बोईंग

एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट (AI 171)  गुरुवार (12 जून 2025) को उड़ान भरने के कुछ ही सेकेंडों में विमान क्रैश हो गाय और अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल परिसर में स्थित मेडिकल स्टाफ हॉस्टल से टकरा गई। इस टक्कर के बाद विमान में आग लग गई और धुँए का गुबार चारो तरफ फैल गया।

इस दुर्घटना में तकरीबन 265 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में विमान में सवार यात्री और क्रू के सदस्य तो थे ही, पर साथ ही जमीन पर मौजूद कई लोग भी इसकी चपेट में आ गए। हादसा इतना भीषण था कि कई शव इतनी बुरी तरह जल गए कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया।

यह विमान एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर था, जो अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रहा था। इसमें कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई यात्री शामिल था। इनके अलावा 10 केबिन क्रू और 2 पायलट भी विमान में मौजूद थे। यह घटना हाल के वर्षों में भारत की सबसे बड़ी और दर्दनाक हवाई दुर्घटनाओं में से एक मानी जा रही है।

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी इस हादसे में मारे गए। दूसरी ओर एक सकरात्मक पहलू में, ब्रिटिश नागरिकों में शामिल 40 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश इस भयानक दुर्घटना में चमत्कारिक रूप से बच गए और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।

न्यू इंडिया अब्रॉड की रिपोर्ट के अनुसार, एक चश्मदीद ने बताया कि “विमान का आधा हिस्सा उस आवासीय इमारत पर गिरा जहाँ डॉक्टर अपने परिवारों के साथ रहते थे”। इसके अलावा, विमान का आगे का पहिया अस्पताल परिसर की कैंटीन पर जा गिरा, जहाँ उस समय छात्र दोपहर का भोजन कर रहे थे।

प्रारंभिक जाँच के मुताबिक, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरने के एक मिनट से भी कम समय के अंदर, दोपहर 1:38 पर  विमान का एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट गया। टेक-ऑफ के तुरंत बाद विमान महज 625 फीट की ऊँचाई तक ही पहुँच पाया था, जबकि एयरपोर्ट की ऊँचाई लगभग 200 फीट थी।

हादसे से ठीक पहले विमान अचानक नीचे की ओर क्यों आने लगा, इसका कारण अब तक साफ नहीं हो पाया है। इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर बोइंग कंपनी से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को सामने ला दिया है। 12 जून को जब न्यूयॉर्क स्टॉक मार्केट बंद हुआ, तो बोइंग के शेयर करीब 5% गिर गए।

पिछले साल बोइंग को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा था। सुरक्षा खामियाँ, गुणवत्ता नियंत्रण में गड़बड़ियाँ, और कर्मचारियों की सात सप्ताह चली लंबी हड़ताल, जिससे कंपनी को हर महीने लगभग 100 करोड़ रुपए (1 बिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ।

बोइंग अब भी 2018 और 2019 की दो बड़ी दुर्घटनाओं के प्रभाव से जूझ रहा है, जो इसके 737 मैक्स विमान से जुड़ी थी, जिनमें कुल 346 लोगों की मौत हुई थी। पिछले महीने, कंपनी और अमेरिकी न्याय विभाग के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत बोइंग को उन दुर्घटनाओं के लिए आपराधिक जिम्मेदारी से छूट मिल गई।

हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी बोइंग ने हाल ही में एक समझौते के तहत कुछ शर्तों को मानने पर सहमति दी है। कंपनी ने जुर्माना भरने, सुरक्षा और गुणवत्ता सुधार में निवेश करने, संघीय जाँच में रुकावट डालने की बात स्वीकार करने और हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए एक फंड में पैसा देने पर हामी भरी है।

हालाँकि, पीड़ित परिवारों ने इस समझौते का विरोध किया है। अब इस सौदे को लागू करने के लिए कोर्ट की मंजूरी जरूरी है। बोइंग को पिछले कुछ वर्षों में गंभीर सुरक्षा समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जो अब भी कंपनी की छवि और भरोसे को नुकसान पहुँचा रही है।

