रूस-यूक्रेन संघर्ष को ‘मोदी का युद्ध‘ बताना। भारत पर यूक्रेन युद्ध को आर्थिक सहायता देने का आरोप लगाना और रूसी तेल खरीदने पर भारत पर अतिरिक्त 25% (कुल 50%) टैरिफ लगाने का फैसला, भारत- अमेरिकी संबंधों में आई कड़वाहट की वजह बने हैं। जबकि बीजिंग द्वारा उसी तेल की खरीद का बेशर्मी से बचाव करना, ये दिखाता है कि ट्रंप के इरादे ठीक नहीं हैं।
भारत की दृढ़ता और संप्रभुता ने निश्चित रूप से ट्रंप के नाज़ुक अहंकार को चोट पहुँचाई है। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी धमकाने वाली चालों के आगे झुकने को तैयार नहीं दिखते। ट्रंप प्रशासन ने भारत-विरोधी लोगों को अपने प्रशासन में शामिल कर रही सही कसर पूरी कर दी है। खालिस्तान समर्थक हरमीत ढिल्लो और आधे पाकिस्तानी उम्मेद मलिक ऐसे ही दो व्यक्ति हैं, जो अमेरिकी राष्ट्रपति के करीबी हैं।
उम्मेद मलिक कौन हैं?
46 वर्षीय उम्मेद मलिक ईरानी और पाकिस्तानी प्रवासियों के घर पैदा हुए थे। उनका पालन-पोषण न्यू जर्सी में हुआ। द फ्री प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उनके माता-पिता डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए चंदा जमा करते थे। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा को दो बार वोट दिया था। डेमोक्रेटिक हिलेरी क्लिंटन को चंदा दिया और न्यू जर्सी के दो डेमोक्रेट्स उम्मीदवारों के लिए काम किया।
‘ब्लैक लाइव्स मैटर’, ‘मी टू’ आंदोलन और दूसरे उदारवादी नीतियों की वजह से मलिक का पार्टी से मोहभंग हो गया। वह रिपब्लिकन के साथ आ गए। आज वह MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) के कट्टर समर्थक हैं और ट्रंप परिवार के करीबी भी।
डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के साथ उनकी दोस्ती ने कथित तौर पर उन्हें ट्रम्प परिवार के वित्तीय मामलों से जोड़ दिया है। दोनों की मुलाकात 2019 की गर्मियों में हैम्पटन्स पार्टी में हुई थी। इसके बाद वे दोनों अक्सर मिलते थे। वह ट्रम्प जूनियर की उस वक्त की प्रेमिका किम्बर्ली गुइलफॉयल को 10 साल से जानते थे।
मलिक ने जो बाइडेन को 2,800 डॉलर देने के एक महीने बाद ही ट्रम्प को 5,600 डॉलर का अपना पहला दान दिया था। वर्तमान राष्ट्रपति के सबसे बड़े बेटे के ‘1789 कैपिटल’ में भी मलिक भागीदार है। इसके अलावा पत्रकार टकर कार्लसन की कंपनी का वह सबसे बड़ा निवेशक है। कार्लसन और मलिक 2015 से दोस्त थे।
अपने इजराइल विरोधी बयानों के लिए कुख्यात मलिक भारत के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित रहा है। उसने ब्रिटिश साम्राज्य की तारीफ की थी। उन्होंने 2022 में तर्क दिया था, “मजबूत देश कमजोर देशों पर हावी होते हैं। यह चलन नहीं बदला है। जब अंग्रेज भारत से चले गए, तो वे अपने पीछे एक पूरी सभ्यता, एक भाषा, एक कानूनी व्यवस्था, स्कूल, चर्च और सार्वजनिक इमारतें छोड़ गए, जो आज भी उपयोग में हैं।” उसके बयान की जबरदस्त आलोचना हुई थी।
टकर कार्लसन नेटवर्क (टीसीएन) में अहम निवेशक मलिक की कई बार आलोचना भी हुई। लॉरा लूमर ने उन्हें कार्लसन नेटवर्क में इजराइल की आलोचना करने के पीछे का मास्टरमाइंड बताया था। पिछले साल कार्लसन ने एक ऐसे व्यक्ति का साक्षात्कार लिया था जिसने आरोप लगाया था कि एडॉल्फ हिटलर स्वर्ग में है।
