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UP से मुंबई तक छांगुर पीर के 14 ठिकानों पर ED की रेड: रिपोर्ट में बताया- गुलाम रब्बानी की मदद से दुबई होते थे करोड़ों ट्रांसफर, आतंकी नेटवर्क के जुड़े दस्तावेज भी मिले


छांगुर पीर के 14 ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

बलरामपुर में अवैध धर्मांतरण रैकेट के सरगना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन की गिरफ्तारी के बाद सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। ED ने कार्रवाई करते हुए 14 ठिकानों पर छापेमारी की है। इसमें यूपी के बलरामपुर के 12 और मुंबई के 2 ठिकाने शामिल हैं।

इस बीच, नसरीन और गुलाम रब्बानी के बीच दुबई पैसे भेजने की साजिश का भी पर्दाफाश हुआ है, जो इस रैकेट के इंटरनेशनल कनेक्शन को उजागर करता है। ED को छांगुर पीर के UAE में 5 विदेशी खाते भी मिले हैं।

ED की जाँच में पता चला कि छांगुर पीर के 30 में से 18 बैंक खातों में ₹68 करोड़ का ट्रांजैक्शन हुआ। 3 महीने में 7 करोड़ की विदेशी फंडिंग खातों में आई। नवीन के बैंक खाते से शहजाद शेख के खाते में ₹2 करोड़ ट्रांसफर किए गए थे। शहजाद शेख से ED पूछताछ कर रही है।

गुलाम रब्बानी की मदद से होता था करोड़ों का ट्रांसफर

गिरोह की गतिविधियों से जुड़े आतंकी नेटवर्क के दस्तावेज मिले हैं। एक बड़ी इमारत को आतंकी ट्रेनिंग कैंप के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। हालाँकि यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि वह इमारत कहाँ है।

यूपी ATS की पूछताछ में सामने आया है कि नसरीन ने अपनी गिरफ्तारी से पहले सारी जमीन गुलाम रब्बानी की मदद से हिबानामा (गिफ्ट डीड) के जरिए ट्रांसफर करने की योजना बनाई थी। इसका मकसद करोड़ों की रकम को हवाला के जरिए दुबई भेजना था।

नसरीन ने दुबई में अवैध धर्मांतरण का पूरा काम संभाला था। वह दिल्ली-एनसीआर और महानगरों से लड़कियों को दुबई भेजती और वहाँ उनका धर्मांतरण करवाती। जाँच में सामने आया है कि उसने 19 बार दुबई की यात्रा की थी।

छांगुर गैंग से आतंकी कनेक्शन

पूछताछ में नसरीन ने बताया कि छांगुर पीर धर्मांतरण के लिए कई मौलानाओं को बुलाता था, जिनमें दुबई से आने वाले मौलाना भी शामिल थे। छांगुर और नसरीन ने कबूला कि उनका मकसद सिर्फ लव जिहाद नहीं, बल्कि पूरे परिवार का धर्मांतरण कराना था।

छांगुर पीर का नेटवर्क नेपाल बॉर्डर के जरिए विदेशी फंडिंग लाकर मिशनरी संगठनों को देता था। यूपी के बलरामपुर, श्रावस्ती, संतकबीर नगर और महाराजगंज जैसे सीमावर्ती जिलों में 16 ऐसी मिशनरी संस्थाएँ पाई गई हैं।

प्रशासनिक मिलीभगत

2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका भी संदिग्ध है। इन पर छांगुर पीर की गतिविधियों पर जानबूझकर आँख मूंदने का आरोप है। दो तहसीलदार और कई राजस्व कर्मी भी जाँच के दायरे में हैं, जिन्होंने जमीन के कागजों में गड़बड़ी की।

छांगुर पीर ने पुलिसकर्मियों को भारी रकम, गाड़ियाँ और अन्य उपहार देकर मामले को दबाने की कोशिश की थी। इन अधिकारियों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई होने की संभावना है।



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