नेपाल की सड़कों पर कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया। हजारों की संख्या में देश के युवा, जिन्हें GenZ यानी ‘जेनरेशन जेड’ कहते हैं, वो सरकार के खिलाफ उतर आए। वजह बनी सोशल मीडिया पर बैन और देश में भ्रष्टाचार।

ये आंदोलन इतना तेज हुआ कि देखते ही देखते नेपाल में तख्तापलट हो गया। अब सवाल उठता है कि भारत के GenZ क्या कर रहे हैं?

GenZ कौन हैं?

GenZ वे युवा हैं, जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है। आज इनकी उम्र 12 से 27 साल के बीच है। भारत में इनकी संख्या करीब 37 करोड़ मानी जाती है, जो देश की आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। यानी भारत का भविष्य GenZ के हाथों में ही है। कंपनियाँ, सरकारें और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक इन्हीं को ध्यान में रखकर अपनी नीतियाँ तय कर रहे हैं।

स्लैंग से मशहूर GenZ

भारत के GenZ की इंटरनेट पर अपनी भाषा है, जिसे स्लैंग के रूप में जाना जाता है। ये स्लैंग अब हर जगह छाए हुए हैं। अब ये स्लैंग सिर्फ व्हाट्सऐप के चैट्स तक सीमित नहीं है बल्कि बॉलीवुड के गानों और विज्ञापनों तक पहुँच गए हैं। कुछ स्लैंग का अर्थ समझते हैं:

rizz – मतलब किसी को इम्प्रेस करने की कला।
delulu– जब इंसान हकीकत छोड़कर ख्वाबों में जीने लगे।
brat– थोड़ा बागी, थोड़ा नखरीला अंदाज।

इसले अलावा skibidi, delulu, और tradwife जैसे कुछ स्लैंग तो कैम्ब्रिज डिक्शनरी तक में भी शामिल किए गए हैं। यह पीढ़ी अपने अलग बोलचाल और अंदाज से बाकी सबको प्रभावित कर रही है।

भारत में GenZ हर साल ₹72 लाख करोड़ करते है खर्च

GenZ न सिर्फ इंटरनेट पर बल्कि अर्थव्यवस्था में भी अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के GenZ हर साल 72 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करते हैं। देश के कुल उपभोक्ता खर्च का करीब 43 प्रतिशत हिस्सा GenZ से ही आता है। वहीं अन्य रिपोर्ट बताती है कि GenZ अपनी कमाई का 30 प्रतिशत हिस्सा सेविंग में डालते हैं।

GenZ सबसे ज्यादा फैशन, डाइनिंग और मनोरंजन में खर्च कर रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, उनका 50 प्रतिशत खर्च फुटवियर, 48 प्रतिशत डाइनिंग, 48 प्रतिशत बाहरी मनोरंजन और 47 प्रतिशत फैशन और लाफस्टाइल पर खर्च होता है। यही नहीं GenZ ट्रैवलर्स साल में दो से तीन बार ट्रिप पर भी जाते हैं, जिनमें 94 प्रतिशत युवा साल में एक बार तो जरूर ही ट्रैवल करते हैं।

Net Influencer की रिपोर्ट के अनुसार, 85 प्रतिशत GenZ सिर्फ वही ब्रांड खरीदते हैं जो उनके जीवन के सिद्धांतों से मेल खाते हों। उन्हें फालतू विज्ञापन पसंद नहीं है। यही वजह है कि कंपनियाँ अब GenZ की जीवनशैली को फोकस में रखते हुए अपने प्रोडक्ट ला रहे हैं। 15 प्रतिशत ब्रांड ने अपनी मार्केटिंग स्ट्रैटेजी को सिर्फ GenZ पर फोकस रखा है।

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा GenZ मार्केट भी माना जा रहा है। आने वाले समय में उनका खर्च दोगुना होने का अनुमान है।

