उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पुलिस ने मुनफेद नाम के आरोपित को गिरफ्तार किया है। आरोपित ने नकली दारोगा बनकर हिंदू नाम रखा और प्रेम-संबंधों में फँसाते हुए 14 हिंदू महिलाओं से ठगी कर डाली। उसने कई पहचान रखी थी और फेसबुक के माध्यम से शिकार को फाँस कर ठगी करता था। वो प्रेम-संबंधों की भी आड़ लेता था। इस तरह से उसने महिलाओं से ₹50 हजार से लेकर ₹27 लाख तक ठगे। ठगी की रकम करोड़ों तक पहुँच सकती है।
आरोपित मुनफेद मथुरा जिले के गोवर्धन थाने के अंतर्गत आने वाले देवसेरस गाँव का निवासी है। उसने सोशल मीडिया से वाराणसी के पुलिस कमिश्नर के पीआरओ रहे सब इंस्पेक्टर दीपक रानावत और महाराजगंज जिले के परासामालिक थाने के उपनिरीक्षक अभिजीत सिंह के नाम की फेक आईडी का भी इस्तेमाल किया था।
उनकी वर्दी वाली फोटोज की सहायता से फर्जी आईडी बनाकर उसने यूपी, कश्मीर, हरियाणा और दिल्ली की 14 महिलाओं को फँसाया है। डीसीपी क्राइम सरवणन टी. के अनुसार दीपक रानावत ने केस दर्ज कराते हुए बताया था कि कोई उनके नाम और फोटो का गलत इस्तेमाल कर रहा है।
दीपक रानावत ने कहा था कि आरोपित सोशल मीडिया पर लोक सेवा आयोग तथा अन्य सरकारी विभाग में महिलाओं को नौकरी का लालच देकर उनसे मोटी रकम ऐंठ रहा है। जिसके बाद पुलिस ने मुनफेद को कैंट रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया।
मैनपुरी की एक महिला ने 27 मई 2025 को पुलिस में शिकायत की थी और बताया था कि दारोगा दीपक राणावत ने उनके बच्चे की नौकरी संघलोकसेवा आयोग में काम करने वाले दोस्त संदीप के जरिए दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेनो के पद पर नौकरी लगवाने के लिए कहा था। और संदीप को 16 लाख रुपये देने की बात की थी।
दरअसल, मुनफेद खुद को ही संदीप बनाकर महिलाओं से मिलता और पैसे लेता था। महिला की शिकायत के बाद दीपक रानावत को पीआरओ पद से भी हटा दिया गया था। मुनफेद ठगी के पैसों से गाँव में नया मकान भी बनवा रहा था। हालाँकि अब उसे भी तोड़ा जाएगा।
मुनफेद ने किसी से 16 लाख तो किसी से 27 लाख की ठगी की। यही नहीं, वो महिलाओं से उनके जेवर भी ले लेता था। उसके पास से झारखंड के डीएसपी की भी जानकारी मिली है, जिसे वो अब ठगी के काम को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करने वाला था।