1946 के डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखाली दंगों में हिंदुओं के खिलाफ हुए नरसंहार की भयावहता को सामने लाने वाली फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ अब विकिपीडिया के अपमानजनक एजेंडा का निशाना बन गई है।

रिलीज के सिर्फ तीन दिन के भीतर ही इस फिल्म को तथाकथित ‘फ्री इनसाइक्लोपीडिया’ पर राजनीतिक रूप से प्रेरित एडिटर्स के एक संगठित प्रयास से ‘प्रोपेगेंडा’ बता दिया गया है।

करोड़ों लोग आज भी यह गलतफहमी पालते हैं कि विकिपीडिया भरोसेमंद सूचना का स्रोत है। इसलिए ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर उनकी धारणा इस ऑनलाइन ‘इनसाइक्लोपीडिया’ पर बने फिल्म के पेज के जरिए प्रभावित हो सकती है।

‘द बंगाल फाइल्स’ के विकिपीडिया पेज का शुरुआती हिस्सा

विकिपीडिया के शुरुआती पैराग्राफ (आर्काइव) में दावा किया गया है कि ‘द बंगाल फाइल्स’ एक ‘प्रोपेगेंडा फिल्म’ है और यह गलत तरीके से कहती है कि डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखाली दंगों से जुड़े इतिहास के अध्यायों को ‘जानबूझकर दबाया या अनदेखा किया गया’।

विकिपीडिया पर दावा किया गया है, “फिल्म को आलोचकों से नेगेटिव समीक्षाएं मिलीं और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए इसे खासा विरोध झेलना पड़ा।”

फिल्म की नकारात्मक छवि पूरे लेख में बनाई गई है, खासकर ‘रिसेप्शन’ सेक्शन में। ‘द बंगाल फाइल्स’ के विकिपीडिया पेज पर लिखा गया, “द बंगाल फाइल्स को आलोचकों से ज्यादातर नकारात्मक समीक्षाएं मिलीं।”

विकिपीडिया आर्टिकल के ‘टॉक पेज’ से हुआ दुर्भावनापूर्ण एडिटिंग का खुलासा

ऑपइंडिया ने फिल्म के विकिपीडिया पेज के टॉक पेज (आर्काइव) को देखा तो हमें नजर आया कि कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित एडिटर्स जानबूझकर इसमें छेड़छाड़ कर रहे थे।

‘द बंगाल फाइल्स’ को विकिपीडिया पर जिस तरह गलत ढंग से पेश किया गया, वह दरअसल फिल्मों की समीक्षाओं पर आधारित था। ये समीक्षाएँ दरअसल राय होती हैं, तथ्य आधारित खबरें नहीं लेकिन विकिपीडिया इन्हें ही ‘भरोसेमंद स्रोत’ मानता है।

उदाहरण के लिए, ‘द हिंदू’ अखबार को विकिपीडिया पर ‘भरोसेमंद स्रोत’ माना जाता है, जबकि यही अखबार रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश कर राफेल सौदे को ‘घोटाला’ बताने की कोशिश कर चुका है।

‘द बंगाल फाइल्स’ को ‘प्रोपेगेंडा फिल्म’ कहने की शुरुआत भी दरअसल ‘द हिंदू’ अखबार में छपी एक राय/समीक्षा से हुई थी।

विकिपीडिया के एक एडिटर जिसका यूजरनेम ‘Computeracct’ है, जो फिल्म के लेख में दुर्भावनापूर्ण बदलाव कर रहा था। वह एडिटर लगातार ‘द हिंदू’ और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की राय को ‘सच्चाई’ बताकर पेश करता रहा।

जब एक दूसरे एडिटर ने यह दलील दी कि ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ (जो विकिपीडिया के हिसाब से भी भरोसेमंद स्रोत है) ने अपनी समीक्षा में ‘द बंगाल फाइल्स’ को कहीं भी ‘प्रोपेगेंडा’ नहीं कहा, तो उसकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया।

इसमें शामिल दूसरे एडिटर बार-बार निष्पक्ष सारांशों को हटाते रहे ताकि अपनी राजनीतिक सोच को हकीकत की तरह दिखा सकें। ‘टॉक पेज’ पर एक और दिलचस्प चर्चा फिल्म के बजट को लेकर हुई।

