छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए माओवादी संगठन को करारा झटका दिया है। गुरुवार (11 सितंबर 2025) को हुए एक एनकाउंटर में 10 नक्सली मारे गए, जिनमें सबसे बड़ा नाम मॉडेम बालकृष्ण उर्फ बालन्ना का है।

बालकृष्ण पर 1 करोड़ रुपए का ईनाम था और वह माओवादी संगठन की केंद्रीय कमेटी का सदस्य था। इसके साथ ही वह ओडिशा स्टेट कमेटी का प्रमुख भी था। पुलिस की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में उसका नाम शीर्ष पर था।

बालकृष्ण 1983 से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था और पिछले 35 सालों में उसने कई बड़े हमलों की साजिश रची। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में उसने नक्सलियों का मजबूत नेटवर्क खड़ा किया था।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, साल 2008 में ओडिशा के नयागढ़ में हुए हमले में 13 पुलिसकर्मियों समेत 14 लोग मारे गए थे। उसी साल मलकानगिरी के बालिमेला जलाशय पर हुए हमले में 37 कमांडो बलिदान हुए थे। 2009 में कोरापुट के नाल्को प्लांट पर हमले में 11 सीआईएसएफ जवान बलिदान हुए थे। ये सभी हमले बालकृष्ण की साजिश का हिस्सा थे।

तेलंगाना के वारंगल का रहने वाला बालकृष्ण पढ़ाई में इंटरमीडिएट तक पहुँचा था। वह कई बार पुलिस की गिरफ्त में आया, लेकिन हर बार बच निकला। 1990 में टीडीपी विधायक वेंकटेश्वर राव के अपहरण के बाद उनकी रिहाई के बदले सरकार को बालकृष्ण को जेल से छोड़ना पड़ा।

हाल के सालों में वह बीमार था, लेकिन नक्सली संगठन की रणनीति बनाना जारी रखा। तीन महीने पहले जब एक अन्य बड़ा नक्सली बसवराजू मारा गया, तब बालकृष्ण ने संगठन की कमान संभाली थी।

बालकृष्ण लंबे समय से बीमार बताया जा रहा था, लेकिन वह लगातार संगठन की रणनीति बना रहा था। तीन महीने पहले जब बसवराजू नाम का बड़ा नक्सली मारा गया, तब बालकृष्ण ने मुख्य जिम्मेदारी संभाल ली थी।

सुरक्षा एजेंसियों को खबर मिली थी कि बालकृष्ण गरियाबंद रूट के जरिए ओडिशा में नक्सली सप्लाई लाइन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा था। गुरुवार को सुरक्षा बलों ने सटीक जानकारी के आधार पर ऑपरेशन चलाया और बालकृष्ण समेत 10 नक्सलियों को मार गिराया। यह मुठभेड़ नक्सलियों के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि बालकृष्ण उनके संगठन की रीढ़ था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्रवाई की सराहना की और कहा कि सरकार की मजबूत नीति और लगातार अभियानों से मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा। इस एनकाउंटर ने सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया है और नक्सलियों के खिलाफ जंग में एक नया अध्याय जोड़ा है।

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