बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चल रही सियासी बहस अब एक नए मोड़ पर आ गई है। चुनाव आयोग ऑफ इंडिया ने 30 अगस्त 2025 को एक डेली बुलेटिन जारी किया है, जो राहुल गाँधी और विपक्ष के उन दावों पर सवाल उठाता है, जिनमें SIR प्रक्रिया को वोट चोरी का हथियार बताया गया था।

इस बुलेटिन के मुताबिक, 1 अगस्त से 30 अगस्त तक ड्राफ्ट रोल पर दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया में सिर्फ 2 दिन बचे हैं और जो आँकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। आइए, इस रिपोर्ट में हर पहलू को विस्तार से समझते हैं, ताकि जनता को सचाई का पता चले।

चुनाव आयोग के बुलेटिन के मुताबिक, अब तक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की राजनीतिक पार्टियों ने जो दावे-आपत्तियाँ दर्ज कीं, वे काफी कम हैं। नेशनल पार्टियों में आम आदमी पार्टी (AAP) ने 1, बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 74, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 53,338, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने 899, और भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) ने 0 दावे-आपत्तियाँ दर्ज कीं।

बिहार की पार्टियों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी लिबरेशन) ने 1,496 (जिनमें 103 बहिष्करण के लिए), जनता दल (यूनाइटेड) ने 36,550, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने 1,210, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 47,506 (जिनमें सिर्फ 10 बहिष्करण के लिए), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने 1,913, और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 270 दावे-आपत्तियाँ दर्ज कीं।

सबसे हैरानी की बात यह है कि कॉन्ग्रेस ने एक भी दावा या आपत्ति नहीं की जबकि राहुल गाँधी SIR को लेकर लगातार हमलावर रहे हैं।

सामान्य मतदाताओं की ओर से दायर दावों-आपत्तियों में भी आँकड़े चौंकाने वाले हैं। कुल 2,27,636 दावों में से सिर्फ 29,872 नामों को शामिल करने और 1,97,764 नामों को हटाने के लिए आवेदन आए। 7 दिन के निपटान के बाद सिर्फ 33,771 मामले सुलझे। नई वोटरों के लिए 18 साल या उससे अधिक उम्र के 13,33,793 फॉर्म-6 और डिक्लेरेशन आए, जिनमें से 61,248 का निपटान हो चुका है। यह आँकड़ा साफ करता है कि ज्यादातर आवेदन नाम हटाने के लिए हैं न कि जोड़ने के लिए, जो विपक्ष के 65 लाख वोटरों के नाम कटने के दावों के उलट है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी आँकड़ें

अब बात करते हैं राहुल गाँधी के उन दावों की, जो SIR को लेकर हवा में तैर रहे थे। राहुल गाँधी ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान बार-बार आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और BJP के बीच साठगाँठ है और SIR के जरिए 65 लाख वोटरों के नाम जानबूझकर काटे गए। उन्होंने दावा किया कि यह गरीब, दलित, और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है। लेकिन चुनाव आयोग का बुलेटिन इन दावों को खोखला साबित करता है। कॉन्ग्रेस ने एक भी दावा दायर नहीं किया, जो उनके आरोपों की गंभीरता पर सवाल उठाता है। क्या यह दर्शाता है कि उनके दावे महज प्रचार थे?

राहुल गाँधी ने एक और वीडियो वायरल किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया कि मृत वोटरों के नाम सूची में बने हुए हैं और SIR उनकी सफाई नहीं कर रहा। इस वीडियो में उन्होंने बीएलओ रानी कुमारी पर सवाल उठाए, लेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि रानी कुमारी सिर्फ सत्यापन कर रही थीं, न कि कोई गड़बड़ी। यह वीडियो फर्जी निकला और राहुल के दावों पर सवाल उठे। इसके अलावा, उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा में एक लाख फर्जी वोटरों का डेटा पेश किया, लेकिन चुनाव आयोग ने जवाब माँगा, जो अब तक नहीं आया। क्या यह उनकी तैयारी की कमी को दर्शाता है?

