ईरान की संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि अंतिम फैसला अब ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा लिया जाएगा। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया है।

इस घटना के बाद पश्चिम एशिया में तनाव काफी बढ़ गया है और दुनिया भर में तेल आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ गई है। ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अरागची ने कहा है कि ‘ईरान के पास कई विकल्प उपलब्ध हैं।’ होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना इनमें से सबसे प्रभावशाली और खतरनाक विकल्प माना जा रहा है।

होर्मुज जलडमरूमध्य क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है, और यह दुनिया का सबसे अहम तेल व्यापार मार्ग है। इस संकीर्ण समुद्री रास्ते से सऊदी अरब, ईरान, यूएई जैसे देशों का तेल और गैस दुनियाभर में जाता है। इसकी चौड़ाई सबसे संकरे हिस्से में सिर्फ 33 किलोमीटर है, जिससे इसे रोकना या बाधित करना आसान हो जाता है।

अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के अनुसार, 2024 में दुनिया के समुद्री तेल व्यापार का 25% और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का लगभग 20% हिस्सा इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरा है। अगर ईरान इस जलमार्ग को बंद करता है तो इससे वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होगी और कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और इसका एक बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व से आता है। EIA की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले तेल का 69% हिस्सा चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को गया। अगर यह रास्ता बाधित होता है, तो भारत को तेल मिलना मुश्किल नहीं होगा, लेकिन दाम जरूर बढ़ सकते हैं।

भारत रूस, अमेरिका और अफ्रीका जैसे विकल्पों से भी तेल खरीदता है, लेकिन कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर पेट्रोल-डीजल से लेकर अन्य उत्पादों पर भी पड़ेगा। इस स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा है कि भारत फारस की खाड़ी के बाहर से तेल मँगाने की योजना बना रहा है और रिफाइन्ड प्रोडक्टस (जैसे पेट्रोल-डीजल) के निर्यात में कटौती करेगा।



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