आए। बीजेपी ने हाथों-हाथ इसे लपका और राहुल गाँधी पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। बीजेपी और उसके समर्थकों ने यह साबित करने की कोशिश की कि दरअसल, राहुल गाँधी बिहार के चुनाव और इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है।

यह छवि जनता के बीच पहुँचनी शुरू हुई और जो मुद्दा राहुल गाँधी ने उठाया था वो कहीं पीछे छूट गया। लोगों के बीच यह बात पहुँची कि बिहार का यह यात्रा राहुल गाँधी के लिए बस एक ‘असाइनमेंट’ की तरह ही थी। यह पहली बार नहीं था, जब राहुल गाँधी की यात्रा पर सवाल उठे हों अमेरिका, इटली और बैंकॉक जैसी यात्राओं के दौरान भी राहुल गाँधी पर सवाल उठ चुके हैं। इस यात्रा के बाद बीजेपी को यह साबित करने में मदद मिली की उनकी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ असल में एक खानापूर्ति भर थी।

बिहार से 2 महीने के लिए गायब हो गए राहुल गाँधी

पटना में अपनी पद यात्रा के बाद राहुल गाँधी बिहार से छूमंतर हो गए। 1 सितंबर को पटना में वोटर अधिकार यात्रा के बाद वो करीब 58 दिनों तक बिहार से गायब रहे और अक्टूबर के बिल्कुल आखिर में मुजफ्फरपुर और दरभंगा में चुनावी रैलियों में शामिल हुए। इस बीच बीजेपी और NDA के बड़े नेता यहाँ तक कि खुद प्रधानमंत्री मोदी भी लगातार बिहार से जुड़े हुए थे।

खुद कॉन्ग्रेस के नेता भी राहुल गाँधी की अनुपस्थिति से हैरान थे। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने ‘डेक्कन हेराल्ड’ से कहा, “बिहार के चुनावी मैदान से राहुल गांधी की लंबी अनुपस्थिति से हम भी हैरान हैं। राहुल की इतने लंबे समय तक अनुपस्थिति पार्टी को भारी पड़ सकती है।” राहुल गाँधी की अनुपस्थिति में BJP और अन्य दलों के नेताओं ने चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल की अनुपस्थिति बीजेपी के लिए बिहार में फायदे का सौदा ही साबित हुई।

राहुल गाँधी ने छठ का किया अपमान, PM मोदी को लेकर बोले ‘अपशब्द’

एक कहावत है कि ‘देर आए, दुरुस्त आए’, कॉन्ग्रेस को भी राहुल गाँधी के बिहार चुनाव प्रचार में लौटने से यही उम्मीदें थीं। लेकिन यहाँ भी दाँव उल्टा ही पड़ गया। छठ के दौरान ही राहुल गाँधी पर छठ पूजा के अपमान का आरोप लगा। इसके अलावा उन्होंने मंच से प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपशब्दों को भी प्रयोग किया।

बिहार के मुजफ्फरपुर में गुरुवार (29 अक्टूबर 2025) को जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने कहा था, “छठ पूजा वोट हासिल करने के लिए किया गया नाटक है और मोदी वोट के लिए मंच पर नाच भी सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी को छठ पूजा या बिहार की परंपरा से कोई लेना-देना नहीं है। उनका मकसद केवल वोट लेना है।”

इसे बीजेपी ने छठ पूजा और पीएम मोदी का अपमान बताते हुए राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस पर खूब हमला बोला। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सभा में कहा कि कॉन्ग्रेस और RJD के लोग छठी मैया का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “आप बताएँ क्या कोई वोट पाने के लिए छठ मैया का अपमान करेगा, क्या माताएँ निर्जला उपवास करती हैं, क्या वो सहन करेंगी क्या?”

फेल हुआ राहुल गाँधी का H- बम

बिहार में वोटिंग से ठीक पहले भी राहुल गाँधी ने कथित वोट चोरी का हवाला देते हुए ‘H-फाइल्स’ जारी कीं, इसमें दावा किया गया कि हरियाणा चुनाव में BJP ने वोट चोरी की है। बिहार चुनाव से पहले हरियाणा में वोट चोरी का दावा कहीं से भी लोगों को तार्किक नहीं लगा। हालाँकि, कुछ लोगों को लगा कि शायद वोट चोरी की बात इससे लोगों के मन में बैठ जाए लेकिन वो भी धरा रह गया जब उनके दावों की पोल खुलनी शुरू हो गई।

राहुल गाँधी ने जो दावे अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किए उनमें कोई दम नहीं निकला और ऐसे में बीजेपी को फिर एक बार राहुल गाँधी पर हमले का मौका मिल गया। बीजेपी ने कहना शुरू कर दिया कि राहुल गाँधी असल में अपनी हार छिपाने के लिए बहाने ढूँढ रहे हैं। चुनाव से ठीक पहले भी वो बिहार चुनाव के लिए बिना कोई ठोस प्लान के नजर आए।

बीजेपी के नेता और उसके समर्थक अक्सर सोशल मीडिया पर कहते हैं कि राहुल गाँधी दरअसल बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। इसे लेकर जोक्स और मीम्स बनाए जाते हैं। अब, राहुल गाँधी जिस तरह बिहार चुनाव में महागठबंधन को मजबूत करने के बजाय NDA को ताकत देते हुए दिखाई दिए हैं, उससे शायद यह बात साबित भी होती है।

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