दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (2 सितंबर 2025) को जामिया मिलिया इस्लामिया के Alumni Association के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान और जामिया के पीएचडी स्कॉलर और आरजेडी यूथ लीडर मीरान हैदर की जमानत याचिकाएँ खारिज कर दीं। दोनों पर 2020 के दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों की बड़ी साजिश में शामिल होने का आरोप है।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं, खासकर फंड जुटाने, प्रदर्शन आयोजित करने और साजिश के मुख्य लोगों से नजदीकी की बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
शिफा-उर-रहमान के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर
पुलिस का कहना है कि शिफा-उर-रहमान ने Alumni Association के अध्यक्ष के तौर पर गलत तरीके से पैसा जुटाया। जाँच में पता चला कि करीब 8.90 लाख रुपये प्रदर्शन स्थलों के लिए इस्तेमाल हुए और खर्च छिपाने के लिए फर्जी बिल बनाए गए।
पुलिस ने कहा कि रहमान ने महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन में लाने के लिए पैसे बाँटे ताकि पुलिस कार्रवाई न करे। 28 अप्रैल 2020 को Alumni Association के ऑफिस से फर्जी बिल बरामद हुए, जिसमें 7-8 लाख रुपये नकद मिलने की बात सामने आई। रहमान ने कहा कि वे अपने बड़े परिवार के इकलौते कमाने वाले हैं, लेकिन कोर्ट ने कहा कि सबूतों से उनकी साजिश में शामिल होने की बात गंभीर है।
बेंच ने कहा, “हमने गवाहों के बयान और सबूत देखे। अभियोजन का कहना है कि शिफा-उर-रहमान और मीरान हैदर ने साजिश में अपनी-अपनी भूमिका निभाई। दोनों दिल्ली में कई प्रदर्शन स्थलों को मैनेज कर रहे थे और जामिया Alumni Association ऑफिस व अन्य जगहों पर जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठकों में शामिल थे।”

कोर्ट ने माना कि पैसा दंगों और सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों को चलाने के लिए था और इसके लिए फर्जी बिल बनाए गए।
मीरान हैदर ने दंगों और प्रदर्शनों पर 2.33 लाख रुपए खर्च किए
मीरान हैदर पर भी साजिश में शामिल होने का आरोप है। उन पर प्रदर्शन स्थलों के लिए बड़ी रकम जुटाने और खर्च करने का इल्जाम है। अभियोजन के मुताबिक, हैदर ने Alumni Association को पैसा दिया, जहाँ जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की कई बैठकें हुईं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, “मीरान हैदर ने दंगों और प्रदर्शन स्थलों पर 2.33 लाख रुपए खर्च किए। शिफा-उर-रहमान ने Alumni Association के अध्यक्ष के तौर पर अहम भूमिका निभाई। दोनों ने साजिश को आगे बढ़ाने के लिए पैसा जुटाया।” कोर्ट ने यह भी कहा कि हैदर ने मुख्य आरोपित उमर खालिद के कहने पर भड़काऊ भाषण दिए।

आरोपितों के वकील के तर्क खारिज
दोनों आरोपितों ने मानवीय और कानूनी आधार पर जमानत माँगी। शिफा-उर-रहमान के वकील ने कहा कि वे अपनी बूढ़ी माँ, दिव्यांग भाई, दो अविवाहित बहनों, पत्नी और दो बच्चों के इकलौते कमाने वाले हैं। उनकी लंबी हिरासत से परिवार को मुश्किल हो रही है।
वकीलों ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ यूएपीए के तहत ‘आतंकी कृत्य’ या ‘साजिश’ का मामला नहीं बनता, क्योंकि कोई हथियार नहीं मिला, चार्जशीट फाइल नहीं हुई और आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता, नताशा नरवाल जैसे अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि शिफा और मीरान की साजिश में फंड जुटाने की भूमिका थी, जो दूसरों से अलग थी।
कोर्ट ने कहा, “हमारा मानना है कि शिफा-उर-रहमान ने Alumni Association के अध्यक्ष के तौर पर अपनी पोजीशन का गलत इस्तेमाल किया, जिसकी संभावना को अभी खारिज नहीं किया जा सकता। Alumni Association के ऑफिस से फर्जी बिल मिले और संगठन को 7-8 लाख रुपये नकद मिले। दोनों दिल्ली-एनसीआर में आठ से ज्यादा प्रदर्शन स्थलों के इंचार्ज थे। मीरान हैदर ने भी दंगों और प्रदर्शनों पर 2.33 लाख रुपये खर्च किए।”

कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में शिफा-उर-रहमान और मीरान हैदर एक साथ मिलकर काम कर रहे थे और फंडिंग के आरोप इतने गंभीर हैं कि उन्हें अभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
फंडिंग जुटाना गंभीर मामला, समानता का दावा खारिज
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि शिफा और मीरान की साजिश में भूमिका दूसरों से अलग थी। वे फंड जुटाने वालों में थे, इसलिए उनकी तुलना जमानत पाने वाले अन्य आरोपितों से नहीं की जा सकती।
साल 2020 के दिल्ली हिंदू विरोधी दंगे 23 से 26 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए, जिसमें 53 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायल हुए। इस्लामिक भीड़ ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन की आड़ में हिंदुओं पर हमला किया। ये दंगे अचानक नहीं हुए, बल्कि पहले से प्लान की गई साजिश का नतीजा थे। दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल और इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक कांस्टेबल की हत्या हुई।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने FIR 59/2020 दर्ज की, जिसमें कई लोगों के नाम हैं। शिफा उर-रहमान और मीरान हैदर पर यूएपीए और आपराधिक साजिश, दुश्मनी फैलाने, दंगा करने, हत्या जैसे भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप हैं। उनके अलावा उमर खालिद, शरजील इमाम, ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, इशरत जहाँ, गुलफिशा फातिमा जैसे 17 लोग भी इस मामले में आरोपित हैं।
मूल रूप से यह रिपोर्ट अंग्रेजी में शृति सागर ने लिखी है, इस लिंक पर क्लिक कर विस्तार से पढ़ सकते है।