बिहार के सारण ने विश्वस्तर पर रेलवे निर्माण में अपनी पहचान बनाई है। जिले के मढ़ौरा स्थित WLPL मढ़ौरा लोकोमोटिव (रेल इंजन) प्लांट से 4500 हॉर्स पावर का आधुनिक रेल लोकोमोटिव्स की चार इंजन की पहली खेप अफ्रीकी देश गिनी निर्यात किए गए हैं। ये इंजन बिहार से पहले मुंद्रा पोर्ट पहुँची और फिर अफ्रीकी देश गिनी के लिए रवाना हुई।

मुंद्रा पोर्ट गुजरात के कच्छ जिले में मौजूद भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है। हर साल यहाँ से करीब 338 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक सामानों की ढुलाई होती है।

क्या है WLPL

Wabtec Railway Lokomotive Plant Ltd (WLPL) एक संयुक्त उपक्रम है जो अमेरिकी कंपनी वेबटेक कॉर्पोरेशन (Webtec Corporation) और भारत सरकार के रेल मंत्रालय मिलकर संचालित करते हैं। भारतीय रेल मंत्रालय के लिए भी ये गर्व का क्षण है।

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने एक्स हैंडल पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा, “बिहार के लिए ऐतिहासिक क्षण है। सारण जिलान्तर्गत मढ़ौरा स्थित WLPL Marhowra Locomotive Plant (अमेरिकी कंपनी Wabtec और भारत सरकार के रेल मंत्रालय का संयुक्त उपक्रम) में निर्मित ES43ACmi (4500 HP) लोकोमोटिव्स की चार इंजन की पहली खेप मुंद्रा पोर्ट से अफ्रीकी देश गिनी (Guinea) के लिए रवाना हुई।”

इससे बिहार की प्रगति को नई रफ्तार मिलेगी। उद्योग मंत्री ने कहा, ” विगत 20 जून को सिवान की धरती से यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस खेप को फ्लैग-ऑफ किया था। अब यह खेप अफ्रीका के Simandou Project के लिए रवाना हो चुकी है। अगले 3 वर्षों में ₹3000 करोड़ मूल्य के लोकोमोटिव्स बिहार की धरती से गिनी भेजे जाएँगे।”

उद्योग मंत्री ने आगे कहा है, “यह केवल निर्यात नहीं, बल्कि बिहार की औद्योगिक क्षमता और भारत की तकनीकी सामर्थ्य का वैश्विक प्रदर्शन है। पहली बार बिहार में बने रेल इंजन किसी दूसरे देश में जा रहे हैं। अब यह पहल “Make in India” से आगे बढ़कर “Make for the World” की दिशा में नया अध्याय लिख रही है।”

मढोरा प्लांट में 6000 एचपी तक के इंजन बनते हैं

मढ़ौरा प्लांट में 4500 से 6000 हॉस पावर के डीजल रेल इंजन का निर्माण होता है। ये पर्यावरण के अनुकूल और अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से बनाए जाते हैं। भारतीय रेलवे को भी यहाँ से इंजन की आपूर्ति होती है। अब तक करीब 700 इंजन भारतीय रेलवे को यहाँ से दिया गया है। 2028 तक 1000 इंजन इस प्लांट से बना इंजन भारतीय रेलवे को मिल जाएगा।

ये प्लांट 270 एकड़ में फैला है जिसमें करीब 600 इंजीनियर और कर्मचारी काम करते हैं।



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