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PhD कर स्कॉलर बन गई IIT गाँधीनगर की फैकल्टी, फिर अपने गाइड से ही कर ली शादी: एक अन्य शिक्षक की कोरियाई पत्नी बन गई असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्थान की नियुक्तियों पर उठे सवाल


IIT गाँधीनगर

IIT गाँधीनगर एक बार फिर से विवादों में आ गया है। इस बार सवाल वहाँ पर शिक्षकों की नियुक्तियों को लेकर उठे हैं। ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ यानी हितों के टकराव के आरोपों के साथ संस्थान से जवाब माँगा जा रहा है। हालाँकि अब तक संस्थान की ओर से अब तक इस पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है।

जानकारी के अनुसार, संस्थान में 14 उन दंपतियों के बारे में पता चला है जो अलग-अलग और ऊँचे पदों पर कार्यरत हैं। कुछ शिक्षक और कर्मचारी ऐसे भी हैं जो पिता और पुत्री दोनों ही IIT गाँधीनगर में कार्यरत हैं। इसके अलावा इंटरनल कंप्लेंट कमिटी जैसे कुछ अहम पदों पर भी परिवार के ही सदस्य पदस्थ हैं।

ताजा मामला संस्थान के एक लेक्चरर से जुड़ा है।शिक्षक ने अपनी PhD छात्रा को ही संस्थान में नौकरी दिलाई और बाद में उससे शादी भी की। अब इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। शिकायत में पूछा गया है कि किस आधार पर स्कॉलर की नियुक्ति हुई है? साथ ही यदि संस्थान को इस तरह की नियुक्ति की जानकारी थी तो इसे रोका क्यों नहीं गया?

एक अन्य मामले में IIT गाँधीनगर के एक अन्य वरिष्ठ शिक्षक की कोरियाई पत्नी पहले संस्थान में विजिटिंग फैकल्टी थीं। अब उन्हें असिस्टेंट टीचिंग प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति मिल गई है।

इन दोनों मामलों के बाहर आने के बाद संस्थान में नियुक्तियों को लेकर तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं।

लोगों के सवाल हैं कि ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ और ‘नेपोटिज्म’ यानी भाई-भतीजावाद जैसी स्थितियों से बचने के लिए संस्थान में क्या कोई नीति बनाई गई है? क्या नियुक्ति से पहले कोई जाँच की जाती है जिससे ऐसी समस्याएँ न उत्पन्न हों?

सवाल यह भी है कि यदि इंटरनल कंप्लेंट कमिटी में कोई शिक्षक हो और उसके पति-पत्नी के खिलाफ कोई शिकायत आए तो वह निष्पक्ष कैसे रह सकता है? और क्या टैक्सपेयर्स के पैसों से चलने वाला संस्थान ऐसी व्यवस्था को उचित ठहरा सकता है?

ऑपइंडिया से बातचीत में लेखक और कॉलमिस्ट हर्षिल मेहता कहते हैं, “संस्थान में लगभग 14 दंपति अलग-अलग पदों पर काम करते हैं। मुझे ऐसी कोई नीति नहीं दिखती जिसमें इसे लेकर कोई स्पष्टता नियम हों। अगर ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ की कोई नीति है तो IIT गाँधीनगर को उसे सार्वजनिक करना चाहिए। सवाल यह भी है कि क्या IIT गाँधीनगर कोई फैमिली रीयूनियन प्रोग्राम चला रहा है? अगर ऐसा है तो उसे आधिकारिक नीति के रूप में घोषित कर देना चाहिए।”

वे कहते हैं, “संस्थान में शिक्षक प्राची थारेजा इंटरनल कंप्लेंट कमिटी में हैं। क्या संस्थान को पता है कि उनके पति भी वहीं नौकरी करते हैं? अगर उनके पति के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो उस मामले में प्राची हितों के टकराव के साथ कैसे निर्णय लेंगी? बड़ी-बड़ी कंपनियों में भी हितों के टकराव से बचने के लिए नीतियाँ होती हैं। IIT गांधीनगर में ऐसी नीति कहाँ है?”

हर्षिल ने आगे कहा, “अगर ऐसा नहीं है तो फिर ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, यह शिक्षण संस्थान को स्पष्ट करना चाहिए।”

उन्होंने संस्थान के डायरेक्टर और पूर्व डायरेक्टर सुधीर जैन, जिनके कार्यकाल में ये नियुक्तियाँ हुईं, साथ ही अन्य अधिकारियों पर भी सवाल उठाए और सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से हस्तक्षेप की माँग की है। अब देखना यह है कि आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।



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