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60+ साल उड़ने के बाद रिटायर हो जाएगा वायुसेना का MiG-21, चंडीगढ़ में होगा विदाई समारोह: 800+ हुए IAF में शामिल, 1965 के बाद हर युद्ध में लिया हिस्सा


मिग 21

भारतीय वायुसेना सितम्बर, 2025 में अपने अंतिम MiG-21 विमानों को रिटायर कर देगी। इनकी विदाई के लिए एक ख़ास समारोह का आयोजन किया जाएगा। MiG-21 देश में सबसे अधिक समय तक सेवा देने वाला लड़ाकू विमान रहा है। उसकी विदाई के बाद भारतीय वायु सेना की घटती विमानों की समस्या और गहरी हो जाएगी।

इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायु सेना में सेवा दे रहे अंतिम MiG-21 विमानों को सितम्बर, 2025 में रिटायर किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, इन्हें रिटायर करने से पहले चंडीगढ़ एयरबेस में समारोह में अधिकारिक विदाई दी जाएगी। यह समारोह 19 सितम्बर, 2025 को होने वाला है।

भारतीय वायुसेना में अभी 23वीं स्क्वाड्रन में MiG-21 सेवाएँ दे रहे हैं। इस स्क्वाड्रन को पैंथर्स के नाम से जाना जाता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि वर्तमान में भारतीय वायु सेना में लगभग 30 के आस-पास MiG-21 सेवाएँ दे रहे हैं। इनकी सेवा की अवधि पूरी हो चुकी है और अब यह पुराने हो चुके हैं।

MiG-21 को अंतिम रूप से रिटायर करने के लिए लम्बे समय से कोशिश चल रही थी। हालाँकि, विमानों की कमी और नए विमान ना आने के चलते भारतीय वायु सेना इन्हें रिटायर नहीं कर पा रही थी। इन्हें पहले LCA तेजस से रिप्लेस करने की योजना बनाई गई थी। हालाँकि, उनकी आपूर्ति रुक गई है।

MiG-21 विमानों ने भारतीय वायु सेना ने 60 वर्षों से अधिक सेवाएँ दी हैं। इन्हें 1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। MiG-21 लड़ाकू विमान सोवियत संघ से खरीदे गए थे। इनको बाद में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत में भी बनाया है।

MiG-21 भारतीय वायु सेना में शामिल होने पहले ऐसे विमान थे, जो सुपरसोनिक स्पीड (1236 KM/h+) पर उड़ते थे। यह काफी हलके भी थे इसलिए इन्हें दूसरे विमानों के खिलाफ किसी युद्ध में इस्तेमाल करना भी आसान था।

भारतीय वायु सेना में 1963 के बाद से लगभग 800 MiG-21 विमान शामिल किए गए थे। यह भारतीय वायु सेना में सबसे अधिक संख्या में शामिल होने वाला विमान रहा है। 6 दशक की सेवा में इसने 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भाग लिया।

MiG-21 ने इसके अलावा ऑपरेशन मेघदूत और बाकी सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया है। यह विश्व का सबसे अधिक निर्माण किया जाने वाला लड़ाकू विमान भी है। इसे विश्व के लगभग 60 देशों ने इस्तेमाल किया है। भारत इसके शुरूआती उपयोगकर्ताओं में से एक था।

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