बाद में, वही व्यक्ति तस्कर जेफरी एपस्टीन पर हुए एक कार्यक्रम में दिखा। कार्लसन ने उसे ‘संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे अच्छा और सबसे ईमानदार लोकप्रिय इतिहासकार’ बताया। जुलाई में उसने ईरानी राष्ट्रपति का इंटरव्यू लिया। हालाँकि MAGA और इजराइल-ईरान मुद्दे पर इस इंटरव्यू में विवाद हो गया।
मलिक का नाम एक एक्स पोस्ट में नेटवर्क का ‘प्रमुख समर्थक’ बताया गया था। 1789 कैपिटल अब कार्लसन की कंपनी में निवेशक के रूप में शामिल नहीं है।
ट्रंप प्रशासन के साथ उम्मेद मलिक के गहरे संबंध
मलिक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के सदस्य रहे हैं। मलिक ने एक प्रमुख थिंक टैंक, मिल्केन इंस्टीट्यूट को धन दान किया था। वह इंस्टीट्यूट के बोर्ड में भी थे। यह एक ऐसी गैर लाभकारी विदेश नीति से जुड़ी संस्था है, जिसने कुख्यात जॉर्ज सोरोस सहित उदारवादी हस्तियों के सम्मान में वार्षिक समारोह आयोजित किए हैं।
मलिक ने 2018 में अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंक ऑफ अमेरिका छोड़ दिया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बैंक ने उन पर कॉर्पोरेट मानकों की अनदेखी और अनुचित व्यवहार का आरोप लगाते हुए बर्खास्त कर दिया। इसके बाद मलिक ने बैंक ऑफ अमेरिका पर 100 मिलियन डॉलर से अधिक का मुकदमा दायर किया। बाद में दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ और मलिक ने उस पैसे से अपनी निवेश कंपनी, फरवाहर पार्टनर्स शुरू की।
मलिक 2021 में फ्लोरिडा पहुँचे और वहाँ रिपब्लिकन से जुड़ गए। वह रूढ़िवादी संगठन रॉकब्रिज नेटवर्क में भी शामिल हो गए। इसकी स्थापना जेडी वेंस और क्रिस बुस्किर्क ने की थी। बुस्किर्क 1789 कैपिटल के सह-संस्थापक और दक्षिणपंथी वेबसाइट अमेरिकन ग्रेटनेस के प्रकाशक थे।
मलिक ने 2023 में बुस्किर्क और रिपब्लिकन मेगाडोनर रेबेका मर्सर के साथ मिलकर ‘1789 कैपिटल’ की स्थापना की। मलिक की कंपनी ने पहला निवेश कार्लसन के नेटवर्क में किया था।
मलिक अब सबसे प्रसिद्ध उद्यमियों में से एक बन गए हैं। वह फ्लोरिडा के पाम बीच स्थित मार-ए-लागो क्लब में काफी समय बिताते हैं। रिपब्लिकन उम्मीदवारों और चैरिटी संस्थाओं को एक बार में हजारों डॉलर के चेक भेजते हैं। स्कॉट बेसेंट को ट्रंप का वित्त मंत्री नियुक्त किए जाने से उन्होंने उनसे मुलाकात की थी। 10 साल पहले बेसेंट को 2015 में पहला ‘हेज फंड’ शुरू करने में उनकी मदद की थी।
बेसेंट ने हाल ही में राहुल गाँधी के अडानी-अंबानी वाले तंज को दोहराते हुए कहा था कि ‘सबसे अमीर भारतीय परिवार’ रूसी तेल से मुनाफा कमा रहे हैं।
मलिक वर्तमान प्रशासन के साथ जुड़े हुए हैं। ट्रंप जूनियर के साथ कई परियोजनाओं पर सहयोग कर रहे हैं। ये परियोजनाएँ लोकतंत्र-विरोधियों को बढ़ावा देने के लिए एक ‘समानांतर अर्थव्यवस्था’ की स्थापना के लिए चलाई जा रही हैं। साथ ही भारत, हिंदुओं और मोदी सरकार के खिलाफ भावना को बढ़ाने के लिए एक क्लब बनाया गया है।
खालिस्तान समर्थक हरमीत ढिल्लो को जानिए
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस कार्यकाल में भारतीय-अमेरिकी हरमीत कौर ढिल्लन को अमेरिकी न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया। उनका “द ढिल्लन लॉ ग्रुप” नामक एक कानूनी फर्म है। इसके पूरे देश में ऑफिस खुले हुए हैं। हालाँकि, ट्रंप प्रशासन में शामिल होने के बाद उन्हें 2025 में कंपनी छोड़नी पड़ी।
उनके विवादास्पद अतीत और खालिस्तान समर्थक रवैये को देखते हुए उनकी कड़ी आलोचना भी हुई।