सोशल मीडिया ने बोइंग को घेरा

जापान की सबसे बड़ी एयरलाइन ऑल निप्पॉन एयरवेज को 2011 में पहला बोइंग ड्रीमलाइनर मिला था। भारत में, एयर इंडिया करीब तीन दर्जन बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों का संचालन करती है, जो दुनिया भर में उड़ान भर रहे 1,100 से ज्यादा विमानों का हिस्सा है। इस हादसे में शामिल विमान को जनवरी 2014 में एयर इंडिया को सौंपा गया था।

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने बोइंग विमानों की खराब गुणवत्ता और प्रदर्शन पर सवाल उठाए। पत्रकार सूर्या कानेगाँवकर ने बोइंग के पुराने रिकॉर्ड पर गंभीर आरोप लगाए।

उन्होंने कहा कि कंपनी ने अपने विमानों में नकली टाइटेनियम का इस्तेमाल किया, सॉफ्टवेयर की खामियों को नजरअंदाज किया, और गलत इंजीनियरिंग डिजाइनों को सुधारने की जगह उन्हीं का उपयोग जारी रखा। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बोइंग ने सुरक्षा नियमों की बार-बार अनदेखी की है।

कानेगाँवकर ने यह भी कहा कि जिन कर्मचारियों ने कंपनी की अंदरूनी खामियों को उजागर किया, वे बाद में मृत मिले और बोइंग ने अपने अपराध छुपाने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) को ‘खून का पैसा’ दिया।

उनका आरोप है कि बोइंग और वाशिंगटन के बीच ऐसा समझौता है जिससे दूसरे देशों को घटिया विमान खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। उनके शब्दों में, ‘संक्षेप में, यही है बोइंग की असली तस्वीर’।

स्पुतनिक इंडिया द्वारा पोस्ट किए गए 2014 के एक लीक वीडियो में, बोइंग ड्रीमलाइनर असेंबली में काम करने वाले कर्मचारियों ने विमान की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी।

पिछले साल, अल-जजीरा ने साउथ कैरोलिना स्थित बोइंग की चार्ल्सटन फैक्ट्री का एक छिपा हुआ कैमरा वीडियो जारी किया। इसमें एक व्यक्ति ने गुप्त रूप से फैक्ट्री में काम करने वाले 15 कर्मचारियों से पूछा कि क्या वे उस विमान में उड़ान भरना चाहेंगे जिसे वे खुद बना रहे हैं।

चौंकाने वाली बात यह थी कि 15 में से 10 कर्मचारियों ने मना कर दिया, जिससे बोइंग ड्रीमलाइनर की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

एक बोइंग कर्मचारी ने साफ शब्दों में कहा, “मैं इन विमानों में से किसी पर भी नहीं उड़ूँगा, क्योंकि मैं देखता हूँ कि यहाँ कैसी घटिया गुणवत्ता का काम हो रहा है”। जिस व्यक्ति ने छिपा हुआ कैमरा पहना था, उसने बताया कि जब उसने फैक्ट्री की वास्तविक स्थिति देखी, तो वह उसे मीडिया तक लाने के लिए मजबूर हो गया।

एक गुमनाम मुखबिर ने कहा, “787 ड्रीमलाइनर से जुड़ी 90% समस्याओं को छुपा दिया गया है। ये तो सिर्फ ऊपर दिख रही बर्फ की छोटी सी चोटी है, असली समस्या इससे कहीं बड़ी है”।

एक नेटिजन (इंटरनेट यूजर) ने बोइंग की आलोचना करते हुए उसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ कहा और सवाल उठाया कि इतने खराब रिकॉर्ड के बावजूद कंपनी के खिलाफ कोई गंभीर जाँच क्यों नहीं हो रही है।

एक अन्य पत्रकार ने इस बात को खास तौर पर उठाया कि बोइंग के पूर्व कर्मचारी और मुखबिर जॉन बार्नेट ने अपनी मौत से ठीक पहले बोइंग के 787 विमान में गंभीर गुणवत्ता से जुड़ी खामियों के बारे में चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि ये कमियाँ भविष्य में घातक हादसों का कारण बन सकती हैं।

एक लेख में लिखा गया है कि अगर किसी हादसे में पायलट बच जाता है, तो बोइंग उस पर मुकदमा कर देती है, और अगर पायलट की मौत हो जाती है, तो उसे ही हादसे के लिए दोषी ठहरा देती है। इससे कंपनी अपनी जिम्मेदारी से बचती रहती है, और यही तरीका बार-बार इस्तेमाल किया जाता है।

