केरल में राज्यसभा सांसद C सदानंदन मास्टर के 1994 में पैर काटने वाले कम्युनिस्टों को हीरो की तरह विदाई दी गई है। यह विदाई जेल जाने से पहले दी गई। विदाई पाने वाले 8 कम्युनिस्ट 7 महीनों से फरार थे। इस विदाई समारोह में केरल की पूर्व शिक्षा मंत्री KK शैलजा तक मौजूद रहीं।
इस विदाई को लेकर अब कम्युनिस्ट पार्टी की थू-थू हो रही है। यह सम्मान समारोह थालसेरी सेशंस कोर्ट के बाहर और फिर कन्नूर जिले के मत्तनूर में आयोजित किया गया। यह वहीं जगह है जहाँ हमला हुआ था। कार्यक्रम में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दोषियों को माला पहनाई, नारे लगाए और हीरो की तरह विदा किया।
इसमें मत्तनूर की विधायक और राज्य की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा भी शामिल हुईं। उनके इस सार्वजनिक समर्थन पर अब सभी राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया आई है। घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे को हीरो जैसा सम्मान दिया जा रहा है। यह सब तब हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने भी इन कम्युनिस्टो की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने हमले को ‘पूर्वनियोजित’ और ‘गंभीर रूप से निंदनीय’ बताया था।
सदानंदन मास्टर इस हमले में स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए थे। उन्होंने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और समाज को गलत संदेश देता है। ये लोग दोषी हैं, किसी कोर्ट ने इन्हें बरी नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट तक ने इनकी सजा बरकरार रखी। इसके बावजूद CPI(M) ने उन्हें नायक की तरह विदाई दी और एक निर्वाचित विधायक के.के. शैलजा ने इसमें हिस्सा लिया, यह और भी चिंता की बात है।”
हमला, जमानत और जश्न
25 जनवरी 1994 को, कन्नूर (केरल) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह कार्यवाह और स्कूल टीचर सदानंदन अपने रिश्तेदारों से मिलकर अपनी बहन की शादी की तैयारी के लिए घर लौट रहे थे। तभी CPI(M) पार्टी से जुड़े गुंडों ने उन पर हमला किया। इस हमले में वे पूरी तरह से अपाहिज हो गए और तब से अब तक व्हीलचेयर पर हैं।
इस मामले में कुल 12 लोगों को आरोपित बनाया गया था, लेकिन 1997 में कन्नूर की अदालत ने केवल 8 को दोषी ठहराया। चार अन्य आरोपितों को साजिश के आरोप से बरी कर दिया गया। शुरुआत में सभी पर TADA के तहत आरोप लगाए गए थे, लेकिन बाद में ये प्रावधान हटा दिए गए।
इन दोषियों को 7 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन पिछले करीब 30 सालों में वे ज्यादातर समय जमानत पर बाहर रहे क्योंकि उनकी अपीलें कोर्ट में लंबित थीं।
जनवरी 2025 में, केरल हाईकोर्ट ने दोषियों की सजा को बरकरार रखा और कहा, “यह हमला किसी गुस्से या अचानक उकसावे में नहीं हुआ था, यह एक पूर्व-नियोजित हमला था। आरोपितों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती।”
कोर्ट ने मुआवजे की राशि भी बढ़ाकर हर दोषी को पीड़ित को 50,000 रुपए देने का आदेश दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की अंतिम याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत रद्द कर दी और उन्हें 4 अगस्त 2025 तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था।