ढिल्लो पर बार-बार अमेरिका में खालिस्तानियों का समर्थन करने के आरोप लगे। वह भारत विरोधी गुट की मुखर समर्थक रही हैं। उन्होंने नई दिल्ली पर अमेरिका और कनाडा में मारने के लिए लोगों को भेजने का आरोप लगाया है और यह भी कहा है कि आलोचकों की हत्या में प्रवासी भारतीय भी शामिल हैं।
India’s American death squad indictment. America’s Sikhs want answers: who else at risk, & what is US government doing about assassination attempts on US citizens? Indian-American Dems in Congress strangely silent. @RoKhanna? @RepBera?@ShriThanedar @CongressmanRaja? @RepJayapal? https://t.co/LdWjV34kOl
— Harmeet K. Dhillon (@HarmeetKDhillon) November 29, 2023
ढिल्लो ने आरोप लगाया कि खालिस्तानी समर्थकों की हत्या के पीछे मोदी सरकार का हाथ है। उन्होंने दावा किया कि भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेट्स ने इन हत्याओं पर अजीब चुप्पी साध ली है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से पूछा कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं।
Also assassinating India’s critics in the diaspora. Full service! https://t.co/WDyk7MuL2W
— Harmeet K. Dhillon (@HarmeetKDhillon) March 29, 2024
ढिल्लो ने कनाडा में विपक्ष के नेता पियरे पोलीव्रे का भी हवाला दिया, जिन्होंने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का समर्थन किया था। ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था। उन्होंने अमेरिका में खालिस्तानी समर्थकों को ‘सिख नेता’ करार दिया। साथ ही खालिस्तानियों की कट्टरपंथी विचारधारा को कम करके आंका।
Canada’s conservative leader joins other Canadian officials in condemning the extrajudicial murder of Sikh leader Hardeep Singh Nijjar. Good to see them unite against this shocking act. https://t.co/vObNOuzl8o
— Harmeet K. Dhillon (@HarmeetKDhillon) September 19, 2023
ढिल्लो ने भारत में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों पर रॉयटर्स के एक लेख का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि पंजाब में हाल ही में इंटरनेट पर लगे बैन से लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सिख कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया गया है। दरअसल उन्होंने उस वक्त की बात की, जब पंजाब में खालिस्तानी प्रचारक और सांसद अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई को लेकर झूठा प्रचार किया जा रहा था।
ढिल्लो पहले डेमोक्रेटिक नेता कमला हैरिस की समर्थक थीं। रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने सैन फ्रांसिस्को के जिला अटॉर्नी पद के लिए हैरिस के लिए काम किया था। हालाँकि कार्लसन शो के दौरान उन्हें हैरिस के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी की।
ढिल्लो ने कमला हैरिस के उच्चारण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह दूसरे अक्षर पर जोर देती हैं, जिससे यह कमाला बन जाता है, जबकि भारत में इसे कमला कहा जाता है। ढिल्लन ने कहा, “वह एक उच्च जाति ‘ब्राह्मण’ के परिवार से आती हैं। उनकी माँ एक ब्राह्मण हैं।”
Harmeet K Dhillon brought up Kamala Harris’s caste to target her during an interview with Tucker Carlson.