ड्रीमलाइनर विमानों में पहले से ही गुणवत्ता से जुड़ी समस्याएँ रही हैं। इन खामियों के कारण इसकी डिलीवरी एक साल से ज्यादा समय तक रोक दी गई थी। बाद में, 2022 की गर्मियों में अमेरिकी विमानन संस्था (FAA) ने बोइंग की उस योजना को मंजूरी दी, जिसमें गलत सामग्री से बने टाइटेनियम के हिस्सों को बदलना और विमान के ढाँचे में मौजूद बेहद पतले, कागज जितने फासलों को बंद करना शामिल था। बोइंग का कहना था कि उस समय ये समस्याएँ विमान की तत्काल सुरक्षा पर असर नहीं डाल रही थीं।

हाल ही में एक बार फिर समस्या सामने आई। इस साल की शुरुआत में, पंजीकरण संख्या N819AN वाले एक ड्रीमलाइनर में हाइड्रोलिक लीक और फ्लैप में खराबी के कारण 25 दिनों के अंदर कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी।

बोइंग की संकटपूर्ण विरासत

इथियोपियन एयरलाइंस का एक बोइंग 737 मैक्स 8 विमान, जिसमें 149 यात्री और 8 क्रू मेंबर सवार थे, नैरोबी जा रहा था। यह विमान अदीस अबाबा से उड़ान भरने के सिर्फ 6 मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

इथियोपियाई जाँच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हादसे का एक मुख्य कारण बोइंग का नया उड़ान नियंत्रण सॉफ्टवेयर था, जिसे MCAS (Maneuvering Characteristics Augmentation System) कहा जाता है। यह सिस्टम बार-बार विमान की नोज को नीचे की ओर धकेलता रहा, जिससे पायलट विमान का संतुलन नहीं संभाल पाए।

इस खामियों की पुष्टि अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और फ्रांस की जाँच एजेंसी BEA (Bureau of Inquiry and Analysis) ने भी की। इस गंभीर दुर्घटना के बाद, बोइंग 737 मैक्स विमानों को 20 महीने से ज्यादा समय तक दुनिया भर में उड़ान भरने से रोक दिया गया।

चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस ने मार्च 2022 में एक बोइंग 737-800 विमान, जो कुनमिंग से ग्वांगझू जा रहा था, गुआंग्शी प्रांत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसमें आग लग गई। यह हादसा इतना गंभीर था कि पूरा देश हैरान रह गया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तुरंत इस हादसे की गहन जाँच के आदेश दिए। इस घटना के बाद, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस ने अपने सभी 737-800 विमानों की उड़ानें रोक दीं।

चीन के नागरिक उड्डयन प्रशासन (CAAC) ने बोइंग के उस शुरुआती दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि हादसा पायलट की गलती से हुआ। इसके बजाय, चीन की एजेंसी ने इस दुर्घटना के लिए बोइंग के MCAS सिस्टम के खराब डिजाइन को जिम्मेदार ठहराया।

जेजू एयर की फ्लाइट दिसंबर 2024 में 7C2216 ने दक्षिण कोरिया के मुआन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बेली-लैंडिंग की (यानी विमान का पेट रनवे से टकराया)। विमान रनवे से फिसलकर बाहर निकल गया, एक दीवार से टकराया, और विस्फोट हो गया।

इस हादसे में विमान में सवार 175 यात्रियों में से सभी की मौत हो गई, और छह में से चार क्रू मेंबर भी मारे गए। केवल दो क्रू मेंबर ही बचाए जा सके। इसके बाद दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने ऐलान किया कि वे देश की सभी एयरलाइनों द्वारा उड़ाए जा रहे बोइंग 737-800 विमानों की तुरंत सुरक्षा जाँच करेंगे।

इसके एक महीने पहले, नवंबर में, लिथुआनिया के विनियस एयरपोर्ट के पास एक कार्गो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान स्पेनिश कार्गो कंपनी स्विफ्ट एयर का था, जो डीएचएल (DHL) के लिए बोइंग 737 चला रही थी। यह हादसा लैंडिंग से ठीक पहले हुआ, जब विमान एक रिहायशी इलाके के पास गिर पड़ा। इस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई और तीन लोग घायल हुए।

बोइंग की उत्पादन में देरी और इसके नई मॉडल वाले विमानों में भरोसे की कमी के चलते यूरोप में कई एयरलाइंस अब भी पुराने वाणिज्यिक विमान मॉडल का इस्तेमाल कर रही हैं।

