अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के खिलाफ लगाई गई 50% टैरिफ (आयात कर) की नीति अब उनके अपने देश में ही सवालों के घेरे में है। ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए यह भारी-भरकम टैरिफ लगाया, लेकिन ट्रंप की नीति ने न सिर्फ भारत को रूस और चीन के करीब ला दिया, बल्कि अमेरिका के भीतर भी ट्रंप प्रशासन के खिलाफ तीखी आलोचना शुरू हो गई है।
अमेरिकी मीडिया, विशेषज्ञ और यूट्यूबर से लेकर पॉडकास्टर तक सभी इस नीति को ‘बेतुका’ और ‘खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने’ वाला कदम बता रहे हैं। भारत ने न केवल डोनाल्ड ट्रंप की नीति को ठेंगा दिखाते हुए रूसी तेल खरीदना जारी रखा, बल्कि उसने रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिकोण को मजबूत किया और BRICS समूह को एकजुट करने में भी अहम भूमिका निभाई। आइए, इस पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं कि कैसे ट्रंप की नीति ने उनके अपने घर में हंगामा मचा दिया।
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति: भारत को निशाना बनाने की गलती
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ इसलिए लगाया क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। लेकिन यह बात अमेरिकी मीडिया और विशेषज्ञों को हजम नहीं हो रही कि आखिर भारत को ही क्यों निशाना बनाया गया, जबकि रूस से कहीं ज्यादा तेल खरीदने वाले चीन को कोई सजा नहीं मिली।
CNBC टीवी के शो ‘Squawk Box‘ में पूर्व अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि माइकल फ्रॉनमैन ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “क्लिंटन प्रशासन से लेकर अब तक अमेरिका ने भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की थी। लेकिन ट्रंप के इस टैरिफ ने भारत को हैरान कर दिया। भारत अब अमेरिका को भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार नहीं मान रहा।”
फ्रॉनमैन ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सात साल बाद चीन यात्रा ट्रंप के इस टैरिफ का सीधा जवाब है। भारत और चीन के बीच कई मुद्दे हैं, लेकिन ट्रंप की नीति ने दोनों देशों को करीब ला दिया। फ्रॉनमैन ने कहा, “भारत यह संदेश दे रहा है कि वह अमेरिका के सामने झुकेगा नहीं। वह चीन और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के अन्य देशों के साथ नए रास्ते तलाश रहा है।”
अमेरिकी विशेषज्ञों ने डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को बताया मूर्खता
अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड डी. वोल्फ और माइकल हडसन ने एक यूट्यूब चर्चा में ट्रंप प्रशासन की भारत नीति को ‘मूर्खतापूर्ण’ और ‘हताश’ करार दिया। इस चर्चा को 3 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। वोल्फ ने व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के उस बयान की कड़ी आलोचना की, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को ‘मोदी का युद्ध’ कहा था।
वोल्फ ने कहा, “नवारो कोई तेज दिमाग नहीं हैं। अगर भारत को रूस के साथ व्यापार के लिए सजा दी जा रही है, तो रूस के साथ व्यापार करने वाले 100 से ज्यादा देशों को भी सजा मिलनी चाहिए। लेकिन सिर्फ भारत को क्यों निशाना बनाया गया?”
वोल्फ ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन भारत और मोदी को रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है, जबकि असल में यह युद्ध वाशिंगटन डीसी की नीतियों का नतीजा है, जिसने नाटो को रूस की सीमा तक बढ़ाने की कोशिश की। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों को सजा देकर अमेरिका खुद को अलग-थलग कर रहा है।
माइकल हडसन ने भी ट्रंप की नीति को भारत की संप्रभुता पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत अपनी मर्जी से किसी भी देश के साथ व्यापार करेगा। हडसन ने कहा, “1945 से अमेरिका ने खाद्य निर्यात को हथियार बनाया और कई देशों में अपनी मर्जी से सत्ता परिवर्तन करवाया। लेकिन मोदी ट्रंप की माँगों के सामने नहीं झुकेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप की नीति ने भारत को चीन और रूस के और करीब ला दिया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बड़ा बदलाव होगा।
पाकिस्तान के साथ ‘दोस्ती’ और भारत के साथ दुश्मनी पर भड़के अमेरिकी पॉडकास्टर
अमेरिकी पॉडकास्टर ‘Speaknsee‘ ने डोनाल्ड ट्रंप की भारत विरोधी नीति पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ट्रंप का पाकिस्तान के साथ ‘ब्रोमांस’ (दोस्ताना रवैया) और भारत के खिलाफ टैरिफ लगाना समझ से परे है। पॉडकास्टर ने कहा, “पाकिस्तान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करके रिश्वत देने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने कभी ऐसा नहीं किया।”