Now the MAGA base is attacking her (again) over her Sikh identity.
Well. pic.twitter.com/ym2eKK40qN
— Sensei Kraken Zero (@YearOfTheKraken) June 8, 2025
ट्रम्प प्रशासन रूसी तेल खरीद को लेकर भारत पर अपने हास्यास्पद हमलों में भी इस निराधार ब्राह्मण-विशेषाधिकार कथा को जारी रखता है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने जातिगत राजनीति का सहारा लेने की कोशिश की और ज़ोर देकर कहा कि ब्राह्मण ही इस व्यापार के असली लाभार्थी हैं।
ढिल्लो पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। जून 2023 में द गार्जियन में छपी एक खबर में खुलासा हुआ कि उनके नेतृत्व में एक गैर-लाभकारी संस्था में 10 लाख डॉलर से ज्यादा का निवेश किया गया।
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है, “द गार्जियन ने पाया है कि सेंटर फॉर अमेरिकन लिबर्टी (CAL) से कम से कम 13.2 लाख डॉलर उनकी लॉ फर्म, ढिल्लो लॉ ग्रुप को हस्तांतरित किए गए हैं। इसके अलावा, राज्य और संघीय दस्तावेजों से पता चलता है कि ढिल्लो दो घंटे के साप्ताहिक कार्य के लिए CAL से 120,000 डॉलर का वेतन लेती हैं।”
हरमीत ढिल्लो का पार्टनर फर्म भी कट्टरपंथी
जॉन-पॉल-देओल ‘द ढिल्लो लॉ ग्रुप’ के पार्टनरों में एक हैं। वह एक ऑनलाइन ट्रोल की तरह काम करता है, जो नियमित रूप से हिंदुओं और हिंदू देवताओं का अपमान करता है। उसने 2023 में ‘द वायर’ के लेख में आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की निंदा करने वाले एक यूजर्स के पोस्ट पर प्रतिक्रिया स्वरूप भगवान शिव के लिए एक अपमानजनक ट्वीट भेजा था।
हालाँकि ट्वीट को हटा दिया गया, लेकिन उनका इतिहास उन हिंदुओं और सिखों पर हमला करने के लिए जातिवादी और नस्लीय शब्दों का इस्तेमाल करने का रहा है जो उनकी मान्यताओं से सहमत नहीं हैं। वह अक्सर “ब्राह्मणों” को निशाना बनाते हैं, हिंदुओं का “लिंडू” कहकर मजाक उड़ाते हैं और सबसे “पिछड़ी सभ्यता” कहते हैं।
अमेरिका में जाति-विरोधी हिंदू-विरोधी कानून के प्रबल समर्थक देओल ने भी वेदों को जाति से जोड़कर उनका अपमान किया।
दरअसल ट्रंप के आचरण से ज्यादा खतरनाक उनकी सोच है। उन्हें लगता है कि बाकी दुनिया पर अमेरिका का दबदबा है। वह गौतम अडानी और मुकेश अंबानी के मोदी सरकार से संबंधों को लेकर विपक्ष के प्रचार का इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही जातिगत राजनीति के मुद्दे पर मतदाताओं को भड़का रहे हैं, ताकि नई दिल्ली को अपनी माँगें मनवाने के लिए धमकाया जा सके।
ट्रंप की हताशा और उनके आसपास मौजूद भारत विरोधी लोगों को देखते हुए उनके ‘भारत-विरोध’ को समझा जा सकता है। ‘खालिस्तानी आतंकवाद’ का महिमामंडन भी इसकी कड़ी है।
(ये लेख मूल रूप में अंग्रेजी में लिखी गई है। इसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)