सुरक्षा चिंताओं और लगातार आने वाली तकनीकी समस्याओं की वजह से एयरलाइंस बोइंग के नए विमानों पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पा रही हैं। वहीं, बोइंग की निर्माण से जुड़ी समस्याओं के कारण विमानों की डिलीवरी में देर हो रही है और बैकलॉग बढ़ता जा रहा है।

जनवरी 2025 में, एक बोइंग 737 मैक्स 9 विमान में उड़ान के दौरान केबिन का एक दरवाजा अचानक गिर गया, जिससे विमानन उद्योग में बड़ी चिंता फैल गई। यह घटना अलास्का एयरलाइंस की उड़ान में हुई थी। किसी यात्री को गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन इससे बोइंग की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे।

इस हादसे के बाद, अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन (FAA) ने अधिकांश बोइंग 737 मैक्स 9 विमानों को जाँच के लिए ग्राउंडेड (उड़ानों से रोका) कर दिया। बाद में जानकारी सामने आई कि बोइंग ने पिछले दो सालों में अपनी कंपनी में विविधता, समानता और समावेश (DEI) को प्राथमिकता देने के लिए संस्थागत बदलाव किए थे।

बोइंग के विवादास्पद ट्रैक रिकॉर्ड का कोई अंत नहीं

दो ईंधनों के रिसाव की वजह से मार्च 2013 में जापान एयरलाइंस के 787 ड्रीमलाइनर विमान को उड़ान से हटा दिया गया था। इसी तरह, यूनाइटेड एयरलाइंस के 787 विमान में भी बैटरी की समस्या आई थी। इसके बाद, अमेरिका और जापान की सरकारों ने दोनों देशों के ड्रीमलाइनर विमान बेड़े को उड़ान भरने से रोक दिया और गहन जाँच शुरू की।

बोइंग ने एयर इंडिया को भी चेतावनी दी थी कि वह भारत में तेज और उच्च स्तर के तूफानों के पास अपने 787 विमान न उड़ाए, क्योंकि वहाँ इंजन जमने का खतरा ज्यादा होता है। इस कारण, ड्रीमलाइनर को दिल्ली-टोक्यो मार्ग से हटा दिया गया।

FAA के सुरक्षा मूल्यांकन के तहत, एयर इंडिया के दिल्ली-कोलकाता मार्ग पर उड़ान भर रहा 787 ड्रीमलाइनर विमान विंडशील्ड टूटने की वजह से वापस दिल्ली लौट आया। इसके अलावा, एयर इंडिया के दो अन्य 787 विमानों को भी रोक दिया गया क्योंकि उनके जनरल इलेक्ट्रिक (GE) इंजन उसी श्रृंखला के थे जिनकी जाँच चल रही थी।

एयर इंडिया के 787 बेड़े ने शुरूआत के 14 महीनों में 136 छोटी-बड़ी तकनीकी समस्याओं का सामना किया। इससे कंपनी को अपने मार्गों पर अन्य विमानों से उड़ानें बदलनी पड़ीं और पायलट रखरखाव और विमान वित्तपोषण पर प्रतिदिन लगभग 1.43 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ा। इसके कारण कुल खर्च में रोजाना 60 लाख रुपये की बढ़ोतरी हुई।

बोइंग ने जवाब में ‘मॉडिफिकेशन पैकेज’ पेश किया, जिसमें सभी ड्रीमलाइनर विमानों को 10 दिनों के लिए ग्राउंडिंग दी गई और विमान के सॉफ्टवेयर और घटकों में सुधार किया गया।

2015 से 2024 के बीच एयर इंडिया के 787 विमानों में इंजन बंद होने, उड़ान नियंत्रण की समस्याएँ, गियर न वापस लेना, केबिन में धुआँ, संचार टूटना, विंडशील्ड में दरार, केबिन दबाव की समस्या, बेहद अधिक टर्बुलेंस, एल्टीट्यूड में गिरावट, स्लेट की खराबी, टायर फटने और हाइड्रोलिक लीक जैसी 32 घटनाएँ हुईं। इन तकनीकी समस्याओं के कारण दो बार दुर्घटनाएँ भी हुईं, जिनमें कई यात्री घायल हुए।

