बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव का सीधा असर बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों पर भी पड़ा है। दोनों देशों के संबंधों में लंबे समय बाद एक नई मधुरता देखने को मिल रही है।

पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार इन दिनों तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर ढाका पहुँचे हैं, जहाँ वे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के शीर्ष नेताओं के अलावा कई कट्टरपंथी संगठनों के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।

भारत के लिए यह स्थिति चिंता का विषय मानी जा रही है, क्योंकि इन बैठकों में ऐसे संगठनों के नेता भी शामिल होंगे, जिनका रुख भारत विरोधी रहा है।

ढाका और इस्लामाबाद के बीच बढ़ती नजदीकीयाँ

पिछले एक साल में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कई अहम पहलें हुई हैं। फरवरी में दोनों देशों के बीच सीधे सरकारी स्तर पर व्यापार शुरू हुआ, जिसमें 50,000 टन चावल का सौदा शामिल था।

इसी दौरान पाकिस्तान की एयरलाइन फ्लाई जिन्ना को कराची से ढाका के लिए उड़ानें संचालित करने की मंजूरी भी मिली। हाल ही में गृह मंत्री मोहसिन नकवी की ढाका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों को वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा देने पर सहमति जताई।

कॉमर्स मिनिस्टर जाम कमाल खान और अब उप प्रधानमंत्री इशाक डार की यात्राएँ इस बात का संकेत हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश रिश्तों को बहुपक्षीय स्तर पर गहरा करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, डार की इस यात्रा के दौरान व्यापार, मीडिया, संस्कृति और प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में चार से पाँच समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। साथ ही दोनों देश व्यापार बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने की प्रक्रिया में भी हैं।

बांग्लादेश में कट्टरपंथ की बढ़ती भूमिका

शेख हसीना के हटने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने राजनीतिक संवाद के दरवाजे व्यापक रूप से खोले हैं। इस प्रक्रिया में कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतों को भी जगह मिल रही है।

डार की इस यात्रा के दौरान वे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन के अलावा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया से भी मुलाकात करेंगे।

लेकिन सबसे जरूरी और परेशान होने वाली बात यह है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री ढाका में जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश जैसे कट्टरपंथी संगठनों के नेताओं से भी मिलने वाले हैं। यह संगठन भारत विरोधी रुख और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोपों के चलते लंबे समय तक प्रतिबंधित रहा है।

इन मुलाकातों से संकेत मिलता है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें एक बार फिर मुख्यधारा की राजनीति में पैर जमाने की कोशिश कर रही हैं और पाकिस्तान उन्हें प्रोत्साहित करने की भूमिका निभा सकता है।

एक ओर पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंध मज़बूत हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत विरोधी समूहों को बढ़ावा मिलना क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से गंभीर सवाल खड़े करता है। खासकर जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान लंबे समय से बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के सहयोग की तलाश में रहा है।



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