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PM मोदी की 14 रैलियों ने बिहार में बनाया माहौल: ‘करप्शन से कट्टा’ और ‘जंगलराज से परिवारवाद’ पर की चोट, आधी आबादी पर रहा फोकस


बिहार चुनाव में पीएम मोदी के उठाए मु्द्दों ने चुनाव की दशा और दिशा को बदलने का काम किया। 24 अक्टूबर को जननायक कर्पूरी ठाकुर के गाँव में उनके परिवार से मिलकर चुनावी रैलियों की शुरुआत की। इस दौरान महिलाओं को खास तौर पर उन्होंने अपील की, सामाजिक कल्याण के लिए चलाई जा रही फ्रीबीज योजनाओं को दोहराया।

विकास की रफ्तार को हवा दे रही सड़कों की खासतौर पर चर्चा की गई, जो विगत वर्षों में काफी अच्छी हो गई है। यानी लालू- राबड़ी राज की नाकामियाँ, यूपीए सरकार के घोटाले और डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों को गिना कर पीएम मोदी ने जनता का दिल जीतने की कोशिश की।

पीएम मोदी ने बिहार में 14 रैलियाँ की और 7 बार दौरा किया। इस दौरान बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सहरसा, छपरा, कटिहार, आरा, नवादा, भागलपुर, अररिया, औरंगाबाद, भभुआ के बाद सीतामढ़ी और बेतिया गए। जबकि 2020 से पीएम मोदी 4 बार दौरा किया था और 12 सभाएँ की थी। पीएम मोदी ने लगभग हर दिन दो सभाओं को इस बार संबोधित किया।

महिलाएँ के हाथों में सत्ता की चाबी

पहले फेज के चुनाव में करीब 65 फीसदी वोटिंग हुई, लेकिन महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 8 फीसदी ज्यादा वोटिंग किया। माना जा रहा है कि महिलाओं का वोटिंग में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना, महिला कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की वजह से है। खास कर हाल ही में महिलाओं के खातों में आए 10000 रुपए ने उन्हें ताकत दी है। बिजनेस के क्षेत्र में आगे बढ़ने पर 2 लाख तक का लोन देने का वादा भी महिलाओं को लुभा रहा है।

महिलाओं को मुफ्त राशन, स्कूलों में लड़कियों को मिल रही साइकिल समेत तमाम जेनरेशनल योजनाओं से हो रहे लाभों की ओर झुकाव देखा गया। इसलिए माना जा रहा है कि महिलाओं का रुझान एनडीए की ओर रहा है और इनलोगों ने बढ़चढ़ कर वोट किया।

अब सवाल ये उठता है कि क्या महिलाओं का वोट ही सरकार बनाने में निर्णायक साबित होगा? दरअसल 2005 में सत्ता में आए नीतीश कुमार ने महिलाओं को तरजीह दी और उनके लिए कई योजनाएँ शुरू की। यही वजह है कि महिलाएँ उन्हें ज्यादा संख्या में वोट देती आ रही हैं।

दूसरी बात ये भी है कि बिहार की महिलाएँ दूसरे राज्यों से ज्यादा राजनीतिक रूप से जागरूक मानी जाती है। 10 हजार रुपए खाते में आने के बाद तो उनमें ज्यादा उत्साह देखा गया।

बिहार चुनाव के बाद एनडीए सरकार अगर फिर से सत्तासीन होती है, तो इतना तो तय है कि इसका श्रेय महिलाओं को जाएगा। इससे महिलाओं को वोट बैंक के रूप में देखने का ट्रेंड देशभर में स्थापित हो सकता है।

छठ मैया के अपमान का मुद्दा

बिहार के सबसे बड़े पर्व ‘छठ के अपमान’ का मुद्दा भी पीएम मोदी ने उठाया। दरअसल ये पर्व ज्यादातर महिलाएँ करती हैं और इससे पूरे बिहार की आस्था जुड़ी हुई है। इसलिए पीएम मोदी ने लोगों को याद दिलाया कि कैसे महागठबंधन ने छठ का अपमान किया है और अपने प्रचार में धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल करके वो साफ बता रहे हैं कि वो बिहार को क्या देने वाले हैं।

