लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस Mk1A के लिए तैयार किया गया पहला विंग असेंबली सेट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंप दिया है। यह असेंबली तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित L&T की यूनिट में तैयार की गई और इसे गुरुवार (17 जुलाई 2025) को HAL के तेजस डिवीजन को दे दिया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मौके पर रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव संजीव कुमार वर्चुअल तरीके से जुड़े थे। HAL की तरफ से महाप्रबंधक एम अब्दुल सलाम ने ये असेंबली ली। संजीव कुमार ने HAL और L&T की टीम की तारीफ की और कहा कि ये साझेदारी देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का बड़ा कदम है। उन्होंने ये भी जोर दिया कि ऐसी निजी कंपनियों के साथ और ज्यादा सहयोग बढ़ाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने भरोसा जताया कि तेजस विमानों के उत्पादन के लक्ष्य को समय पर पूरा किया जाएगा।
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HAL has received the first set of wing assemblies for the LCA Tejas Mk1A from L&T at Coimbatore.
The delivery marks private sector entry into aircraft assembly, enhancing capacity for the IAF’s Mk1A fleet of 83 jets (with 97 more in the…— The New Indian (@TheNewIndian_in) July 18, 2025
HAL के CMD डीके सुनील ने इस सहयोग को दोनों कंपनियों की सालों की मेहनत का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि HAL बड़े और छोटे सभी सप्लायर्स के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि भारत एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में खुद पर निर्भर हो सके।
L&T के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अरुण रामचंदानी ने बताया कि अभी कंपनी हर साल 4 ऐसे विंग असेंबली सेट बनाएगी, लेकिन आगे चलकर इसे बढ़ाकर 12 सेट प्रति साल करने की प्लानिंग है। इसमें सबसे आधुनिक असेंबली तरीके और ऑटोमेटेड तकनीकें इस्तेमाल होंगी, जो काम को तेज और बेहतर बनाएँगी।
अब तक HAL के तेजस डिवीजन को कई प्राइवेट कंपनियों से महत्वपूर्ण पार्ट्स मिल चुके हैं। जैसे कि एयर इनटेक असेंबली लक्ष्मी मशीन वर्क्स से आई है, रियर फ्यूजलेज अल्फा टोकोल से, लूम असेंबली एम्फेनॉल से, फिन और रडर टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स से और सेंटर फ्यूजलेज वीईएम टेक्नोलॉजीज से मिली है।
L&T का ये विंग असेंबली सेट तेजस MK1A प्रोग्राम को नई स्पीड देगा। ये सब भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा है, जहाँ घरेलू कंपनियाँ मिलकर विदेशी निर्भरता कम कर रही हैं। तेजस MK1A भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण फाइटर जेट है, जो पुराने विमानों की जगह लेगा।
इस प्रोजेक्ट में HAL मुख्य कंपनी है, लेकिन L&T जैसी प्राइवेट फर्म्स का योगदान बढ़ रहा है। इससे न सिर्फ उत्पादन तेज होगा, बल्कि नौकरियाँ भी बढ़ेंगी और तकनीक का ट्रांसफर होगा। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ऐसे कदम से भारत रक्षा निर्यात भी बढ़ा सकता है।