कर्नाटक के धर्मस्थल में सामूहिक दफन के मामले की जाँच का दायरा बढ़ने वाला है। विशेष जाँच दल (SIT) 7 साल पुरानी पैनल रिपोर्ट की जाँच करेगी, जिसमें धर्मस्थल के आसपास हुई महिलाओं और बच्चों की संदिग्ध मौत की जानकारी दी गई है। SIT ने कहा कि सफाईकर्मी की सारी बातें झूठी नहीं है इसीलिए जाँच के दायरे को बढ़ाया जा रहा है।
Deccan Herald की रिपोर्ट के अनुसार, SIT कर्नाटक और उसके पड़ोसी राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और गोवा में धर्मस्थल आने वाले तीर्थयात्रियों के लापता होने के बारे में दर्ज FIR की भी जाँच करेगी। SIT ने उन खबरों को भी खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया जा रहा था कि सफाईकर्मी की गिरफ्तारी के बाद जाँच खत्म होने का दावा किया गया था।
ये 5000 पन्नों की रिपोर्ट महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न रोकने के मामले में साल 2018 में प्रस्तुत की गई थी, जिसमें कर्नाटक में महिलाओं के अचानक गायब होने के भी कई मामले उल्लेख किए गए हैं। यह मामले धर्मस्थल क्षेत्र से भी जुड़े थे।
इसके साथ SIT 1995 से 2014 के बीच अचानक लापता हुए धर्मस्थल के श्रद्धालुओं के मामले को भी खंगाल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सफाईकर्मी की शिकायतों के अलावा भी कई ऐसे आरोप सामने आए हैं कि बिना पोस्टमार्टम के बगैर शवों को संदिग्ध तरीके से दफनाया गया।
टीम ने कई जगह खुदाई की है और अवशेष भी मिले हैं, जिनकी फॉरेंसिक जाँच रिपोर्ट का इंतजार है। शव की पहचान करने के लिए कर्नाटक के धर्मस्थल में सामूहिक दफन के मामले की जाँच का दायरा बढ़ने वाला है।ने एक तकनीकी तौर बहुआयामी फॉरेंसिक जाँच भी शुरू कर दी है।
सफाईकर्मी पर झूठे गवाही के भी लगे आरोप
धर्मस्थल में सामूहिक दफन मामले में गवाही देने वाले सफाईकर्मी पर गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद ही झूठे सबूत पेश करने और झूठी गवाही देने के नए आरोप लगाए गए हैं।
अब तक की जाँच के बाद सफाईकर्मी पर BNS की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें धारा 227 (झूठी गवाही देना), धारा 228 (झूठी गवाही गढ़ना), धारा 229 (झूठी गवाही के लिए दंड), धारा 336 (जालसाजी), धारा 230 (मृत्युदंड की सज़ा दिलाने के इरादे से झूठी गवाही गढ़ना), धारा 231 (आजीवन कारावास की सज़ा दिलाने के इरादे से झूठी गवाही गढ़ना), धारा 236 (झूठी घोषणा), धारा 240 (झूठी जानकारी देना) और धारा 248 (झूठा आरोप) शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सफाईकर्मी को 18 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया गया था। जब मामले की जाँच कर रही SIT ने सफाईकर्मी पर सबूत के तौर पर एक मानव खोपड़ी पेश करने का आरोप लगाया था। तब SIT ने दावा किया कि यह खोपड़ी धर्मस्थल से खोदकर निकाली गई है।
हालाँकि, जाँच के दौरान SIT ने पाया कि यह खोपड़ी सफाईकर्मी को किसी व्यक्ति ने सौंपी थी। पुलिस अब इस बात की जाँच कर रही है कि खोपड़ी किसी चिकित्सा प्रयोगशाला से आई थी या किसी दूसरी जगह से।
कर्नाटक BJP की NIA जाँच की माँग
धर्मस्थल मामले में कर्नाटक बीजेपी लगातार NIA जाँच की माँग कर रही है। कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने धर्मस्थल के खिलाफ ‘झूठे प्रचार’ के चलते जनता का विश्वास खोने का हवाला देते हुए NIA या CBI जाँच की माँग की।
कर्नाटक बीजेपी ने धर्मस्थल मामले में विरोध प्रदर्शन के लिए 01 सितंबर 2025 को ‘धर्म जागृति समावेश’ आयोजित करने की भी योजना बनाई है। इसमें 50 हजार से 1 लाख हिंदू लोग शामिल होंगे।
जानें पूरा मामला
यह मामला तब सामने आया जब एक सफाईकर्मी ने चौंकाने वाला दावा किया कि उसे 1998 से 2014 के बीच धर्मस्थल में कई जगहों पर सैकड़ों शव दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। यह सफाईकर्मी भगवान मंजूनाथ मंदिर में काम करता था और उसने 3 जून 2025 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
उसके आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, राज्य सरकार ने 19 जुलाई को इस मामले की जाँच के लिए SIT का गठन किया। इसके बाद SIT उसे धर्मस्थल के स्नान घाट लेकर गई, जहाँ उसने 13 जगहों की पहचान की, जहाँ कथित रूप से शव दफनाए गए थे।
सफाईकर्मी ने अपनी शिकायत में बताया कि जिन शवों को वह दफनाता था, उनमें कई महिलाएँ और नाबालिग लड़कियाँ थीं, जिनका यौन शोषण किया गया था।
उसकी शिकायत के कुछ समय बाद, सुजाता नाम की 60 साल की एक महिला ने भी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि उसकी बेटी धर्मस्थल की तीर्थ यात्रा के दौरान लापता हो गई थी। हालाँकि, बाद में महिला अपनी बात से पलट गई और सामने आया कि उसकी कोई बेटी नहीं है।