कॉन्ग्रेस की फिर फर्जी दावा, चुनाव आयोग का फैक्ट चेक

बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) के दौरान करीब 65 लाख नामों के हटाए जाने पर कॉन्ग्रेस ने दावा किया कि उसने चुनाव आयोग को 89 लाख शिकायतें दी हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि एक भी फॉर्म आधिकारिक रूप से जमा नहीं कराया गया है।

इसके अलावा चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गाँधी ने ना तो कोई शपथ पत्र दिया और ना ही अपने आरोपों का प्रमाण। ऐसे में बार-बार चुनाव आयोग पर आरोप लगाकर खुद की ही फजीहत कराने में अब कॉन्ग्रेस को काफी मजा आ रहा है।

फर्जी आँकड़ों का दावा, बिना प्रक्रिया अपनाए

कॉन्ग्रेस ने जब यह कहा कि उसने 89 लाख शिकायतें दर्ज करवाई हैं, तो यह सुनकर सभी चौंक गए। पार्टी के नेता पवन खेड़ा और राजेश राम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस दावे को पूरे आत्मविश्वास से रखा। उन्होंने कहा कि पार्टी के पास शिकायतों की रसीदें भी मौजूद हैं और यह सब चुनाव आयोग को सौंपा गया है।

पवन खेड़ा ने अपने बयान में कहा कि 20,000 से अधिक बूथों पर 100 से ज्यादा नाम काटे गए। कई बूथों पर महिलाओं के नाम 70 फीसदी तक हटाए गए। पवन खेड़ा ने इसे एक ‘पैटर्न‘ बताया। पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि BLOs के जरिए आवेदन इकट्ठा कर DEO को सौंपे गए हैं।

पूर्वी चंपारण और सुपौल DM ने दावों को झूठलाया

लेकिन अगले ही दिन पूर्वी चंपारण के DM ने खुद कॉन्ग्रेस के पोस्ट पर जवाब देते हुए बताया कि बिहार में 1 अगस्त 2025 को जो ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित हुई, उस पर कॉन्ग्रेस की ओर से न तो फॉर्म 6 (नाम जोड़ने के लिए) और न ही फॉर्म 7 (नाम हटाने पर आपत्ति) में कोई आवेदन जमा हुआ है।

इसके अलावा कॉन्ग्रेस के इसी पोस्ट पर सुपौल के DM ने भी जवाब में कहा कि अब तक बिहार में कॉन्ग्रेस पार्टी के किसी भी जिला अध्यक्ष द्वारा अधिकृत किसी बूथ लेवल एजेंट (BLA) ने 1 अगस्त 2025 को जारी की गई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में किसी भी नाम को लेकर ना तो नाम जोड़ने का फॉर्म (फॉर्म 6) भरा है और न ही किसी नाम पर आपत्ति (फॉर्म 7) दर्ज कराई है और ये सब तय फॉर्मेट में होना चाहिए था।

ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि 89 लाख शिकायतों का यह आँकड़ा आखिर आया कहाँ से? और अगर वाकई शिकायतें थीं तो वो किसको दी गईं, और कैसे दी गईं?

राहुल गाँधी का आरोप भी खोखला, आयोग को नहीं मिला कोई शपथ पत्र

कॉन्ग्रेस के इस दावे की अगुवाई राहुल गाँधी खुद कर रहे थे। राहुल गाँधी ने दावा किया कि बड़े पैमाने पर विपक्षी मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं और यह लोकतंत्र की हत्या है। लेकिन जब चुनाव आयोग ने उनसे शपथ पत्र और प्रमाण माँगा, तो राहुल गाँधी चुप हो गए।

निर्वाचन आयोग ने खुद कहा है कि राहुल गाँधी की तरफ से कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया। ना तो कोई आधिकारिक दस्तावेज, ना डेटा और न ही किसी तरह का ठोस प्रमाण। यानी जो भी बातें राहुल मंच से बोलते रहे, वो सिर्फ भाषण तक सीमित रहीं। कानूनन ना तो कोई कार्रवाई की गई और न ही किसी स्तर पर कॉन्ग्रेस ने प्रक्रिया का पालन किया।

शिकायतें तो छोड़िए, अनुमति भी नहीं माँगी राहुल ने

एक और फजीहत तब हुई जब यह खबर चली कि राहुल गाँधी को पटना के गाँधी मैदान में रुकने की अनुमति नहीं दी गई। कॉन्ग्रेस ने इसे लेकर भी प्रशासन पर सवाल उठाए। लेकिन जब पटना जिला प्रशासन ने स्पष्टीकरण जारी किया, तो कॉन्ग्रेस का यह आरोप भी झूठा निकला।

प्रशासन ने साफ किया कि न राहुल गाँधी और न ही कॉन्ग्रेस की ओर से रात रुकने की कोई अनुमति माँगी गई थी। जो दो अनुमतियाँ माँगी गई थीं, वो सभा और रैली के लिए थी, जो दे दी गई थी।



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