राहुल ने विदेशी मीडिया जैसे Al Jazeera, NYT, BBC को इस्तेमाल करके ‘वोट चोरी’ प्रोपगैंडा फैलाया, दावा किया कि SIR से लाखों असली नाम कट रहे हैं। ये सब सपोर्ट राहुल के नैरेटिव को था, लेकिन ECI की रिपोर्ट्स से साफ है कि कोई सबूत नहीं, बस पॉलिटिकल नौटंकी। राहुल ने EC की चुनौती पर हलफनामा तक नहीं दिया।

एक और बड़ा दावा राहुल गाँधी ने यह किया कि SIR के जरिए संस्थागत वोट चोरी हो रही है, और उन्होंने इसे गुजरात मॉडल बताया। उन्होंने अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनाव आयोग BJP के इशारे पर काम कर रहा है। लेकिन चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि 22 लाख मृत वोटर पिछले 20 साल की गलतियों से जुड़े हैं और SIR इनको ठीक करने की प्रक्रिया है। राहुल के दावों के जवाब में आयोग ने चुनौती दी कि अगर गड़बड़ी थी, तो ड्राफ्ट जारी होने पर आपत्ति क्यों नहीं की गई? यह सवाल अब जनता के सामने है।

राहुल गाँधी ने मिंता देवी और शकुन रानी के नाम लेकर भी हंगामा मचाया। उन्होंने दावा किया कि मिंता देवी की उम्र 124 साल बताई गई, जो फर्जीवाड़ा है, और शकुन रानी ने दो बार वोट डाला। लेकिन जाँच में पता चला कि मिंता देवी का नाम सही था और शकुन रानी का मामला डुप्लिकेट EPIC नंबर से जुड़ा था, जो तेजस्वी यादव के साथ भी हुआ। चुनाव आयोग ने तेजस्वी के दो वोटर कार्ड का खुलासा किया, जो उनके अपने दावों पर सवाल उठाता है। क्या यह विपक्ष की अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश थी?

योगेंद्र यादव जैसे विश्लेषकों ने भी दावा किया था कि SIR से 2 करोड़ वोटरों के नाम कटेंगे, और यह जनता को वोट से वंचित करने की साजिश है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 1.97 लाख नाम हटाने के लिए आवेदन आए, जो उनके दावों से कोसों दूर है। राहुल गाँधी की 16 अगस्त से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा जो 1 सितंबर को पटना में खत्म होगी, को जनता का समर्थन नहीं मिल रहा। नवादा में एक शख्स सुबोध कुमार ने दावा किया कि उनका नाम कटा, लेकिन आँकड़ों से यह साबित नहीं होता।

चुनाव आयोग का कहना है कि SIR एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमें हर मतदाता और दल के लिए दरवाजे खुले हैं। उन्होंने कहा कि 90,817 मतदान केंद्रों की सूची शेयर की गई और 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियाँ आमंत्रित की गईं। बुलेटिन में यह भी कहा गया कि कोई भी नाम 1 अगस्त की सूची से बिना जाँच के नहीं हटाया जाएगा। यह दर्शाता है कि आयोग हर एलिजिबल वोटर को शामिल करने की कोशिश कर रहा है, जैसा कि 13.33 लाख नए फॉर्म से जाहिर होता है।

जनता के मन में सवाल है कि अगर वाकई 65 लाख नाम कटे, तो इतने कम दावे-आपत्तियाँ क्यों? क्या यह विपक्ष की नाकामी है या उनके दावों में दम नहीं था? राहुल गाँधी की यात्रा और बयानों ने सियासी माहौल गरम किया, लेकिन आँकड़े उनकी बातों को चुनौती दे रहे हैं। बिहार की जनता अब सचाई को समझ रही है और यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ दिन में क्या नया मोड़ आता है।

ये डेटा राहुल गाँधी को पूरी तरह एक्सपोज़ कर रहा है। बिहार में कोई ‘वोट चोरी’ नहीं, बल्कि ECI ने पारदर्शिता से काम किया। योगेंद्र यादव जैसे ‘चार्लटन’ की बातें भी हवा हो गईं। लोग SIR का सपोर्ट कर रहे हैं, फर्जी नाम हटाने चाहते हैं। ECI ने 3 लाख संदिग्ध वोटर्स को नोटिस भेजे, लेकिन सही लोगों को लेकर कोई समस्या नहीं। ये रिपोर्ट बताती है कि चुनाव प्रक्रिया मजबूत है और प्रोपगैंडा फैलाने वाले अब चुप हैं। बिहार के लोग समझदार हैं, वे ऐसे झूठ में नहीं फँसते। कुल मिलाकर SIR सफल हो रहा है और राजनीतिक शोर सिर्फ चुनावी स्टंट था।



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