रक्षाबंधन पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बहनों को मुफ्त बस यात्रा का जो तोहफा दिया है, उसका लाख 1.23 करोड़ महिलाएँ उठा चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में रक्षाबंधन के समय 3 दिनों तक महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की योजना साल 2017 में शुरू हुई थी। बीते साल 2024 तक 1.23 करोड़ महिलाएँ इस योजना का फायदा उठा चुकी थी। इस दौरान सरकार ने ₹101.42 करोड़ रुपये खर्च किए।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में यह योजना शुरू की थी, जिसमें रक्षाबंधन के अवसर पर रोडवेज की बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाती है। इसका उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित, सुविधाजनक और सम्मानजनक यात्रा उपलब्ध कराना है, ताकि वे अपने भाइयों के पास राखी बांधने बिना किसी आर्थिक चिंता के जा सकें।
इस योजना की शुरुआत 2017 में हुई थी, जब 11,16,332 महिलाओं ने इसका लाभ उठाया और सरकार ने ₹6.08 करोड़ की टिकट लागत वहन की। अगले वर्ष 2018 में यह संख्या बढ़कर 11,69,226 हो गई और ₹7.41 करोड़ खर्च किए गए।
2019 में 12,04,085 महिलाओं को ₹7.68 करोड़ की टिकट राशि दी गई। हालाँकि 2020 में कोविड-19 के कारण लाभार्थी संख्या घटकर 7,36,605 रह गई और टिकट पर ₹4.82 करोड़ खर्च हुए। 2021 में यह संख्या फिर बढ़कर 9,63,466 हो गई और सरकार ने ₹8.91 करोड़ खर्च किए।
इसके बाद योजना ने रफ्तार पकड़ी और 2022 में 22,32,322 महिलाओं को ₹18.98 करोड़ का लाभ मिला। 2023 में यह योजना सबसे अधिक प्रभावी रही, जब 29,29,755 महिलाओं ने मुफ्त यात्रा की और टिकट पर ₹27.66 करोड़ खर्च हुए।
वहीं 2024 में अब तक 19,78,403 महिलाएँ इसका लाभ ले चुकी हैं और सरकार ने ₹19.87 करोड़ की टिकट लागत वहन की है। यह आँकड़े दर्शाते हैं कि योजना का प्रभाव हर वर्ष बढ़ता गया और महिलाओं में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी।
इस योजना से खासतौर पर ग्रामीण इलाकों, पिछड़े वर्गों और निम्न आय वर्ग की महिलाएँ लाभान्वित हुई हैं। उनके लिए यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि ‘सम्मान का तोहफा’ है।
यह योजना दिखाती है कि सरकार केवल घोषणाएँ नहीं कर रही, बल्कि जमीन पर ठोस काम कर रही है। महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और सुविधा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता इस योजना से साफ नजर आती है।