रूस ने पश्चिमी देशों के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने की बात थी। रूस ने एक बहुराष्ट्रीय सुरक्षा बल बनाने के यूरोपियन प्रयास को भी खारिज कर दिया, जिसका उद्देश्य भविष्य में रूसी हमले को रोकना था। क्रेमलिन ने कहा कि वह ऐसी किसी भी स्थिति के लिए तैयार नहीं है, जिसमें सुरक्षा गारंटी के लिए यूक्रेन में विदेशी सैनिक तैनात किए जाएँ।
इस बारे में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी देते हुए कहा, “यूक्रेन में पश्चिमी सैनिकों की किसी भी तैनाती से वे रूसी सेना के लिए वैध निशाना बन जाएँगे।” साथ ही उन्होंने युद्धविराम वार्ता की संभावना का संकेत दिया है। इसके अलावा इस बात पर जोर दिया है कि जरूरत पड़ने पर वे रूस के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए सैन्य अभियान जारी रखने के लिए तैयार हैं।
रूस ने यह प्रस्ताव उस समय ठुकराया है, जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बयान दिया था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम होने के बाद 26 पश्चिमी देशों ने यूक्रेन में जमीन, समुद्र या हवाई मार्ग से सेना तैनात करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा कि इस योजना को अमेरिका के साथ अंतिम रूप दिया जाएगा।
रूस का यह रुख मॉस्को और पश्चिमी देशों के बीच दरार को और गहरा कर रहा है। वह भी ऐसे समय में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूरोपियन नेता और कीव युद्ध समाप्त होने के बाद लागू किए जाने वाले ढाँचे को तैयार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा,”यूक्रेन के लिए सुरक्षा की गारंटी विदेशी, खासकर यूरोपियन और अमेरिकी सैन्य टुकड़ियाँ नहीं दे सकतीं। बिल्कुल नहीं- वे नहीं दे सकतीं।”
पेसकोव ने आगे कहा, “यह यूक्रेन के लिए ऐसी सुरक्षा गारंटी नहीं हो सकती जो हमारे देश को स्वीकार्य नहीं हो।” उन्होंने कहा कि रूस ऐसे प्रस्तावों को ठुकराता है और मानता है कि इस मुद्दे को पहले के शांति ढाँचों में पहले ही संबोधित किया जा चुका है, जिसमें 2022 में इस्तांबुल में वार्ता भी शामिल है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने क्रेमलिन की स्थिति को मजबूत करते हुए कहा कि किसी भी स्थायी समझौते में जमीन पर हुए क्षेत्रीय बदलावों को शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मॉस्को एक नए यूरेशियन सुरक्षा ढाँचे की बात करता है, जिसमें सभी के लिए ‘समान और अविभाज्य सुरक्षा’ हो।
मॉस्को ने ऐसे समय में प्रस्ताव ठुकराया है जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पेरिस में एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। इसमें 26 यूरोपियन देशों ने यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने का संकल्प लिया। योजना में जमीन, समुद्र और हवाई तैनाती से एक निवारक बल बनाने की बात है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी इस संकल्प को गंभीर और विशिष्ट कदम बताया, जो वर्षों के अधूरे आश्वासनों के बाद आया है। हालाँकि, जर्मनी और इटली समेत कुछ देश यूक्रेन में सेना भेजने में हिचकिचा रहे हैं और इसके बजाए यू्क्रेन की सेना बेहतर ट्रेनिंग और मजबूत बनाने का विकल्प चुन रहे हैं। जबकि बुल्गारिया जैसे बाकी देश काले सागर में नौसैनिक सहायता की तैयारी कर रहे हैं।