विश्व के सात महत्वपूर्ण देशों के समूह G7 की बैठक कनाडा में आयोजित हो रही है। इस वार्षिक शिखर सम्मलेन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कनाडा जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बैठक के लिए न्योता नए कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कनाडा यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब दोनों देशों के संबंध कुछ खास अच्छे हैं। कनाडा बीते कुछ वर्षों में खालिस्तानी और इस्लामी आतंकियों की शरणस्थली बन चुका है।
कनाडा में G7 की यह बैठक अल्बर्टा में हो रही है। 16-17 जून, 2025 को होने वाले इस शिखर सम्मलेन के लिए प्रधानमंत्री मोदी सोमवार (16 जून, 2025) को कनाडा पहुँच रहे हैं। इस बीच खालिस्तानी आतंकियों ने प्रधानमंत्री मोदी के अल्बर्टा दौरे पर बड़े विरोध प्रदर्शनों और यहाँ तक कि हमले तक की तैयारी कर ली है, ऐसी सूचना है। इस काम को कनाडा में वर्तमान में मौजूद कई खालिस्तानी आतंकी संगठन अंजाम दे सकते हैं। इनमें से कई लम्बे समय से सक्रिय हैं।
बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI)
बब्बर खालसा सबसे पुराने और सबसे संगठित खालिस्तानी आतंकवादी समूहों में से एक है। इसकी जड़ें 1920 के बब्बर अकाली आंदोलन से जुड़ी हैं, लेकिन औपचारिक रूप से इसने 1978 में बैसाखी के दिन अखंड कीर्तनी जत्थे और निरंकारियों के बीच हुई झड़पों के बाद आकार लिया था।
बब्बर खालसा को UAPA कानून के तहत भारत में प्रतिबंधित किया गया है। 24 अप्रैल, 1980 को निरंकारी प्रमुख गुरबचन सिंह की हत्या के बाद, बीबी अमरजीत कौर के अनुयायियों ने खुद को बब्बर खालसा घोषित किया था। इसने 1981 में कनाडा की धरती से काम करना चालू किया था।
इसकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पैसा देती है। इसी संगठन ने 1985 में एअर इंडिया के विमान कनिष्क को बम विस्फोट से उड़ाया था, जिसमें 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा इसी संगठन ने पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह की हत्या करवाई थी। इसका सरगना वाधवा सिंह बब्बर वर्तमान में पकिस्तान में रहता है।
बब्बर खालसा इंटरनेशनल में वर्तमान में वाधवा सिंह के अलावा लखबीर लांडा, हरविंदर रिंदा और गोल्डी बराड़ जैसे आतंकी काम करते हैं। यह सभी भारत से बाहर बैठ कर पंजाब समेत बाकी देश में अशांति फैलाना चाहते हैं।
इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF)
इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन को भी भारत ने UAPA के तहत बैन किया हुआ है। यह यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, कनाडा और अमेरिका में अपनी ब्रांच के माध्यम से काम करता है। ISYF का मुख्य उद्देश्य भी खालिस्तान बनाना है। इस संगठन को पहले जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा लखबीर सिंह रोडे चलाता था।
उसकी पाकिस्तान में 2023 में मौत हो गई थी। वर्तमान में उसका बेटा भगत बराड़ इसमें शामिल है। वह कनाडा में एक व्यापारी है लेकिन लगातार खालिस्तानी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान जाया करता है। उसे कनाडा ने भी नो फ्लाई लिस्ट में रखा हुआ है।
इसके अलावा एक और आंतकी मनवीर सिंह दुह्डा भी कनाडा में रह कर वर्तमान में ISYF को पैसा देता है और इसकी आतंकी गतिविधि बढ़ाता है। इसके अलावा सुलिंदर सिंह विर्क और मलकीत सिंह फौजी जैसे आतंकी भी इस संगठन में शामिल हैं।
सिख लिबरेशन फ्रंट (SLF)
विदेश में बसने वाले खालिस्तानियों का समूह माने जाने वाले सिख लिबरेशन फ्रंट में कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका के खालिस्तानी शामिल हैं। यह अन्य खालिस्तानी समूहों से अलग है क्योंकि इसका कोई औपचारिक ऑनलाइन या सार्वजनिक अस्तित्व नहीं है। यह एक संगठन की तरह कम और एक समूह की तरह ज्यादा काम करता है।
इसमें अमेरिका और कनाडा के तीन समूह शामिल हैं। इसकी गतिविधियों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार नजर बनाए रखती हैं। इसका कामधाम अभी मोहिंदर सिंह बुअल देखता है। वह कनाडा के वैंकूवर का रहने वाला है और कनाडाई खालिस्तानी नेता जगमीत सिंह का ख़ास है। उसके लिंक एक आतंकी परिवार से ही हैं।
खालिस्तान जिंदाबाद फ़ोर्स (KZF)
आतंकी रंजीत सिंह नीता की अगुवाई में 1993 में बना खालिस्तान जिंदाबाद फ़ोर्स वर्तमान में भारत में UAPA के तहत बैन है। KZF के तीन आतंकी हाल ही में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में मार गिराए गए थे। KZF मुख्य तौर पर सिख युवाओं को ऑनलाइन भड़का कर उनसे हमला करवाता है।
