छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार (1 अगस्त, 2025) को अपने दिल्ली प्रवास के दौरान ‘छत्तीसगढ़ सदन’ में पत्रकारों के साथ संवाद किया। काफी हल्के-फुल्के माहौल में हुई इस चर्चा में छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान और ईसाई धर्मांतरण से लेकर जनजातीय समाज को मुख्यधारा से जोड़ने और राज्य के खाद्य व लकड़ी के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराए जाने संबंधित विषयों पर चर्चा हुई।
1989 में गाँव के पंच से लेकर दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले विष्णुदेव साय 3 अलग-अलग बार राज्य में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं, इससे समझा जा सकता है कि राज्य में पार्टी के लिए उनका क्या योगदान है। वो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में भी मंत्री रहे हैं। वो भाजपा के जनजातीय चेहरों में से भी एक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार छत्तीसगढ़ की स्थापना की रजत जयंती समारोह में भी शामिल होने वाले हैं, सीएम साय ने उन्हें निमंत्रण दे दिया है।
अमित शाह ने कुछ यूँ बढ़ाया जवानों का हौसला, लाखों करोड़ के निवेश प्रस्ताव
नक्सलवाद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डेढ़ वर्ष में कई बार बस्तर आकर सुरक्षाबलों का हौसला बढ़ाया। जवानों के साथ उठना-बैठना, उनसे संवाद करना – इसका फ़ायदा हुआ। डेढ़ साल के निरंतर अभियान ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है और अब यह संकट अंतिम साँसें ले रहा है। उन्होंने दोहराया कि छत्तीसगढ़ एक अत्यंत समृद्ध राज्य है, जहाँ लोहा, कोयला, सोना, हीरा, टीना और दुर्लभ लिथियम जैसी खनिज संपदाएँ मौजूद हैं। राज्य का 44% हिस्सा जंगलों से ढँका है और यहाँ के मेहनती किसान इसकी असली ताकत हैं। उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया” हैं और अब राज्य को लेकर लोगों की जो नकारात्मक छवि है, उसे दूर करना होगा।
उन्होंने विधानसभा में घोषित स्पेशल टेक्निकल रीजन डेवेलपमेंट ज़ोन का ज़िक्र किया, जिसमें रायचूर के आसपास के इलाके शामिल होंगे। रायपुर में मेट्रो प्रोजेक्ट की योजना है, और सेमीकंडक्टर चिप्स तथा AI-बेस्ड डेटा सेंटर के प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं। नई उद्योग नीति के अंतर्गत, एक बार आवेदन करने के बाद सभी दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे और व्यक्ति को कहीं जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। 1000 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले उद्यमियों को विभिन्न इंसेंटिव्स मिलेंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य को 6.5 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिन पर काम शुरू हो गया है। 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एक नया विज़न डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। इसके लिए राज्य के एक लाख युवाओं, किसानों, महिलाओं, व्यापारियों और मजदूरों से सुझाव लिए गए। वर्तमान में राज्य की GSDP 5 लाख करोड़ रुपए है जिसे 2047 तक 75 लाख करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
जनजातीय समाज के उत्थान पे विशेष ध्यान
स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी प्रयास हो रहे हैं। जगदलपुर में 200 करोड़ रुपए की लागत से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बन रहा है। राज्य ग्रीन एनर्जी की दिशा में अग्रसर है, जहाँ सौर ऊर्जा सहित अन्य स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। बस्तर में होमस्टे परियोजना शुरू की गई है और पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। अबूझमाड़ के 5000 वर्ग किमी के जंगलों में गांवों में होमस्टे बनाए जा रहे हैं। पहले जहां राशन कार्ड भी नहीं बनते थे, अब वहाँ के लोग एयरपोर्ट, मॉल और स्टेशन देखने रायपुर तक आ रहे हैं। इन जनजातीय युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए रायपुर लाकर घुमाया जा रहा है, इससे पहले वो अपने इलाक़े से निकले तक नहीं थे।
नक्सल विरोधी अभियान की सफलता का प्रमाण माओवादी सेंट्रल कमेटी के नेता बसवराज का मारा जाना है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब माओवादी बिखर चुके हैं, डिफेंसिव पोजीशन में हैं और छिपने को मजबूर हैं। कुख्यात हिड़मा के गाँव में भी अब पुलिस कैंप खोल दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल सुरक्षा बल नहीं, बल्कि विकास से ही विश्वास पैदा होगा। बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख लोगों ने भाग लिया। वहां नृत्य-गान और जनजातीय संस्कृति का भव्य प्रदर्शन हुआ। अब ये ‘खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स’ के नाम से आयोजित होगा।
