प्रधानमंत्री जन धन योजना के 11 साल पूरे हो गए। अब से ग्यारह साल पहले भारत आर्थिक रूप से बहुत अलग था। करोड़ों लोग ऐसे थे जिनके पास न तो कोई बैंक खाता था और न ही औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच। खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आम लोग अपनी मेहनत की कमाई घर में रखते थे या फिर ऊँचे ब्याज पर साहूकारों से कर्ज लेते थे। नतीजा यह होता कि गरीबी और कर्ज का बोझ कभी कम नहीं होता। आर्थिक सुरक्षा तो उन परिवारों के लिए दूर का सपना था।
ऐसे माहौल में 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) की शुरुआत की। इसका मकसद सीधा था, ‘हर भारतीय को बैंकिंग से जोड़ना, हर परिवार को वित्तीय पहचान देना और हर नागरिक को आर्थिक सुरक्षा दिलाना।’

इस योजना ने बैंकिंग की दुनिया को आम आदमी के दरवाजे तक पहुँचा दिया। जीरो बैलेंस खाते, आसान केवाईसी प्रक्रिया, रुपे डेबिट कार्ड और बीमा जैसी सुविधाओं ने गरीबों के लिए बैंक को सहज और सुलभ बना दिया।
ग्यारह साल का सफर और उपलब्धियाँ
ग्यारह साल के इस सफर में जन धन योजना ने जो बदलाव किए, वे अपने आप में ऐतिहासिक हैं। आज 56 करोड़ से ज्यादा जन धन खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों में जमा राशि बढ़कर 2.67 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गई है, जबकि 2015 में यह महज़ 15,670 करोड़ रुपए थी।

इस योजना की सबसे अहम खासियत यह रही कि इसका सबसे बड़ा फायदा गरीब और ग्रामीण भारत को मिला। करीब 67% खाते गाँव और अर्ध-शहरी इलाकों में खुले और खास बात यह है कि कुल खातों में 56% महिलाओं के नाम पर हैं।
यानी पहली बार लाखों महिलाएँ अपनी आर्थिक पहचान के साथ बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा बनीं। इन खातों के साथ सरकार ने सीधे लाभ पहुँचाने की व्यवस्था भी खड़ी की। अब मनरेगा की मजदूरी हो, गैस सब्सिडी हो या किसी अन्य योजना का लाभ सारा पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाता है। बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई और लोगों का विश्वास भी बैंकिंग व्यवस्था में बढ़ा है।
महिलाओं और गरीबों के जीवन में बदलाव
जन धन योजना सिर्फ आँकड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने करोड़ों परिवारों की जिंदगी बदल दी। गाँव की महिलाएँ, जो पहले नकद बचत रखती थीं, अब अपने खाते में पैसा जमा करती हैं।
दिहाड़ी मजदूरों और छोटे किसानों को सीधे खातों में मजदूरी और सब्सिडी मिलती है। दुर्घटना बीमा और ओवरड्राफ्ट सुविधा ने गरीब परिवारों को आकस्मिक हालात में सहारा दिया।
11 Years of PM Jan Dhan Yojana!
A single bank account that transformed millions of lives, bringing financial inclusion, security, and empowerment to every household. Over the past 11 years, Jan Dhan Yojana has not only connected people to the banking system but has also created… pic.twitter.com/sqL7NuQQU7
— DD News (@DDNewslive) August 28, 2025
इस योजना ने डिजिटल भुगतान को भी नई गति दी है। अब तक 38 करोड़ से ज्यादा रुपे कार्ड जारी हो चुके हैं। यूपीआई और डिजिटल लेन-देन में भारत ने दुनिया में नेतृत्व हासिल किया है और इसमें जन धन योजना की बड़ी भूमिका रही है।
बने नए रेकॉर्ड और विश्व पहचान
जन धन योजना ने दुनिया में भी भारत का नाम रोशन किया। गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में इसका नाम शामिल हुआ जब सिर्फ एक हफ्ते में 1.8 करोड़ खाते खोले गए। यह किसी भी देश में अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल साबित हुई।
ग्यारह सालों में औसत जमा राशि भी कई गुना बढ़ी है। 2015 में एक खाते में औसतन 1,300 रुपए रहते थे, जो अब बढ़कर लगभग 4,768 रुपए हो गए हैं। इसका मतलब है कि लोग न सिर्फ खाते खोल रहे हैं बल्कि नियमित रूप से उनमें बचत भी कर रहे हैं।

साल 2024-25 में ही करीब 6.9 लाख करोड़ रुपए विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत सीधे खातों में ट्रांसफर किए गए। यह सरकार की पारदर्शिता और जन धन योजना की सफलता का जीता-जागता सबूत है।
वित्तीय आजादी की ओर कदम
ग्यारह साल बाद आज साफ दिखता है कि प्रधानमंत्री जन धन योजना ने गरीब और वंचित तबकों की जिंदगी में वास्तविक बदलाव लाया है। यह केवल बैंक खाता खोलने की योजना नहीं रही, बल्कि सम्मान और आत्मनिर्भरता देने की एक राष्ट्रीय मुहिम बन चुकी है।
महिलाओं को आर्थिक ताकत मिली है, ग्रामीण इलाकों तक बैंकिंग की पहुँच हुई है और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुँचने लगा है। इस योजना ने भारत में वित्तीय समावेशन की परिभाषा बदल दी है।