लालू-राबड़ी का ‘जंगलराज’ बना मुद्दा

2005 से पहले जिन लोगों ने लालू यादव और राबड़ी देवी के 15 साल का जंगलराज देखा है, वे लोग आज भी उस वक्त की अराजकता और खस्ता कानून व्यवस्था की चर्चा करते हैं। उन्होंने ये भी देखा है कि नीतीश सरकार के शासन काल में कैसे बिहार में कानून व्यवस्था बहाल करने की कोशिश की गई।

संगठित माफिया और राजनीति गठजोड़ पर वार करते हुए पीएम मोदी ने भी अपनी रैली में लोगों को लालू-राबड़ी के ‘जंगलराज‘ की याद दिलाया। माफिया शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को सीवान से टिकट दिए जाने के बाद एनडीए ने जमकर पुराने दिनों की याद ताजा की। यहाँ तक कि नई पीढ़ी को भी पुरानी पीढ़ी से पूछने के लिए उस वक्त क्या-क्या होता था? कुल मिलाकर ‘जंगलराज’ की याद बिहारवासियों को दिलाने में एनडीए सफल रहा।

पहले चरण की वोटिंग के बाद पीएम मोदी ने सीतामढ़ी की सभा में 8 नवंबर 2025 को रैली की। उन्होंने जनता का मतदान में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने के लिए आभार जताया। इस दौरान उन्होंने कहा कि “जंगलराज वालों को 65 वोल्ट का झटका लगा है।”

पीएम मोदी ने जंगलराज शब्द को परिभाषित करते हुए कहा, “जंगलराज का मतलब है कट्टा, क्रूरता, कटुता, कु:संस्कार और करप्शन।” उन्होंने साफ कहा कि बिहार को ऐसे कुशासन से मुक्ति चाहिए।

परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर पीएम मोदी का वार

पीएम मोदी और सीएम नीतीश दोनों पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार के मामले में बेदाग रहे हैं। ऐसे में दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर विपक्ष को जमकर घेरा। कॉन्ग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गाँधी और आरजेडी के स्टार प्रचार और सीएम पद का चेहरा तेजस्वी यादव पर पीएम मोदी ने अपनी ज्यादातर रैलियों में परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।

उन्होंने कहा, “ये सिर्फ दो परिवारों के ही इर्द-गिर्द सिमटी हुई पार्टियाँ हैं। एक बिहार का सबसे भ्रष्ट परिवार और दूसरा देश का सबसे भ्रष्ट परिवार।” उन्होंने कहा कि “चारा खाने वाले सोचते हैं कि बिहार को चरा जाएँगे, जमीन लेकर नौकरी देने वाले गरीबों को फिर बेवकूफ बनाएँगे। लेकिन अब बिहार की जनता सबको समझ गई है”

बिहार में छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है। इसलिए पीएम मोदी ने उनके हितों की बात की पीएम ने कहा, बिहार के किसानों को अब तक क​रीब 30,000 करोड़ रुपये मिल चुके हैं….ये सारा पैसा बिना तट कमीशन के किसानों के खाते में जमा हुआ है।

अगर यही जंगलराज वाले होते तो और उनके साथी कॉन्ग्रेस वाले होते तो आपके हक का ये सारा पैसा लूटकर वो अपनी तिजोरी भर लेते। ये मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि कॉन्ग्रेस के एक पीएम ने कहा था कि दिल्ली से 1 रुपया निकलता है तो गांव तक पहुँचते-पहुँचते ये 15 पैसा हो जाता है।”

इस दौरान पीएम मोदी मुफ्त अनाज, पक्के मकान, शौचालय से लेकर अपनी सरकार की सभी योजनाओं से गरीबों को होने वाले फायदे को गिनाना नहीं भूलते थे।

राष्ट्रवाद और घुसपैठिए का मुद्दा

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान राहुल गाँधी द्वारा पूछे गए सेना के शॉर्य पर सवाल को पीएम मोदी जनता के बीच ले गए। उन्होंने कहा, “आतंकवादियों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में घुसकर तबाह किया गया। सेना की ये कॉन्ग्रेस-RJD को पसंद नहीं आई, धमाके पाकिस्तान में हो रहे थे और नींद कॉन्ग्रेस के शाही परिवार की उड़ी हुई थी।”

