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300 गिरफ्तारी, 2 लाख प्रदर्शनकारी और 80 हजार पुलिसकर्मी: नेपाल के बाद फ्रांस में हिंसा, जानें ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ के नाम पर पेरिस की सड़कों पर हो रहा क्या-कुछ


नेपाल के बाद अब फ्रांस में राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुआ है। राष्ट्रपति की नीतियों का विरोध हो रहा है। इस प्रदर्शन को ‘Block Everything’ का नाम दिया गया है। ये प्रदर्शन दो दिन पहले प्रधानमंत्री बने सेबेस्टियन लेकोर्नू के लिए भी बड़ी चुनौती है। प्रदर्शनकारी लगातार बदल रहे प्रधानमंत्री और बजट कटौती का विरोध कर रहे हैं।

प्रदर्शन के दौरान बुधवार (10 सितंबर 2025) को पूरे फ्रांस में सड़कें धुओं से भर गया। जगह जगह लगे बैरिकेड्स में आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़े गए और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। करीब 80,000 सुरक्षाकर्मी प्रदर्शनकारियों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या है ‘Block Everything’ प्रदर्शन

Block Everything प्रदर्शन का नेतृत्व विपक्षी लेफ्ट ग्रुप के नेता कर रहे हैं। राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की और प्रधानमंत्री के रूप में सेबेस्टियन लेकोर्नू के पहले दिन को अग्नि परीक्षा में बदल दिया। लेकोर्नू राष्ट्रपति मैक्रों के करीबी हैं और रक्षा मंत्री के तौर पर 3 साल से काम कर रहे हैं।

‘ब्लोक्वोंस टाउट’ या ‘ ब्लॉक एवरीथिंग’ विरोध प्रदर्शन के जरिए स्कूल से ऑफिस तक में हड़ताल जैसे माहौल बना दिए गए हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट से लेकर अस्पताल तक प्रभावित हुए हैं। यानी सबकुछ रोकने की कोशिश है।

प्रदर्शनकारियों के ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ वाले अभियान के दौरान सड़कों पर ट्रैफिक जाम लग गया। हर तरफ आगजनी और अफरा तफरी का माहौल है। कई जगहों पर बस में भी आग लगा दी गई। दक्षिण-पश्चिम फ्रांस में बिजली के तार टूटने की वजह से ट्रेन सेवाएँ ठप हो गईं और यातायात बाधित हो गया।

फ्रांस के मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने कहा कि देश भर में लगभग 200,000 लोग सड़कों पर उतर आए हैं, जबकि फ्रांस के सबसे बड़े श्रमिक संघों में से एक, सीजीटी यूनियन ने दावा किया कि लगभग 250,000 लोग सड़कों पर उतरे हैं।

क्यों लोग उतरे सड़कों पर ?

फ्रांस में जनता की बुनियादी सुविधाओं में कटौती हो रही थी। सेवानिवृति की उम्र बढ़ाकर 62 साल से 64 साल कर दिया गया । मजदूर संगठनों का मानना है कि ये मजदूरों के साथ अन्याय है। इसलिए ये संगठन सरकार के खिलाफ हैं।

वहीं युवा रोजगार के अवसर में कमी आने, विश्वविद्यालयों की फीस में बढ़ोतरी के गुस्साए हुए हैं। यहाँ आए दिन हो रही नस्लीय हिंसा भी उनके गुस्से को बढ़ा रहा है।

फ्रांस में जीवन जीना अब उतना आसान नहीं रह गया है। यहाँ Cost of Living बढ़ी है। छोटे शहरों के लोगों को लगता है कि सरकार उनके लिए नहीं सोच रही है। प्रवासियों की समस्या भी विरोध का बड़ा कारण है। सामाजिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को मानने वाले फ्रांस में घुसपैठिए बड़ी संख्या में आ गए हैं। महँगाई, पेंशन सुधार, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता विरोध प्रदर्शन के केन्द्र में है।

लगातार हो रहा राजनीतिक बदलाव

राष्ट्रपति मैक्रों ने फ्रांस्वा बायरू के इस्तीफा देने के बाद लेकोर्नु को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। बायरू संसद का विश्वास खो चुके थे। लेकोर्नु ने 10 सितंबर को आधिकारिक तौर पर पदभार संभाला। इसके बाद बवाल शुरू हो गया। गृहमंत्री ब्रूनो रिटेलो के मुताबिक करीब 50 नकाबपोश लोगों ने आगजनी शुरू की थी। पेरिस में 75 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन गिरफ्तारियाँ क्यों हुईं, इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। इसके बाद ज्यादा बवाल मचा।



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