फिल्म के डायरेक्टर ने सीधे कहा था कि बजट 30 करोड़ रुपए है, इसके बावजूद विकिपीडिया के एडिटर्स ने मीडिया की अटकलों पर आधारित रिपोर्टों को ही बजट का आधार मान लिया।

एडिटर ‘Computeracct’ डायरेक्टर के बयान के बाद भी ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट का हवाला देने पर अड़ा रहा, जिसमें दावा किया गया था कि फिल्म का बजट ‘कम से कम’ 50 करोड़ रुपए है।

रिपोर्ट की अविश्वसनीयता के बावजूद, ‘Computeracct’ ने कहा, “डायरेक्टर ने क्या कहा इससे फर्क नहीं पड़ता। मायने रखता है कि भरोसेमंद सोर्स क्या कहता है। जब तक कोई भरोसेमंद सोर्स यह न लिख दे कि बजट 30 करोड़ है, तब तक हम 50 करोड़ रुपए ही लिखेंगे।”

जब एक एडिटर ने अमर उजाला की रिपोर्ट दिखाई, जिसमें साफ-साफ 30 करोड़ रुपए का बजट लिखा था और यह भी कहा कि अमर उजाला फिल्मों और सिनेमा पर भरोसेमंद स्रोत है, तब भी कोई ‘सर्वसम्मति’ नहीं बनी।

इस खबर को लिखे जाने तक विकिपीडिया के पेज पर ‘द बंगाल फाइल्स’ का बजट 50 करोड़ रुपए लिखा है, जो डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री द्वारा बताए गए बजट से 67% ज्यादा है।

‘टॉक पेज’ का विश्लेषण करते हुए हमने पाया कि कुछ विकिपीडिया संपादकों ने साजिशन फिल्म की समीक्षाओं को ‘ज्यादातर नकारात्मक’ दिखाने की कोशिश की। जबकि हकीकत यह थी कि 4 समीक्षाएँ बेहद सकारात्मक थीं और 7 समीक्षाएँ निष्पक्ष थीं।

लोकप्रिय न्यूज वेबसाइट ‘मनीकंट्रोल’ को ‘भरोसेमंद नहीं’ कहा गया जबकि लेफ्ट झुकाव वाले पोर्टल ‘स्क्रॉल’ की नकारात्मक समीक्षा को फिल्म की ‘रिसेप्शन’ में शामिल किया गया।

एक एडिटर ने सवाल उठाया, “मुझे समझ नहीं आता कि मनीकंट्रोल की समीक्षा हटाने और स्क्रॉल की समीक्षा रखने का क्या औचित्य है।”

दुर्भावनापूर्ण संपादन करने वाले विकिपीडिया संपादक अमर उजाला और DNA इंडिया की सकारात्मक समीक्षाओं को ‘फ्रिंज सोर्स’ कहकर खारिज करने की कोशिश कर रहे थे। जबकि DNA इंडिया को खुद विकिपीडिया ने भारतीय फिल्मों और सिनेमा के लिए ‘भरोसेमंद स्रोत’ माना हुआ है।

दिलचस्प यह भी है कि बदनाम संपादक ‘Computeracct’ ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि पहले सकारात्मक समीक्षाएँ, फिर तटस्थ और उसके बाद नकारात्मक समीक्षाएँ लिखी जाएँ।

यहाँ तक कि विकिपीडिया के अपने ‘फीचर्ड आर्टिकल्स’ और ‘गुड आर्टिकल्स’ में यही परंपरा अपनाई जाती है। लेकिन इस वक्त ‘द बंगाल फाइल्स’ के पेज पर नकारात्मक समीक्षाएं ‘रिसेप्शन’ सेक्शन के शुरुआत में ही लिखी हैं।

ऑपइंडिया के डॉजियर खोली थी विकिपीडिया की पोल

सितंबर 2024 में ऑपइंडिया ने विकिपीडिया का पर्दाफाश करने वाला डॉजियर जारी किया था। इस 186 पन्नों के डॉजियर में इस तथाकथित ‘फ्री इनसाइक्लोपीडिया’ के बारे में कई खुलासे किए गए।