पंजाब के SBS नगर में चौकी पर हमला भी इसने ही करवाया था। इसके तार अमेरिका, कनाडा, मलेशिया से लेकर जर्मनी और नेपाल तक फैले हुए हैं। 1996 में झेलम एक्सप्रेस में धमाका करवाने से लेकर दिल्ली के पहाड़गंज में 2000 में बम ब्लास्ट करवाने तक की जिम्मेदारी इसी संगठन ने ली है।
इसका मुखिया नीता भी UAPA के तहत बैन है। वह NIA और पंजाब पुलिस का वांटेड है। इस संगठन में भूपिंदर सिंह भिंदा नाम का आतंकी भी शामिल है। उसने डेरा राधास्वामी सत्संग व्यास के मुखिया को मारने की योजना बनाई थी, इस मामले में उसे सजा भी हुई थी। इसके अलावा इस संगठन में गुरमीत सिंह बग्गा नाम का आतंकी भी शामिल है।
सिख फॉर जस्टिस (SFJ)
सिख फॉर जस्टिस (SFJ) अमेरिका से काम करने वाला खालिस्तानी संगठन है। इसको 2009 में वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू ने बनाया था। यह भी आजाद खालिस्तान बनाना चाहता है। SFJ ने दुनिया भर में खालिस्तान के नाम पर खालिस्तान रेफरेंडम का लगातार आयोजन किया है। इसके अलावा यह संगठन लगातार सोशल मीडिया पर आतंक को बढ़ावा देता रहा है।
इसे 2019 में मोदी सरकार ने UAPA के तहत बैन कर दिया था। यह समूह कभी भारत के नक़्शे से छेड़छाड़ करता है तो भारतीय नेताओं और अफसरों को मारने की धमकियाँ देता है। इस काम के लिए SFJ ने इनामों की घोषणा भी की है।
इस संगठन का चेहरा गुरपतवंत सिंह पन्नू है। पन्नू लगातार सोशल मीडिया का इस्तेमाल खालिस्तानी एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए करता है। उसके पहले भी कई आतंकियों से लिंक रहे हैं।
खालिस्तान कमांडो फ़ोर्स (KCF)
खालिस्तान कमांडो फोर्स 1986 में बना था। इसका उद्देश्य हिंसा के जरिए खालिस्तान बनाना था। ये लोग सशस्त्र संघर्ष, फिरौती के लिए अपहरण और बैंकों को लूटना, हथियार खरीदने और लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए धन जुटाने जैसे काम करते आए थे। इसका सरगना परमजीत सिंह पंजवार था।
पंजवार के नेतृत्व में, KCF ने 80 और 90 के दशक के अंत में कई आतंकी हमले अंजाम दिए। इनमे राजनीतिक हत्याओं से लेकर कॉलेजों में मर्डर तक शामिल थे। KCF नेने फिरोजपुर में 10 राय सिखों की भी हत्या की थी। इसका उद्देश्य डर पैदा करना था।
इसके बाद उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के प्रमुख मेजर जनरल बी.एन. कुमार की हत्या और पटियाला के थापर इंजीनियरिंग कॉलेज में 18 छात्रों की हत्या को अंजाम दिया। KCF का पंजवार ही कर्ता धर्ता है। वह लगातार भारत विरोधी साजिशें रचता रहता है।
खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स (KTF)
खालिस्तान टाइगर फोर्स या KTF की स्थापना जगतार सिंह तारा ने की थी। वह पहले बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सदस्य था। तारा 31 अगस्त, 1995 को पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल था। भारत ने वर्तमान में खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स को बैन किया हुआ है।
जगतार सिंह तारा भी 2015 में गिरफ्तार हो चुका है। उसकी गिरफ्तारी थाईलैंड में हुई थी। इस संगठन के तार ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, फ्रांस और यहाँ तक कि स्पेन में भी जुड़े हैं। KTF में अर्शदीप डल्ला और मनदीप सिंह धालीवाल जैसे आतंकी शामिल हैं। यह लगातार भारत विरोधी साजिशें रच रहे हैं।
पीएम के दौरे पर आतंकी साया
जब कोई राष्ट्राध्यक्ष किसी वैश्विक शिखर सम्मेलन में जाता है, तो आम तौर पर सहयोग, विकास और नीति पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी-7 के लिए अल्बर्टा की यात्रा के मामले में, कनाडा के सरकार की शह पर काम करने वाले खालिस्तानी आतंकियों ने दूसरी तरफ मोड़ दिया है।
खालिस्तानी कोई छिपे हुए कोनों में अलग-थलग आवाज़ें नहीं हैं। उनको मोटी फंडिंग मिलती है और वो भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका तक फैले हुए हैं। कुछ मामलों में उन्हें तमाम सरकारें तक मदद कर रही हैं।
इस कहानी में पाकिस्तान की ISI एक जाना-पहचाना नाम है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वास्तव में इस बात की चिंता होनी चाहिए कि इनमें से कितने ऑपरेटिव कनाडा, यूके, यूएस और मुख्य भूमि यूरोप में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। वे देश जो अक्सर मानवाधिकारों और कानून के शासन को बढ़ावा देते हैं, वही इन आतंकियों को पनाह देते हैं।
खालिस्तानी आतंकी भारतीय राजनयिकों पर हमले करके यह दिखा भी चुके हैं कि वह किसी भी भारतीय को निशाना बनाने से चूकेंगे नहीं। ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा और इसमें खालिस्तानियों के कारनामों पर सबकी नजर रहने वाली है।