व्हिसलब्लोअर्स ने बोइंग को बेनकाब किया

बोइंग के इंजीनियर 2024 में सैम सालेहपुर ने 787 ड्रीमलाइनर विमान की संरचनात्मक मजबूती को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी ने विमान के धड़ (फ्यूजलेज) के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किया और जरूरी सावधानियाँ नहीं बरतीं, जिससे भविष्य में खतरनाक दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।

सालेहपुर ने जनवरी 2024 में FAA (संघीय विमानन प्रशासन) को शिकायत दी कि बोइंग की टीम ने धड़ के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ते समय खाली जगहों (गैप्स) को ठीक से नहीं भरा, जिससे घर्षण बढ़ता है और विमान का जीवनकाल घटता है। उन्होंने यह भी कहा कि इंजीनियरों पर बिना जाँच के काम को मंजूरी देने का दबाव था। FAA इस शिकायत की जाँच कर रहा है।

सालेहपुर का कहना है कि उन्होंने ये समस्याएँ तीन साल तक बताईं, लेकिन उन्हें नजर अंदाज कर दिया गया, काम में देरी न करने के लिए कहा गया और चुप रहने के लिए दबाव डाला गया।

उन्होंने अमेरिकी सांसदों को बताया कि बोइंग के खिलाफ बोलने पर उन्हें धमकाया और परेशान किया गया। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि विमान के पुर्जों को जबरदस्ती फिट करने के लिए कर्मचारी उन पर कूदते थे, जिससे वो टुकड़े विकृत हो जाते थे, और यह तरीका गलत और खतरनाक है।

ऐसी ही 2021 में भी गलत असेंबली की शिकायतें सामने आई थीं, जिस पर FAA और बोइंग ने ड्रीमलाइनर की डिलीवरी रोक दी थी। बाद में, निर्माण प्रक्रिया में बदलाव के बाद डिलीवरी फिर से शुरू कर दी गई, लेकिन उस दौरान किसी भी विमान को उड़ानों से नहीं रोका गया।

ड्रीमलाइनर को बनाने वाली साउथ कैरोलिना की फैक्ट्री पहले भी व्हिसलब्लोअर्स की शिकायतों का केंद्र रही है। जॉन बार्नेट, जो वहाँ गुणवत्ता प्रबंधक थे और करीब 30 साल तक बोइंग में काम कर चुके थे।

उन्होंने 2019 में कहा था कि कंपनी में दबाव में काम कर रहे कर्मचारी खराब हिस्से जानबूझकर लगा रहे हैं। बार्नेट का दावा था कि बोइंग ने उनके खिलाफ प्रतिशोध लिया, और कई सालों की कानूनी लड़ाई के बाद, 2023 में उन्होंने आत्महत्या कर ली। बोइंग और उनके परिवार के बीच इस साल उनके केस का समझौता हो गया।

इसी तरह, जोशुआ डीन, जो स्पिरिट एयरोसिस्टम्स (बोइंग के आपूर्तिकर्ता) में गुणवत्ता लेखा परीक्षक थे, ने भी FAA से शिकायत की थी कि वहां 737 उत्पादन लाइन पर सीनियर मैनेजमेंट गंभीर गड़बड़ियाँ कर रहा है। बाद में उनका भी निधन हो गया।

सेंटियागो पेरेडेस, जो स्पिरिट एयरोसिस्टम्स में निरीक्षक थे, ने डीन की मौत के बाद खुलेआम अपनी चेतावनियाँ सामने रखीं। उन्होंने कहा कि उन्हें भी लंबे समय से अनदेखा किया गया और अब वे डरे तो नहीं हैं, लेकिन सतर्क हैं। उन्होंने कहा, “मैं अब वही काम पूरा करना चाहता हूँ जो डीन ने शुरू किया था”।

जोकरों द्वारा डिजाइन, बंदरों द्वारा निगरानी

अमेरिकी कॉन्ग्रेशनल इन्वेस्टीगेटर्स को 2020 में सौंपे गए 100 से ज्यादा पन्नों के आंतरिक दस्तावेजों से पता चला कि बोइंग के कर्मचारियों ने 737 मैक्स विमान के निर्माण के दौरान गंभीर लापरवाहियाँ की। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों ने संघीय सुरक्षा नियमों का मज़ाक उड़ाया, नियामकों को गुमराह करने की बात की और विमान में भविष्य में होने वाली संभावित तकनीकी खामियों पर चुटकुले किए।