इसमें विकिपीडिया की गैर-निष्पक्षता, एक सख्त नियंत्रित इकोसिस्टम, ‘अनाम फंडिंग’, भारत-विरोधी और हिंदू-विरोधी संगठनों को समर्थन, प्रकाशक की तरह काम करना और भारतीय कानूनों के दायरे में ना आना जैसी बातें उजागर की गई थीं।

‘द बंगाल फाइल्स’ के बारे में तोड़-मरोड़कर जारी देने को लेकर भी हम खासतौर पर विकिपीडिया के तथाकथित ‘भरोसेमंद स्रोतों’ की सच्चाई पर ध्यान दिलाना चाहते हैं।

डॉजियर के पेज 4 पर साफ लिखा है-

“विकिपीडिया की ‘एनपीओवी’ (न्यूट्रल प्वॉइंट ऑफ व्यू) गाइडलाइन्स का मतलब यह नहीं है कि हर तरह के विचारों को बराबर या न्यायपूर्ण जगह मिलेगी। इसका नतीजा सिर्फ इतना है कि जो भी विवरण तथाकथित ‘भरोसेमंद स्रोत’ में लिखा है, वही विकी आर्टिकल में डाला जाएगा।

समस्या यह है कि जिन ‘भरोसेमंद स्रोतों’ की लिस्ट है, वह खुद पक्षपात से ग्रस्त है। विकिपीडिया के एडिटर और एडमिनिस्ट्रेटर, जिनके पास असीमित ताकत है, वे ‘राइट विंग’ (गैर-लेफ्ट) स्रोतों को ‘डिप्रिकेटेड’ या ‘ब्लैकलिस्ट’ कर देते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि ऐसे स्रोतों को किसी भी विकिपीडिया आर्टिकल में रेफरेंस के तौर पर इस्तेमाल ही नहीं किया जा सकता।”

हमारे लंबे शोध के दौरान पता चला कि ज्यादातर गैर-लेफ्ट स्रोतों पर विकिपीडिया में बैन है।

डॉसियर (पेज 139) में लिखा है- “डिप्रिकेटेड और ब्लैकलिस्टेड स्रोतों की लिस्ट खुद दिखाती है कि विकिपीडिया के आर्टिकल्स पक्षपात से भरे होंगे। क्योंकि जिन स्रोतों को भरोसेमंद माना गया है, और जिन्हें नहीं, उनका फैसला खुद लेफ्ट पक्षपात से प्रेरित है।”

इत्तेफाक देखिए, कतर से फंडेड इस्लामिस्ट पोर्टल अल जजीरा और लगातार फेक न्यूज फैलाने वाला बीबीसी विकिपीडिया पर ‘भरोसेमंद स्रोत’ माने जाते हैं।

भारत का सरकारी प्रसारक दूरदर्शन इस लिस्ट में शामिल नहीं है। ऑपइंडिया और स्वराज्य जैसे गैर-लेफ्ट प्रकाशनों पर बैन और ब्लैकलिस्ट है। वहीं ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ को ‘भरोसेमंद’ माना गया है।

हमारे शोध में यह भी सामने आया कि ‘द वायर’ की फेक न्यूज, जिसने भारत के पूर्वोत्तर में हिंसा को हवा दी थी, उसे विकिपीडिया पेज पर राजनीति से प्रेरित एडिटर्स ने जोड़ा ही नहीं।

डॉजियर के (पेज 144) में कहा गया है, “लेफ्ट मीडिया द्वारा फैलाई गई फेक न्यूज और उसके नतीजे पर ज्यादातर रिपोर्ट गैर-लेफ्ट मीडिया में मिलती है। लेकिन चूंकि इन्हें विकिपीडिया पर ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, इसलिए जानकारी जानबूझकर दबा दी जाती है। इसका नतीजा यह है कि पूरी तस्वीर लेफ्ट की तरफ झुकी हुई और पक्षपाती बन जाती है।”

(यह खबर मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है जिसे यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते हैं।)

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