RSS बैठक जोधपुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने लव जिहाद और धर्मांतरण को सामाजिक सद्भाव के लिए गंभीर खतरा बताया है। RSS ने ऐसी घटनाओं को रोकने पर जोर दिया और समस्या के समाधान पर बात की।

RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, “जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखे से किया गया धर्मांतरण उचित नहीं है। इससे समाज में अशांति फैल सकती है। इन्हें हर हाल में रोकना ही हमारा लक्ष्य है। इस समस्या का समाधान एक लंबी प्रक्रिया है लेकिन हमें विश्वास है कि जल्द ही अनुकूल परिस्थितियों बनेंगी।”

यह बातें RSS के जोधपुर में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक के समापन के बाद पत्रकार वार्ता के दौरान कही गई। इस दौरान शिक्षा, सामाजिक चुनौतियों, आंतरिक सुरक्षा और संघ की आने वाली योजनाओं पर विस्तार से जानकारी दी गई।

आंबेकर ने सबसे पहले चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की रीढ़ हैं और इस तरह की पहल मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाती है।” संघ ने देशव्यापी स्तर पर SIR को लागू करने की जरूरत पर जोर दिया।

बैठक में शिक्षा नीति पर भी चर्चा हुई। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने में आ रही चुनौतियों और उसके अनुभव साझा किए गए। संघ से जुड़े विभिन्न शैक्षिक संगठनों ने कहा कि प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक मातृभाषा को बढ़ावा देने और भारतीय भाषाओं को सम्मान दिलाने के प्रयास जारी हैं। किताबों का पुनर्लेखन, शिक्षक प्रशिक्षण और भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा में शामिल करने पर भी काम चल रहा है। आंबेकर ने कहा कि अंग्रेजी का विरोध नहीं है लेकिन भारतीय भाषाओं को शिक्षा और शासन में उचित स्थान मिलना चाहिए।

बैठक में देश की सामाजिक परिस्थितियों पर भी चर्चा हुई। पंजाब में युवाओं में फैलते नशे और धर्मांतरण को लेकर चिंता जताई गई। संघ और उसके सहयोगी संगठन नशा मुक्ति अभियान और समाज जागरण कार्यक्रम चला रहे हैं। पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ और बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। आंबेकर ने कहा कि अपराध और घुसपैठ की घटनाएँ लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर आंबेकर ने कहा कि वहाँ हिंसा में कमी आई है और विकास के नए अवसर खुल रहे हैं। मणिपुर में हाल की घटनाओं के बाद संघ ने संवाद और सामंजस्य पर जोर दिया। स्थानीय समुदायों के बीच बातचीत और गृह मंत्रालय की पहल, जैसे राजमार्गों का फिर से खुलना, सकारात्मक संकेत माने गए।

जनजातीय क्षेत्रों को लेकर भी चर्चा हुई। नक्सली और माओवादी हिंसा में कमी आने को सकारात्मक माना गया लेकिन अभी भी भ्रम फैलाने की कोशिशें जारी हैं। वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा छात्रावास और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कामों का उल्लेख किया गया।

महिलाओं की भागीदारी को लेकर भी संघ ने अपने दृष्टिकोण रखे। आंबेकर ने बताया कि महिला कार्यकर्ताओं द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अंतर्गत 887 कार्यक्रम आयोजित किए गए और महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। क्रीड़ा भारती जैसे संगठनों के माध्यम से महिला खिलाड़ियों को योग और अध्ययन से जोड़ा जा रहा है।

संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियों पर भी चर्चा हुई। 2 अक्टूबर 2025 को नागपुर से इसका औपचारिक शुभारंभ होगा। पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन और नागरिक कर्तव्य जैसे विषयों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। अंत में, आंबेकर ने कहा कि देश की दिशा सकारात्मक है, लेकिन कई विषयों पर अभी और कार्य करने की आवश्यकता है।

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