देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक IIT बॉम्बे इन दिनों विवादों में घिरा हुआ है। वजह है संस्थान द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाया जाना।

यह कार्यक्रम दक्षिण एशियाई पूंजीवाद ‘South Asian Capitalism(s)’ नाम से दो दिन का वर्कशॉप है, जिसे यूसी बर्कले और यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स-एमहर्स्ट के साथ मिलकर आयोजित करने वाली है।

इस वर्कशॉप का एक पोस्टर कॉलमनिस्ट हर्षिल मेहता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया। पोस्टर में भारत की तथाकथित ‘कैपिटलिस्ट पिरामिड’ दिखाई गई। इस पिरामिड के एक हिस्से में “We fool you” लिखा है और उसमें PM नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्टून जैसी तस्वीरें बनाई गई हैं।

यह निशुल्क वर्कशॉप है, जो कि 12 और 13 सितंबर 2025 को आयोजित होने वाली है। इसमें चर्चा की जाएगी कि दक्षिण एशिया में पूंजीवादी व्यवस्था किस तरह सामाजिक ढाँचे के जरिए बनी है। इस कार्यक्रम का आयोजन न्यू पॉलिटिकल इकोनॉमिक इनिशिएटिव (NPEI) कर रहा है, जो सीधे IIT बॉम्बे के अधीन काम करता है।

इस पहल (NPEI) के प्रमुख अनुष कपाड़िया हैं, जिन्हें फोर्ड फाउंडेशन से करीब 4 मिलियन डॉलर (लगभग ₹35 करोड़) की फंडिंग मिली है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अनुष कपाड़िया ब्रिटेन (UK) के नागरिक हैं और IIT बॉम्बे में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।

हालाँकि, गौर करने वाली बात यह है कि पिछले 10 साल में अनुष कपाड़िया ने सिर्फ 2 शोध-पत्र (जर्नल पेपर्स) ही लिखे हैं और उनका H-Index मात्र 7 है(H-Index वह पैमाना है जिससे किसी शोधकर्ता के प्रकाशित काम की संख्या और प्रभाव का आकलन किया जाता है)।

विवाद बढ़ने के बाद IIT बॉम्बे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सफाई दी। संस्थान ने कहा कि उसे इस वर्कशॉप की कोई जानकारी नहीं थी। IIT बॉम्बे ने कहा, “IIT बॉम्बे का ‘न्यू पॉलिटिकल इकोनॉमिक इनिशिएटिव’ नाम का एक प्रोजेक्ट है। हालाँकि, हमें प्रकाशित फ़्लायर के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। इस पोस्ट के बारे में पता चलने पर हमने आयोजकों को तुरंत निर्देश जारी किए कि वे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से फ़्लायर हटा दें और इस आयोजन से जुड़ी हर चीज़ से IIT बॉम्बे का नाम हटा दें।”

संस्थान ने यह भी कहा, “न्यू पॉलिटिकल इकोनॉमी इनिशिएटिव (NPEI) की वेबसाइट से कार्यक्रम का विवरण तुरंत हटा दिया गया है। IIT बॉम्बे से कोई भी इस सम्मेलन में भाग नहीं ले रहा है। संस्थान से इस फ़्लायर के बारे में कोई भी परामर्श नहीं लिया गया। हम भी इसे देखकर हैरान और आहत हुए हैं।”

IIT बॉम्बे ने यह भी साफ किया कि वह इस घटना के बाद यूसी बर्कले और यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स-एमहर्स्ट के फैकल्टी सदस्यों से सभी संबंध खत्म करेगा।

जल्द ही यह मामला भी सामने आया कि IIT बॉम्बे ने कॉलमिस्ट हर्षिल मेहता को सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दिया।

हर्षिल मेहता ने सवाल उठाया, “IIT बॉम्बे का ऑफिशियल अकाउंट ने मुझे क्यों ब्लॉक किया? क्या सार्वजनिक संस्थानों से सवाल करना और प्रशासन पर सवाल उठाना अपराध है? यह एक सार्वजनिक और आधिकारिक अकाउंट है, तो फिर ऐसा बचकाना व्यवहार क्यों? क्या प्रधानमंत्री @narendramodi का बचाव करना अपराध है?”

कॉलमिस्ट हर्षिल मेहता ने पहले यह मुद्दा उठाया था कि IIT बॉम्बे के फैकल्टी सदस्य प्रभीर विष्णु पोरुथियिल, जो मूल रूप से भारतीय सरकार के वेतनभोगी हैं, ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया, जिसमें बड़े कारोबारियों को फासीवाद के सहयोगी बताया गया। इसके अलावा, प्रभीर विष्णु पोरुथियिल को कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के ‘संपत्ति का दोबारा वितरण’ वाले विचारों का समर्थन करते हुए भी देखा गया।

ऑपइंडिया ने पहले भी इस बात पर प्रकाश डाला था कि कैसे भारत के कुलीन तकनीकी संस्थान मार्क्सवादी-वामपंथी विचारधारा के लिए उत्पत्ति स्थल बन रहे हैं।



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