पेपर लीक प्रदर्शन

देश में एक बार फिर स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) की परीक्षाओं में पेपर लीक होने के आरोप लगे हैं। इन आरोपों को लेकर अभ्यर्थियों ने गुरुवार (31 जुलाई, 2025) को दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन जंतर-मंतर और SSC मुख्यालय के आसपास आयोजित किया गया। छात्रों ने परीक्षा में पारदर्शिता और जवाबदेही की माँग उठाई है। इस प्रदर्शन में छात्रों पर पुलिस की ओर से लाठीचार्ज किया जिससे कई छात्र और शिक्षक घायल हुए।

प्रदर्शन का क्या है कारण

SSC की परीक्षा 24 जुलाई-1 अगस्त 2025 के बीच होनी थी इसमें कई पेपर्स लीक होने की बात सामने आई है जिसके बाद कुछ परीक्षा रद्द कर दी गई है। इसके बाद गुरुवार को जंतर‐मंतर से शुरू होकर SSC मुख्यालय के समक्ष सुबह से ही हजारों छात्र और कुछ शिक्षक जमा हुए। उनका आरोप था कि सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स में परीक्षा के पेपर्स पहले ही वायरल हो गए थे।

प्रदर्शन की शुरुआत दोपहर के समय हुई, जब छात्र मुख्य गेट पर धरना देने लगे और पुलिस ने सुरक्षाबंधन कर मार्ग बंद कर दिया। शाम होते-होते जंतर‐मंतर मुख्य धरना स्थल बन गया, जहाँ NSUI और अन्य छात्र संगठन भी पहुँचकर समर्थन में बड़ी संख्या में शामिल हुए।

करीब छह बजे प्रदर्शनकारियों ने DoPT (Department of Personnel and Training) को याचिका सौंपने की कोशिश की, तब अचानक दिल्ली पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए लाठीचार्ज कर दिया। इस कार्रवाई में दस से पंद्रह अभ्यर्थी, दो-तीन शिक्षक और कुछ प्रदर्शनकारी समर्थक घायल हो गए। इन्हें प्राथमिक उपचार के लिए पास के अस्पताल ले जाया गया।

अभ्यर्थियों ने पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। उनका कहना है कि वे सिर्फ अपनी माँगों को लिखित रूप में DoPT अधिकारियों को सौंपना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने किसी समझौते की गुंजाइश नहीं छोड़ी और बल प्रयोग किया।

इस मामले में पुलिस का तर्क था कि कुछ छात्र बैरिकेड तोड़ने का प्रयास कर रहे थे, जिसके कारण सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख माँगों में पेपर लीक की निष्पक्ष जाँच, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा की तिथि घोषित करना शामिल था। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा स्थल और वेंडर की जवाबदेही तय करने के लिए एक स्वतंत्र जाँच आयोग बनाया जाए और पुलिस लाठीचार्ज के लिए मुआवजा व माफी दी जाए। इन माँगों को लेकर अभ्यर्थी और शिक्षक एकजुट दिखे।

परीक्षा में केंद्रों और टेंडर की क्या है भूमिका

SCC की Phase-13 परीक्षा के दौरान पेपर लीक और बार-बार सर्वर डाउन होने की शिकायतें सामने आईं। छात्रों ने ऑनलाइन सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। पिछली बार की परीक्षा TCS iON ने करवाई थी। TCS के पास परीक्षा करवाने का टेंडर 2018 से था। हालाँकि उस पर परीक्षा संचालन में तकनीकी गड़बड़ियों और सुरक्षा मामलों में लापरवाही का आरोप लगा।

इसके बाद SSC ने नई कंपनियों से ई-प्रोकेयोरमेंट के माध्यम से नया टेंडर निकालने की प्रक्रिया अपनाई। नए टेंडर में एडुक्विटी कैरियर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को SSC की फेज-13 की परीक्षा की जिम्मेदारी दी गई।

हालाँकि नए टेंडर के बाद भी परीक्षा परीक्षा केंद्रों पर सिस्टम क्रैश, माउस खराब, और सर्वर डाउन जैसी समस्याएँ आईं। कई छात्रों को दूर-दराज के या गलत केंद्र दिए गए, जिससे उन्हें यात्रा और आवास पर खर्च करना पड़ा। प्रदर्शन में छात्रों ने आरोप लगाया कि SSC का यह नया परीक्षा वेंडर भी निष्पक्ष और सुचारू परीक्षा अनुभव देने में असफल रहा।

छात्रों को परीक्षा में क्या परेशानियाँ हुईं?