जब सवाल आया कि कुछ लोग बस्तर में अंबानी-अडानी के नाम पर विकास का विरोध कर रहे हैं, तो मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सच में विकास चाहती है, जमीन बेचने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने ‘उंब्रेला योजना’ का जिक्र किया जिसके अंतर्गत कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है, महिलाओं को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाया जा रहा है। इंद्रावती और महानदी को जोड़ने की योजना की समीक्षा की जा रही है और 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी।
राज्य सरकार पशुपालन, मत्स्यपालन, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन पर भी ज़ोर दे रही है। राष्ट्रीय विकास बोर्ड (NDB) के साथ समझौता हुआ है ताकि हर परिवार को एक गाय मिल सके। बीमार गायों की देखभाल, ट्रेनिंग और वनोपज आधारित योजनाएँ 6 जिलों में पायलट के रूप में शुरू की गई हैं, जो सफल होने पर आगे बढ़ाई जाएँगी। दंतेवाड़ा में मिलेट्स और जशपुर में महुआ की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। महिलाओं द्वारा महुआ से लड्डू, देशी घी और अचार बनाए जा रहे हैं। कोविड काल में महुआ से सैनिटाइज़र भी बनाया गया। स्थानीय मशरूम और गोंद जैसे उत्पादों पर भी काम हो रहा है।
ईसाई धर्मांतरण और मिशनरियों पर बरसे CM साय
ऑपइंडिया के संपादक अजीत झा ने ईसाई धर्मांतरण की समस्या की ओर सीएम का ध्यान केंद्रित किया। छत्तीसगढ़ में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर चुके अजीत झा के सवालों पर ईसाई धर्मांतरण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने गंभीर चिंता जताई। जशपुर से आने वाले विष्णुदेव साय ने बताया कि उस इलाक़े में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है जहाँ स्वास्थ्य और शिक्षा पर मिशनरियों के एकाधिकार की स्थिति बनी हुई थी। उन्होंने स्वतंत्र भारत के शुरुआती वर्षों का उल्लेख किया जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल को यहाँ काले झंडे दिखाए गए थे। उन्होंने इलाक़े की स्थिति ठीक करने के लिए रमाकांत देशपांडे को DO बनाकर भेजा।
कई वर्षों तक काम करने के बाद रमाकांत देशपांडे ने सरकारी सेवा छोड़कर एक पेड़ के नीचे छह बच्चों के साथ स्कूल शुरू किया, जो वनवासी कल्याण आश्रम की नींव बनी। वो बालासाहब देशपांडे के नाम से जाने गए। सीएम साय ने बताया कि कैसे जशपुर राजघराने के दिलीप सिंह जूदेव ने घर वापसी अभियान चलाया और अब उनके पुत्र प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, अमेरिका से लौटकर, इस अभियान को चला रहे हैं। उन्होंने राजपरिवार को जनजातीय समाज के लिए कार्य करने और धर्मांतरण विरोधी अभियान चलाने का श्रेय दिया।
मुख्यमंत्री ने ईसाई मिशनरियों की सच्चाई बताते हुए कहा कि सेवा के नाम पर सौदा हो रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पहले जब ग़रीब को कोदो और महुआ खाकर जीने को मज़बूर थे, तब अमेरिका से उनके लिए लाल गेहूँ, सेकंड हैंड कपड़े, तेल और पाउडर लाए जाते थे; आज भी वही किया जा रहा है। उन्होंने नारायणपुर की तीन आदिवासी लड़कियों के धर्मांतरण और मानव तस्करी के एक मामले में 2 ननों की गिरफ़्तारी के मुद्दे पर भी सवालों के जवाब दिए। उन्होंने जानकारी दी कि सुखमन मंडावी नामक एक युवक इन लड़कियों को लेकर स्टेशन पहुँचा था, जहां दो नन भी थीं। लड़कियाँ रो रही थीं, सूचना पर पुलिस पहुँची और मामला दर्ज हुआ। फ़िलहाल कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी है।
हस्तकला और कारीगरी को उपलब्ध कराया जा रहा बाजार
सीएम साय ने बताया कि बस्तर की हस्तकला और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। सागवान की लकड़ी से बनी आकृतियाँ, बेल मेटल की मूर्तियाँ और गोंडागाँव की कारीगरी को विदेशी एग्जीबिशन में प्रदर्शित किया जा रहा है। ‘बस्तर पांडुम’ जैसे उत्सवों में पारंपरिक वेशभूषा, व्यंजन, 200 प्रकार के लकड़ी के वाद्ययंत्र और सलखी रस जैसे स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ सदन में भी लोकल व्यंजन परोसे जा रहे हैं और ‘गढ़ कलेवा’ जैसे स्टॉल जगह-जगह खुले हैं।
उन्होंने अंत में छत्तीसगढ़ की भोजन संस्कृति की चर्चा की। वारसी को ‘धान का कटोरा’ बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां सुबह, शाम और रात – हर वक्त चावल खाया जाता है। रात में चावल और पानी खाकर उसे सुबह तक खट्टा कर लिया जाता है, जिसमें नींबू, मिर्ची और प्याज साथ लिया जाता है जिससे गर्मी नहीं लगती। इसपर पत्रकारों ने उन्हें जानकारी दी कि इसे आजकल फिटनेस ट्रेनर डायट प्लान में भी शामिल कर रहे हैं और ये ख़ासा लोकप्रिय होता जा रहा है।