पॉडकास्टर ने मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें ‘सर्वकालिक महान’ (GOAT) कहा और बताया कि जहां ट्रंप की लोकप्रियता 45% है, वहीं मोदी की भारत में 72% अप्रूवल रेटिंग है। उन्होंने ट्रंप को सलाह दी कि वह नोबेल पुरस्कार का सपना छोड़ दें, क्योंकि एक फोन कॉल से भारत-पाकिस्तान जैसे जटिल मुद्दे हल नहीं हो सकते।
अमेरिकी मीडिया बोली – ट्रंप ने भारत के साथ रिश्ते बर्बाद किए
अमेरिकी मीडिया में भी ट्रंप की भारत नीति की कड़ी आलोचना हो रही है। आमतौर पर मोदी की आलोचना करने वाले CNN के पत्रकार फरीद जकारिया ने कहा कि ट्रंप ने भारत के साथ रिश्तों को अपूरणीय नुकसान पहुँचाया है। जकारिया ने कहा, “ट्रंप की भारत के प्रति अचानक दुश्मनी ने पिछले पाँच प्रशासनों की नीतियों को उलट दिया, जिसमें उनकी पहली सरकार भी शामिल थी। यह ट्रंप की सबसे बड़ी रणनीतिक गलती हो सकती है।”
जकारिया ने बताया कि भारत ने धीरे-धीरे अमेरिका के साथ करीबी रिश्ते बनाए थे, लेकिन ट्रंप ने भारत को सीरिया और म्यांमार जैसे देशों की श्रेणी में डालकर अपमानित किया। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ लंच किया और पाकिस्तान के साथ क्रिप्टो डील की, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था को ‘मृत’ कहकर तंज कसा। जकारिया ने चेतावनी दी कि भारत इस अपमान को लंबे समय तक याद रखेगा।
‘The Daily Show’ ने भी एक वीडियो में ट्रंप की टैरिफ नीति की खिल्ली उड़ाई। वीडियो का शीर्षक था, “ट्रंप की टैरिफ नीति ने अमेरिका की साख बर्बाद कर दी। क्या कोई अब भी हमारा सम्मान करता है?” इसमें बताया गया कि ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में कहा था कि उनकी सरकार में अमेरिका फिर से सम्मानित होगा, लेकिन उनकी नीतियों की वजह से चीन, फ्रांस, इटली, कनाडा, पोलैंड, सिंगापुर, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों में अमेरिका की साख गिरी है।
BRICS और RIC का उभार: ट्रंप की नीति का उल्टा असर
ट्रंप की टैरिफ नीति ने BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और RIC (रूस-भारत-चीन) त्रिकोण को और मजबूत कर दिया। अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की नीति ने भारत को चीन और रूस के करीब धकेल दिया, जो अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से नुकसानदायक है। माइकल हडसन ने कहा, “ट्रंप ने भारत को BRICS का सबसे कमजोर कड़ी मान लिया था, लेकिन उनकी नीति ने भारत और चीन को एक साथ ला दिया। दोनों देश मिलकर सिलिकॉन वैली को चुनौती दे सकते हैं।”
अमेरिकी के परंपरावादी टिप्पणीकार विक्टर डेविस हैनसन ने भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच अच्छे रिश्ते थे, क्योंकि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और भौगोलिक स्थिति इसे चीन के खिलाफ एक आदर्श सहयोगी बनाती थी। लेकिन ट्रंप के टैरिफ ने भारत को रूस और चीन के करीब ला दिया, जो पहले से ही भारत का पुराना दोस्त है। हैनसन ने कहा, “ऐतिहासिक रूप से भी अमेरिका ने इस्लामिक पाकिस्तान का समर्थन करके गलती की, जबकि रूस ने भारत का साथ दिया।”
डोनाल्ड ट्रंप की अपनी ही पार्टी में नाराजगी
डोनाल्ड ट्रंप की नीति की आलोचना सिर्फ मीडिया और विशेषज्ञों तक सीमित नहीं है। उनकी अपनी पार्टी और समर्थकों में भी नाराजगी बढ़ रही है। मशहूर रेडियो होस्ट और ट्रंप समर्थक एलेक्स जोन्स ने ट्रंप की आलोचना की, क्योंकि उन्होंने अपने वादे के मुताबिक एपस्टीन फाइल्स को सार्वजनिक नहीं किया। जोन्स ने कहा कि ट्रंप का MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) अभियान अब एक ‘पंथ’ बनता जा रहा है।
यूट्यूबर मैलन बेकर ने भी ट्रंप की टैरिफ नीति को ‘राजनीतिक हथियार’ बताते हुए कहा कि यह भारत और ब्राजील के खिलाफ राजनीतिक कारणों से लगाया गया। उन्होंने बताया कि अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के इस कदम को गैरकानूनी ठहराया है, और अगर यह फैसला बरकरार रहा, तो ट्रंप की सरकार को भारी शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी।
क्या होगा भविष्य में?
डोनाल्ड ट्रंप की भारत विरोधी नीति ने न सिर्फ भारत-अमेरिका रिश्तों को नुकसान पहुँचाया, बल्कि उनके अपने देश में भी उनकी साख को ठेस पहुँचाई है। अमेरिकी मीडिया और विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप ने भारत को गलत निशाना बनाकर एक ऐसी गलती की है, जिसका खामियाजा अमेरिका को लंबे समय तक भुगतना पड़ सकता है। भारत अब रूस और चीन के साथ मिलकर BRICS और RIC को मजबूत कर रहा है, जो वैश्विक व्यापार और कूटनीति में एक नया समीकरण बना सकता है।
ट्रंप ने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा दिया था, लेकिन उनकी नीतियों ने उल्टा असर दिखाया। जैसा कि कई विशेषज्ञों ने कहा, ट्रंप की नीति ने ‘मेक एशिया ग्रेट अगेन’ का रास्ता खोल दिया है। भारत के साथ रिश्तों में आई इस दरार को ठीक करना आसान नहीं होगा, और ट्रंप प्रशासन को अब अपने ही घर में बढ़ते विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
मूल रूप से ये रिपोर्ट अंग्रेजी में श्रद्धा पाण्डेय ने लिखी है। मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।