भारत की राजनीति में GenZ का दखल

भारत की राजनीति में GenZ का दखल अभी शुरुआती स्तर पर है। ये पीढ़ी शांतिपूर्ण लेकिन मजबूत राजनीतिक जागरूकता का अनुभव कर रही है। बड़ी संख्या में GenZ अब वोट डालने लायक उम्र में पहुँच चुके हैं लेकिन उनका जुड़ाव ज्यादातर सोशल मीडिया बहसों तक सीमित है।

CSPS लोकनीति सर्वे 2024 के मुताबिक, इस पीढ़ी की सबसे बड़ी चिंताएँ बेरोजगारी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सामाजिक एकता है। 48 प्रतिशत GenZ मानते हैं कि बेरोजगारी बढ़ी है, वहीं 55 प्रतिशत GenZ को बढ़ते प्रदूषण की चिंता खल रही है।

सोशल मीडिया GenZ की पहली पसंद

भारत का GenZ दिन की शुरुआत से लेकर रात तक सोशल मीडिया से जुड़ा रहता है। Google और Kantar की रिपोर्ट के मुताबिक, 91 प्रतिशत GenZ न्यूज अपडेट के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर रहते हैं। इनमें भी लगभग 88 प्रतिशत लोग यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर वीडियो के जरिए ही समाचार देखते हैं।

इस पीढ़ी के लिए सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि असली पार्लियामेंट बन चुका है। ये सोशल मीडिया उनके लिए विवादों और ‘ऑनलाइन लफड़ा’ का अड्डा भी बन जाता है, जहाँ हर दिन कोई नया झगड़ा या ट्रेंड जन्म लेता है।

NDTV की रिपोर्ट बताती हैं कि भारत के GenZ बोर होना लगभग भूल चुके हैं। मोबाइल और इंटरनेट ने उन्हें हर पल व्यस्त कर दिया है लेकिन यही व्यस्तता उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। Frontline की रिपोर्ट के मुताबिक, चिंता और मानसिक दबाव इस पीढ़ी की बड़ी चुनौतियों में से एक है।

करियर के मामले में GenZ की सोच

काम और करियर के मामले में GenZ की सोच उनसे पहले वाली पीढ़ियों से अलग है। ये पीढ़ी काम और पढ़ाई के बीच में अक्सर अकेलेपन और थकान का अनुभव करती है। हालाँकि, करियर को लेकर इस पीढ़ी की सोच अलग है।

फोर्ब्स की एक रिपोर्ट बताती है कि यह पीढ़ी शादी, घर खरीदने और बड़ी जिम्मेदारियों जैसे जीवन के बड़े फैसलों को टाल रही है। रिपोर्ट में बताया गया कि करियर के चलते 50 प्रतिशत GenZ ने अपने निजी शौक छोड़ दिए, जो कि किसी भी अन्य पीढ़ी की तुलना में काफी ज्यादा है।

India Today की रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरी की दुनिया में भी इन्हें सख्त नियम और बॉसगिरी पसंद नहीं। हाल ही में GenZ stare नाम का ट्रेंड चर्चा में आया था, जिसमें मैनेजर्स को इन युवाओं की खामोश घूरती नजरें असहज कर देती हैं। वे फ्लेक्सिबल कामकाज और फ्रीडम चाहते हैं, न कि सुबह 9 से शाम 5 तक दफ्तर की बंधी हुई दिनचर्या।

नेपाल में GenZ ने सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर सरकार को गिरा दिया। वहीं भारत में GenZ की दुनिया रील्स, मीम्स, ब्रांड्स और शॉपिंग के बीच ही अटकी है। लेकिन इस बात को इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनके पास संख्या, ताकत और तकनीकी समझ किसी भी दूसरी पीढ़ी से अधिक है। अगर यही GenZ भारत की राजनीति और समाज में सक्रिय रूप से उतरें तो भारत की तस्वीरे बदल देंगे।

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