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MP के इस पूरे गाँव पर वक्फ बोर्ड ने कर दिया अपना दावा, बताया दरगाह और कब्रिस्तान: कोर्ट पहुँचा मामला, केंद्र सरकार बना चुकी है कानून


खंडवा वक्फ बोर्ड जमीन

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में वक्फ बोर्ड ने पूरे सिहाड़ा गाँव की जमीन को अपनी संपत्ति होने का दावा किया है। मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल ने जिला कलेक्टर, ग्राम सरपंच और पंचायत सचिव को नोटिस जारी करते हुए दावा किया है कि लगभग 10 हजार की आबादी वाला गाँव वक्फ संपत्ति है। मामला सामने आने के बाद सभी अधिकारियों को 10 नवंबर 2025 को भोपाल स्थित ट्रिब्यूनल में पेश होने के लिए कहा गया है।

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब ग्राम पंचायत ने स्थानीय दरगाह समिति को नोटिस भेजा था कि दरगाह की इमारत सरकारी जमीन पर बनी है और नए पंचायत भवन के निर्माण के लिए इसे हटाना होगा। इसके बाद दरगाह समिति द्वारा मामला वक्फ बोर्ड में ले जाया गया लेकिन यहाँ मामला ही उल्टा पड़ गया।

दरगाह कमेटी ने इस नोटिस का जवाब देने के बजाए वक्फ बोर्ड ने सिहाड़ा गाँव की खसरा संख्या- 781 के अंतर्गत 1,40,500 हेक्टेयर भूमि को अपनी संपत्ति होने का दावा किया। दरगाह समिति के कोषाध्यक्ष शेख शफी के अनुसार, यह जमीन 25 अगस्त 1989 को राज्य राजपत्र (गजट) में क्रमांक 331 के तहत वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज की गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका कहना है कि यह गाँव लगभग 300 साल पुराना है, जिसमें इमामबाड़ा, दरगाह और कब्रिस्तान शामिल हैं। इसीलिए पंचायत को इसे हटाने या बदलने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं, ग्राम सरपंच कोकिलाबाई और पंचायत सचिव देवराज सिंह सिसोदिया को भी ट्रिब्यूनल से नोटिस मिला है।

सरपंच की ओर से प्रतिनिधि हेमंत चौहान ने वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह जमीन सरकारी है, जिस पर गाँव के घर, मंदिर और सार्वजनिक इमारतें बनी हैं। उन्होंने चिंता जताई कि अगर वक्फ बोर्ड का दावा मान लिया गया तो गाँव के सैकड़ों परिवारों के घर खतरे में पड़ जाएँगे।

अब यह मामला मध्य प्रदेश राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है, जहाँ दोनों पक्षों को 10 नवंबर 2025 को अपने-अपने साक्ष्य पेश करने के लिए कहा गया है।

गाँव में हिंदू-मुस्लिम परिवारों के लोगों के घर

जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित सिहाड़ा गाँव की जनसंख्या लगभग 10,000 है। यहाँ कुल 1100 मकान हैं, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के परिवार निवास करते हैं। मामले के बाद ग्राम सरपंच प्रतिनिधि हेमंत चौहान ने वक्फ बोर्ड के नोटिस को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

सरपंच कोकिला बाई और सचिव देवराज सिंह सिसोदिया के अनुसार, यह भूमि शासकीय है, जिस पर मकान और मंदिर भी बने हुए हैं। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड के दावे पूरी तरह से मनगढ़ंत हैं, क्योंकि वक्फ बोर्ड या दरगाह कमेटी की ओर से कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया है।ॉ

बता दें कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर कई विवादों के चलते केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम 2025 कानून लेकर आई। इस कानून में वक्फ बोर्ड की जमीनों से जुड़े विवादों को निपटाने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।

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