उन्होंने कहा कि आज तक पाकिस्तान और कॉन्ग्रेस के नामदार दोनों ही ऑपरेशन सिंदूर के सदमे से बाहर नहीं निकल पाए। उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर घुसपैठियों के प्रति नरम रुख रखने का आरोप लगाया और ‘घुसपैठिया मुक्त भारत’ बनाने का वादा किया

चुनाव बाद एक-दूसरे का माथा नोचेंगे महागठबंधन के घटक- पीएम मोदी

महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर पूरी तरह बात नहीं बनने, राहुल गाँधी की बिहार यात्रा में तेजस्वी को सीएम चेहरा नहीं घोषित करने और बाद में दबाव के बीच सीएम पद का चेहरा तेजस्वी यादव को बनाए जाने पर पीएम मोदी ने जमकर चुटकी ली।

प्रधानमंत्री ने कहा, “कॉन्ग्रेस ने जंगलराज के युवराज को पैदल तो किया ही, सीएम पद के नाम पर कॉन्ग्रेस ने हामी तक नहीं भरी। इसके बाद आरजेडी ने भी कॉन्ग्रेस को सबक सिखाने की ठानी और बिहार कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ ही अपना उम्मीदवार उतार दिया। ये दोनों दल एक-दूसरे के बाल नोचने में लगे हैं और तो खबर ये है कि हर बूथ पर कॉन्ग्रेस के लोगों ने आरजेडी को हराने की ठान ली है।”

ऐन चुनाव के वक्त बिहार छोड़ भाग गए थे राहुल गाँधी

राहलु गाँधी ने बिहार में चुनाव प्रचार तो पूरे जोश से शुरू की थी। राज्य में न्याय यात्रा भी निकाली और जनता से जुड़ने की कोशिश की। लेकिन जल्दी ही शांत हो गए। यहाँ तक कि जब चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर था, तब राहुल गाँधी 57 दिनों तक बिहार से ‘गायब’ रहे। इस दौरान विदेश यात्रा से लेकर यूपी हरियाणा में समर्थकों के बीच जाने और दिल्ली में इमरती छानने तक की तस्वीरें आईं।

उन्होंने एसआईआर का विरोध किया और वोट चोरी के आरोप लगाए, लेकिन जनता को ये बताने में नाकाम रहे कि एसआईआर से जनता के ‘वोट कट’ गए। बिहार चुनाव के दौर में उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव के वक्त ‘वोट चोरी’ हुई थी, इसे साबित करने के लिए फर्जी फोटो का इस्तेमाल किया। यहाँ तक कि ब्राजीलियन मॉडल का वह फोटो वायरल हो गया, जिसे राहुल गाँधी ने हरियाणा का मतदाता बताया था। ये सारे फर्जीवाड़े वाले आरोप जनता को आकर्षित करने में नाकाम रहे।

नीतीश सरकार के प्रति गुस्सा नहीं दिखा

नीतीश कुमार के 20 साल के शासनकाल के बावजूद लोगों में उनके प्रति गुस्सा देखा नहीं गया, जो आम तौर पर लंबे वक्त तक सत्ता में रहने के बाद नेताओं के प्रति जनता का होता है। हालाँकि रोजगार के मुद्दे पर लोगों में नाराजगी दिखी। इसको भाँपते हुए एनडीए ने अपने संकल्प पत्र में बिहार में 1 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था।

इसे पीएम मोदी ने भी अपनी रैली में दोहराया। यहाँ तक कि पलायन का मुद्दा भी बिहारवासियों के लिए अहम रहा है। इसको देखते हुए पीएम मोदी ने शिक्षा, कौशल विकास से लेकर ‘बिहार में ही काम करेगा, बिहार का ही नाम करेगा’ जैसे नारे देकर जनतो विश्वास दिलाया कि सरकार इन मुद्दों पर गंभीर है।



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