भगवंत मान पंजाब

किसानों के आंदोलन और विपक्ष के विरोध के बीच आखिरकार पंजाब सरकार बैकफुट पर आ गई है। आप सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस लेने का फैसला लिया है। इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी अगले आदेश तक पॉलिसी पर रोक लगा दी थी। साथ ही पंजाब की मान सरकार को पॉलिसी रद्द करने की चेतावनी दी थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने लेटर जारी कर यह जानकारी दी। लेटर में बताया गया कि 14 मई 2025 को लागू की गई पंजाब लैंड पॉलिसी और इससे जुड़े संशोधनों को वापस लिया जा रहा है।

बता दें कि इससे पहले पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने लैंड पूलिंग पॉलिसी मामले की सुनवाई पर 4 हफ्ते की रोक लगा दी थी। कोर्ट ने पंजाब सरकार को 2 विकल्प दिए थे, जिसमें कहा गया था कि या तो पॉलिसी वापस ली जाए वरना अदालत इसे रद्द कर देगी।

हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर 2025 तय कर पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने का समय दिया था। साथ ही कोर्ट ने पंजाब सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा था कि यह पॉलिसी जल्दबाजी में बनाई गई है।

किसानों ने आंदोलन की दी थी चेतावनी

लैंड पूलिंग पॉलिसी के विरोध में किसान लगातार विरोध प्रदर्शन किया। किसान मजदूर संघर्ष समिति ने पंजाब के कई जिलों में बाइक रैली निकाली। इस दौरान समिति ने फैसले का जमकर विरोध करते हुए पॉलिसी वापस लेने की माँग की थी। साथ ही ऐसा ना करने पर पंजाब सरकार को बड़े आंदोलन की भी चेतावनी दी थी।

पॉलिसी को लेकर किसान नेताओं ने दावा किया था कि लैंड पूलिंग से सरकार प्रदेश की 65000 एकड़ से ज्यादा जमीन को निजी संस्थानों के हाथों में देना चाहती है। वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने पूरे पंजाब में विरोध रैलियाँ की। अब 01 सितंबर 2025 को पक्का मोर्चा निकालने की तैयारी थी।

क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी?

लैंड पूलिंग पॉलिसी 2011 में अकाली दल की सरकार के दौरान लागू की गई थी। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इसे बढ़ावा दिया। फिर अब पंजाब की मौजूदा मान सरकार ने पॉलिसी में बदलाव करते हुए इसे लागू किया। जून 2025 में पंजाब कैबिनेट में पॉलिसी को बदलाव के साथ मंजूरी मिल गई।

इस पॉलिसी के तहत प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहित कर इंडस्ट्रिटयल, कमर्शियल और रिहायशी सेक्टर विकसित किए जाने थे। पॉलिसी में यह भी बताया कि किसानों को जमीन के बदले मुआवजा नहीं दिया जाएगा बल्कि उसी क्षेत्र में कमर्शियल और रिहायशी प्लॉट दिए जाएँगे।

वहीं किसानों का कहना था कि पॉलिसी के तहत जमीन को कॉरपोरेट को देने की साजिश है। किसानों ने कहा कि उनपर चारों ओर से हमले किए जा रहे हैं। एक तरफ जमीन छीनने की साजिश की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ भारत पर लगातार अमेरिका दबाव बना रहा है कि कृषि, डेयरी, पोल्ट्री, मछलीपालन जैसे क्षेत्र में उसे भारत में घुसने दिया जाए।

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