बोइंग के पायलटों और इंजीनियरों के बीच हुई बातचीत में, उन्होंने सॉफ्टवेयर बग और 737 मैक्स के उड़ान सिमुलेटर से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की। ये 2018 और 2019 की दो घातक दुर्घटनाओं में शामिल रहे, जिनमें 346 लोग मारे गए।

कर्मचारियों ने बताया कि बोइंग ने कई तकनीकी समस्याओं को जानबूझकर छिपाया, जब FAA ने विमान के निर्माण और नए पायलटों के प्रशिक्षण में इस्तेमाल होने वाले सिमुलेटर को मंजूरी दी थी। इन पायलटों ने पहले कभी 737 नहीं उड़ाया था।

कुछ कर्मचारियों ने मैक्स के डिजाइन पर सवाल उठाए। एक ने 2017 में कहा, “इस विमान को जोकरों ने डिजाइन किया है, जिनकी निगरानी बंदर कर रहे हैं।” इसके अलावा, FAA अधिकारियों का भी कई बार मजाक उड़ाया गया।

2019 की एक मीडिया जाँच में सामने आया कि बोइंग ने अपने कर्मचारियों पर दबाव डाला कि वे सुरक्षा खामियों की रिपोर्ट न करें, और कंपनी सुरक्षा की बजाय डिलीवरी और लाभ को प्राथमिकता दे रही थी।

न्याय विभाग ने बोइंग को संरक्षण दिया

बोइंग और अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) ने मई 2024 में एक समझौता किया, जिसके तहत बोइंग को 737 मैक्स विमान से जुड़ी दो घातक दुर्घटनाओं से पहले अधिकारियों को गलत जानकारी देने के लिए आपराधिक सजा तक से छूट मिल गई।

इन दो हादसों में 346 लोगों की मौत हुई थी। इस समझौते के तहत, बोइंग को $1.1 बिलियन (9,130 करोड़ रुपए) से ज्यादा का जुर्माना और भुगतान करना पड़ा, जिसमें पीड़ितों के परिवारों के लिए $445 मिलियन(3,693.5 करोड़ रुपए) का मुआवज़ा भी शामिल है।

DoJ ने कहा कि बोइंग ने FAA की जाँच में बाधा डालने और उसे गुमराह करने की साजिश करना स्वीकार किया है। इसके बाद, सितंबर 2024 में अमेरिकी सीनेट की एक समिति ने बोइंग की गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया और FAA की निगरानी पर सवाल उठाए। समिति ने कहा कि बोइंग के कर्मचारी सुरक्षा की बजाय तेज उत्पादन के दबाव में काम कर रहे थे।

सीनेट समिति ने यह भी कहा कि बोइंग की सुरक्षा में खामियाँ, FAA के साथ पारदर्शिता की कमी और एजेंसी की धीमी प्रतिक्रिया से साफ है कि FAA की निगरानी प्रभावी नहीं रही। FAA ने बोइंग में कई जाँचे शुरू कीं, जिनमें से एक 116 पन्नों की रिपोर्ट में 97 मामलों में नियमों के उल्लंघन की की बात सामने आई।

इसमें उत्पादन नियंत्रण, पुर्जों की सही तरीके से हैंडलिंग और स्टोरेज, और कर्मचारियों की लापरवाही शामिल थी। FAA ने यह भी बताया कि पिछले साल बोइंग के व्हिसलब्लोअर्स ने 200 से ज्यादा शिकायतें दर्ज कीं, जिससे यह साफ हुआ कि कंपनी के अंदर गलतियों को ‘छिपाने की परंपरा’ है।

इन सब विवादों, नियमों की अनदेखी, और विमानों में सुरक्षा समस्याओं के कारण बोइंग का बाज़ार मूल्य (मार्केट कैप) पिछले पाँच वर्षों में 30% से ज्यादा गिर गया है। इस संकट के बीच, कंपनी की शीर्ष नेतृत्व टीम में भी बड़े बदलाव हुए। बोइंग को सुधारने के लिए नए सीईओ केली ऑर्टबर्ग ने सेवानिवृत्ति बाद वापस आकर फिर से जिम्मेदारी संभाली है।



Source link

Search

Archive

Categories

Recent Posts

Tags

Gallery