कर्नाटक सीएम सिद्दरमैया

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कॉन्ग्रेस के कथित ‘वोट चोरी’ आरोपों की पोल खोल दी है। सीएम ने कहा कि 1991 में ‘वोट फ्रॉड’ के चलते हार मिली थी। इसके साथ ही जो कॉन्ग्रेस बीजेपी और चुनाव आयोग पर फर्जी आरोप लगा रही है, सिद्दारमैया का यह बयान अब कॉन्ग्रेस पर सवाल खड़े कर रहा है।

बीजेपी ने भी सिद्दारमैया के बयान पर कॉन्ग्रेस को जमकर घेरा। बीजेपी के अमित मालवीय ने तंज कसते हुए लिखा, “जो सिद्दारमैया एक समय पर कॉन्ग्रेस की ‘वोट चोरी’ के खिलाफ लड़े थे, आज उसी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं। साथ ही बिहार में कॉन्ग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ रैली का समर्थन कर रहे हैं। ये कैसी विडंबना है।”

सिद्दारमैया का यह बयान कर्नाटक में एक कार्यक्रम में बोलते हुए सामने आया, जिसमें उन्होंने कॉन्ग्रेस की पोल खोलते हुए खुद पर बीती ‘वोट चोरी’ का रोना रोया। उन्होंने कहा, “मैं 1991 में धोखे से हारा। मेरे वकील रविवर्मा कुमार ने मेरी मदद की थी।” उन्होंने खुद को कॉन्ग्रेस की ‘वोट चोरी’ का पीड़ित बताया। सीएम के इस बयान से कॉन्ग्रेस के ‘वोट चोरी’ हंगामे का फैक्टचेक हो गया है।

साल 1991 में सिद्दारमैया के साथ क्या धोखा हुआ?

कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया ने साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव का जिक्र किया। जब 34 साल पहले सिद्दारमैया ने जनता दल सेक्युलर (JDS) के टिकट पर कर्नाटक के कोप्पल से लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सिद्दारमैया को कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार बसवराज पाटिल अनवारी के सामने हार मिली। चुनाव में अनवारी को 2.41 लाख वोट मिले और जीत का अंतर सिर्फ 11,200 वोटों का था।

सिद्दारमैया ने इसके खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में भी लड़ाई लड़ी। सिद्दारमैया ने हाई कोर्ट में वोटों की गिनती में धाँधली का दावा किया। उन्होंने आरोप लगाया था कि 22,423 वोटों को गलत तरीके से खारिज किया गया, जिनमें से ज्यादात उनके पक्ष में थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि अनवारी गैर-कानूनी ढंग से उम्मीदवार बना है क्योंकि लोकसभा स्पीकर ने अनवारी को पहले ही अयोग्य घोषित कर दिया था। आखिर में हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था।

कर्नाटक मंत्री ने भी कॉन्ग्रेस के ‘वोट चोरी’ प्रोपेगेंडा के खिलाफ दिया था बयान

सीएम सिद्दारमैया से पहले कर्नाटक के मंत्री केएन राजन्ना भी कॉन्ग्रेस के ‘वोट चोरी’ वाले फर्जी दावे की पोल खोल चुके हैं। इसका फल उन्हें सरकार में अपना मंत्री पद गवाकर चुकाना पड़ा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कॉन्ग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक सीएम सिद्दारमैया को कैबिनेट से बर्खास्त करने के आदेश दिए थे।

दरअसल, केएन राजन्ना ने राहुल गाँधी के फैलाए गए कर्नाटक में ‘वोट चोरी’ प्रोपेगेंडा के खिलाफ अपनी ही पार्टी को घेरा था। उन्होंने कहा था, “मतदाता सूची तब बनाई गई थी, जब कर्नाटक में हमारी पार्टी सत्ता में थी।”

क्या कर्नाटक सीएम को भी देना पड़ेगा इस्तीफा?

ऐसे में बीजेपी ने अब कॉन्ग्रेस से सवाल किया है कि क्या कर्नाटक सीएम सिद्दारमैया के बयान पर भी उनका हश्र केएन राजन्ना जैसे ही किया जाएगा। यानि क्या सीएम राजन्ना को भी उनके पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। यह सवाल बीजेपी के अमित मालवीय ने एक्स पर की गई एक पोस्ट में किया।

अमित मालवीय ने लिखा, “कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुद राहुल गाँधी के तथाकथित ‘वोट चोरी’ अभियान की पोल खोल दी। क्या उनका भी वही हश्र होगा जो वरिष्ठ मंत्री केएन राजन्ना का हुआ था, जिन्हें सच बोलने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था? एक बात तो साफ है: कांग्रेस के भीतर भी, राहुल गाँधी की अंतहीन हरकतों को कोई गंभीरता से नहीं लेता।”



Source link