इंदौर समेत कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा के दौरान सर्वर अचानक क्रैश हो गया। छात्र परीक्षा दे रहे थे तभी कंप्यूटर सिस्टम बंद हो गए और 10–15 मिनट तक कोई समाधान नहीं मिला। कई छात्रों ने शिकायत की कि परीक्षा के दौरान माउस काम नहीं कर रहा था या स्क्रीन फ्रीज हो रही थी।

SSC ने 24–26 जुलाई 2025 की Phase-13 परीक्षा को तकनीकी खामियों के कारण कई केंद्रों पर रद्द कर दिया। हालाँकि छात्रों को इसकी कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। परीक्षा केंद्र पर पहुँचकर उन्हें पता चला कि परीक्षा नहीं होगी।

छात्रों का आरोप है कि जब उन्होंने केंद्रों पर शिकायत की तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। छात्रों ने ये आरोप भी लगाए कि शिकायत करने पर उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ।

पहले भी विवादों में रही परीक्षा कराने वाली कंपनी

एडुक्विटी पहले भी MP पटवारी परीक्षा, शिक्षक पात्रता परीक्षा और महाराष्ट्र CET जैसी परीक्षाएँ आयोजित करवा चुकी है। इनमें भी पेपर लीक और तकनीकी गड़बड़ियों के आरोप लगे थे।इस कंपनी को 2020 में डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (DGT) ने ब्लैकलिस्ट कर दिया था। हालाँकि बाद में इसे फिर से सरकारी परीक्षाओं के लिए अनुबंध दिए जाने लगे।

इस पूरे मामले पर पर SSC या DoPT की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालाँकि गृह मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि सभी आरोपों की निष्पक्ष जाँच होगी। फिलहाल प्रदर्शन जारी है और अदालत से राहत की उम्मीद जताई जा रही है।

TCS पर क्यों लगा आरोप

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक परीक्षा केंद्र के प्रभारी ने शिकायत दर्ज की है जिसमें उसने आरोप लगाया कि TCS के अधिकारियों ने परीक्षा के दिन जानबूझकर परेशानियाँ खड़ी करवाईं। आरोप में कुछ केंद्रों को देर से खोलने के निर्देश देने, छात्रों को देरी से प्रवेश देने या प्रवेश से रोकने की कोशिश समेत अन्य अव्यवस्था फैलाने के आरोप लगे।

हालाँकि बाद में उसने शिकायत को वापस ले लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र के प्रशासक ने एसएससी को एक आधिकारिक माफी जारी की है। इसमें स्वीकार किया गया है कि आरोप ठोस सबूत या उचित कार्रवाई के बिना लगाए गए थे।

TCS ने भी इन सभी आरोप को निराधार बताया। कंपनी का कहना है कि SSC परीक्षा में उनकी कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि उनका पुराना अनुबंध समाप्त हो चुका है और वे अब परीक्षा संचालन में शामिल नहीं हैं। TCS पर आरोप लगने के बाद केंद्र सरकार ने SSC परीक्षाओं को अपने नियंत्रण में ले लिया है। साथ ही TCS की भूमिका पर भी जाँच शुरू की गई है।

SSC परीक्षाओं समेत हाल के वर्षों में हुई तमाम परीक्षाओं में गड़बड़ियों को बाद ये सवाल उठता है कि क्या सार्वजनिक सेवाओं में निजी कंपनियों की भूमिका पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए? इसके अलावा टेंडर प्रक्रिया में क्या सिर्फ लागत को प्राथमिकता देना सही है? इन सब के साथ परीक्षा पारदर्शी और निर्बाध बनाना सबसे जरूरी कदम होना चाहिए।



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